रोहित, जो केवल छह साल की आयु में सुदामा का नाटक कर रहे थे, हिसार के पड़ाव चौक के एक गरीब परिवार का इकलौता बेटा था। उसके परिवार में दो और बच्चे भी थे, और उनका अभिनय लोगों को प्रेरणा देता था। उन्होंने सुदामा के किरदार को अपनी मेहनत और संघर्ष की कहानी के रूप में प्रस्तुत किया था, जो लोगों के दिलों में बस गया।