हॉकी के मैदान से कैबिनेट तक का सफर तय करने वाले संदीप सिंह इन दिनों विवादों में हैं। किसी महिला कोच ने मंत्री संदीप सिंह पर छेड़छाड़ का आरोप लगाया है। अब आरोपों में कितनी सच्चाई है और ऐसे आरोपों का आधार क्या है, इसकी सच्चाई तो जांच पड़ताल के बाद ही सामने आएगी। बड़ी बात तो ये है कि संदीप सिंह विवादों से कोसों दूर रहे हैं, खेल राज्य मंत्री रहते उनका शायद ही कोई विवाद रहा हो, जो प्रकाश में आया हो। संदीप सिंह के शानदार हॉकी करियर और नेता से मंत्री बनने तक के सफर के बारे में जानेंगे। उनकी जिंदगी से जुड़े कुछ ऐसे किस्से भी बताएंगे, जिनके बारे आप शायद ना जानते हों या फिर आप जानते भी होंगे। संदीप सिंह की जिंदगी के कुछ पहलुओं को जानने से पहले हम उन पर चल रहे छेड़छाड़ के मामले के बारे में जानेंगे। देश के पूर्व हॉकी कप्तान और हरियाणा सरकार में खेल मंत्री रहे संदीप सिंह इन दिनों महिला कोच से छेड़छाड़ के आरोपों में घिरे हुए हैं। बता दें कि महिला कोच की शिकायत पर चंडीगढ़ पुलिस ने संदीप सिंह पर एफआईआर दर्ज कर ली है। तो वहीं संदीप सिंह ने एफआईआर दर्ज हो जाने के बाद रविवार सुबह अपने पद से इस्तीफा दे दिया। संदीप सिंह का हॉकी करियर,राष्ट्रमंडल खेलों के रजत पदक विजेता, दो बार के ओलंपियन और दुनिया के बेहतरीन ड्रैग फ्लिकर में से एक थे संदीप सिंह। भारतीय हॉकी के एक दिग्गज खिलाड़ी रहे और इसके साथ ही वे सबसे प्रेरणादायक कप्तानों में से भी एक रहे। ना चाहते हुए भी हॉकी में रखा था कदम, संदीप सिंह का जन्म 27 फरवरी 1986 को हरियाणा के शाहाबाद जिले में हुआ था। ये अपने आप में ही रोचक बात है कि हॉकी मे शानदार नाम कमाने वाले संदीप सिंह को हॉकी से कुछ खास लगाव नहीं था, वे बेमाने मन से हॉकी में आए थे। दरअसल उनके बड़े भाई बिक्रमजीत सिंह हॉकी के होनहार खिलाड़ी थे और परिवार की तरफ से बड़े भाई को हॉकी स्टिक और किट की सुविधा दी जाती थी। बड़े भाई को मिलने वाली सुविधा से छोटे भाई संदीप सिंह इर्ष्या करने लगे थे। जैसा कि हर घर मे अमूमन सी बात है। युवावस्था मे संदीप सिंह अपने घरवालों से भी हॉकी का सेट मांगते थे। लिहाजा उनकी मां दलजीत कौर ने उनके सामने शर्त रखी कि यदि वे अपने भाई की ही तरह हॉकी को चुनते हैं, तभी उन्हें हॉकी की किट मिलेगी। इस तरह से संदीप सिंह का हॉकी में आगमन हुआ। हॉकी में खुद को संदीप सिंह ने किया साबित, संदीप सिंह का हॉकी में आगमन बेशक ही बेमाने मन से हुआ हो लेकिन संदीप सिंह ने खुद को हॉकी के खेल में होनहार साबित भी किया। बड़े भाई बिक्रमजीत सिंह की ही तरह संदीप सिंह ने खेल का बेहतरीन प्रदर्शन किया। युवावस्था से ही उनकी खेल की प्रतिभा देखने को मिल रही थी। संदीप सिंह का सबसे बड़ा कोर उनका ड्रैग- फ्लिक्स था, जिसके लिए वो पूरी दुनिया में पहचाने गए। संदीप सिंह के ड्रैग- फ्लिक्स को बाद में दुनिया में सर्वश्रेष्ठ माना गया। ड्रैग- फ्लिक ने सिलेक्टर्स को किया प्रभावित, संदीप सिंह के शानदार प्रदर्शन का ही कमाल था, जिसके दम पर साल 2004 के सुल्तान अजलान शाह कप के लिए भारतीय हॉकी टीम की ओर से बुलावा आया था। टीम की ओर से संदीप सिंह ने ही एक अकेला गोल किया और भारत इस टूर्नामेंट में अंतिम स्थान पर रहा था। लेकिन उनकी ड्रैग- फ्लिक की क्षमता और हॉकी स्टिक के साथ बेहतरीन प्रतिभा कौशल ने राष्ट्रीय चयनकर्ताओं को काफी प्रभावित किया था। हॉकी खिलाड़ी के तौर पर संदीप सिंह का अंतर्राष्ट्रीय करियर, संदीप सिंह ने जनवरी 2004 में कुआलालंपुर में सुल्तान अजलान शाह कप के दौरान ही अंतरराष्ट्रीय हॉकी करियर की शुरुआत की थी। उसी साल अगस्त में उन्होंने एथेंस, ग्रीस में आयोजित समर ओलंपिक में अपना ओलंपिक डेब्यू किया था। इसके अलावा 2004 में उन्होंने पाकिस्तान में आयोजित जूनियर एशिया कप हॉकी में 16 गोल किए और टूर्नामेंट में टॉप स्कोरर रहे। उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ फाइनल में 5-2 की जीत में दो गोल किए, जिससे भारत पहली बार इस खिताब को जीतने में सफल रहा। उसी साल 2004 में चैंपियनस ट्रॉफी में लाहौर और अगले वर्ष चेन्नई में खेला। हर बार टूर्नामेंट में तीन गोल किए। उन्होंने सितंबर- अक्टूबर 2005 में भारत-पाक हॉकी श्रृंखला के दौरान तीन गोल भी किए। संदीप सिंह मेलबर्न में आयोजित 2006 के राष्ट्रमंडल खेलों के लिए भारतीय हॉकी टीम का हिस्सा थे। वह सात गोल के साथ टूर्नामेंट के टॉप गोल स्कोरर थे। जून 2006 में उन्होंने कुआलालंपुर में सुल्तान अजलान शाह कप में तीन गोल किए। 2008 के सुल्तान अजलान शाह कप टूर्नामेंट में उन्होंने टॉप गोल स्कोरर पुरस्कार प्राप्त करने के लिए आठ गोल किए और भारत को दूसरा स्थान हासिल करने में मदद की। उन्हें जनवरी 2009 में राष्ट्रीय टीम का कप्तान बनाया गया, जिसके बाद उन्होंने 13 साल में पहली बार सुल्तान अजलान शाह कप जीतने वाली टीम का नेतृत्व किया। गोली लगने के बाद संदीप सिंह ने जब किया था कमबैक, बात साल 2006 की है, जब संदीप सिंह जर्मनी में विश्व कप में हिस्सा लेने के लिए घर से ट्रेन में सवार होकर दिल्ली जा रहे थे। खबरों की अगर माने तो 22 अगस्त 2006 में शताब्दी एक्सप्रेस में एक सुरक्षाकर्मी से गलती से गोली चल गई थी और वो गोली संदीप सिंह को रीढ़ की हड्डी के पास जा लगी थी। उन्हें तुरंत अस्‍पताल ले जाया गया था। उस हादसे में संदीप सिंह की टांगे पैरालाइज्‍ड हो चुकी थीं। डॉक्टर्स ने साफ कह दिया था वो व्हीलचेयर से कभी उठ ही नहीं पाएंगे। लेकिन संदीप सिंह तो इरादों के पक्के थे। उन्हांेने हार नहीं मानी और कड़ी मेहनत के बाद साल 2008 में भारतीय हॉकी टीम में वापसी की। संदीप सिंह ने की थी जबरदस्त वापसी, गोली लगने के बाद से संदीप सिंह ने जबरदस्त वापसी की थी। बता दें कि साल 2008 में संदीप सिंह ने सुल्तान अजलान शाह कप से हॉकी में वापसी की थी, जहां उन्होंने सर्वाधिक 8 गोल किए थे। जनवरी 2009 में वे भारतीय हॉकी टीम के कप्तान बने। कप्तानी के तहत संदीप सिंह ने 13 वर्षों के बाद भारत को साल 2009 के सुल्तान अजलान शाह कप चैंपियन बनाया था। साल 2012 में लंदन ओलंपिक क्वालीफायर के दौरान फ्रांस के खिलाफ एक मैच में संदीप सिंह ने धनराज पिल्लै का सर्वाधिक गोल 121 का रिकॉर्ड तोड़ा। इससे भी बड़ी बात तो ये है कि संदीप सिंह दुनिया में सबसे अधिक गति 145 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से ड्रैग फ्लिक करते थे। संदीप सिंह का लक्ष्य पाकिस्तानी डिफेंडर सोहेल अब्बास के 348 गोलों का रिकॉर्ड तोड़ना था। हॉकी में उनकी उपलब्धियों को देखते हुए हरियाणा सरकार ने उन्हें हरियाणा पुलिस में डीएसपी रैंक से सम्मानित किया था। हॉकी के बाद राजनीति में भी दमदार साबित हुए संदीप सिंह ,संदीप सिंह ने जहां खुद को हॉकी के खेल में दमदार साबित किया, तो वहीं उन्होंने राजनीति में भी जबरदस्त जीत से आगाज किया था। साल 2019 में हरियाणा भाजपा ने संदीप सिंह को पिहोवा विधानसभा से टिकट देकर मैदान में उतारा था। तब उस सीट पर भी संदीप सिंह ने पहली ही बार में जीत हासिल की थी। बड़ी बात तो ये है कि 53 सालों में राजनीति में पहली बार पिहोवा विधानसभा में भाजपा जीती थी। बता दें कि अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित अंतरराष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी संदीप सिंह ने भाजपा की टिकट पर पेहोवा विधानसभा क्षेत्र से नामांकन पत्र दाखिल किया था, तब उस दौरान उनके साथ तत्कालीन वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु मौजूद रहे थे। अब छूटा मंत्री पद, हरियाणा के कैबिनेट मंत्री बने थे संदीप सिंह,साल 2019 में नवंबर के महीने में जब हरियाणा कैबिनेट का विस्तार हुआ था, तब संदीप सिंह को इस कैबिनेट में जगह मिली थी। बता दें कि राज्यमंत्री के तौर पर संदीप सिंह कैबिनेट में शामिल हुए थे। बता दें कि संदीप सिंह ने पंजाबी में शपथ ली थी। विवादों में घिरे हरियाणा के खेल मंत्री एवं पूर्व हॉकी खिलाड़ी संदीप सिंह ने 1 जनवरी को खेल विभाग छोड़ दिया। संदीप सिंह के खिलाफ खेल विभाग की जूनियर महिला कोच ने शिकायत की थी, जिसमें खेल मंत्री पर उसके साथ छेड़छाड़ करने एवं धमकी देने के आरोप लगाए थे। संदीप सिंह ने इन आरोपों को एक साजिश बताया है। अब मुख्यमंत्री मनोहर लाल से मुलाकात के बाद संदीप सिंह ने मीडियाकर्मियों को बताया कि उन्होंने खेल विभाग मुख्यमंत्री को सौंप दिया है। जब तक इस मामले की जांच पूरी नहीं होती तब तक वह खेल विभाग के किसी भी कार्य में हस्तक्षेप नहीं करेंगे। महिला कोच के आरोपों के मुताबिक एक जुलाई को मंत्री ने उन्हें स्नैपचैट कॉल किया। इसमें डॉक्यूमेंट्स वेरिफिकेशन के लिए सेक्टर 7 स्थित सरकारी आवास पर बुलाया गया। यहीं पर उसके साथ अभद्रता की गई। इस शिकायत के आधार पर चंडीगढ़ के सेक्टर 26 पुलिस थाने में संदीप सिंह के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 354, 354ए, 354 बी, 342 और 506 के तहत मामला दर्ज किया गया है। चंडीगढ़ पुलिस के मुताबिक केस दर्ज करने के बाद इसकी जांच की जा रही है।