म्हारी छोरियां छोरों से कम सै के.. अपणी पे आवे तो फिर लटठ गाड़ के धर देवे… इब शेफाली ने ही देख ल्यौ…

नारी को लेकर किसी ने क्या खूब ही कहा है कि नारी तुम प्रेम हो, आस्था हो, विश्वास हो, टूटी हुई उम्मीदों की एकमात्र आस हो। ये कथनी एक दम सही और सटीक है। इस कथनी को सच कर दिखाया है हरियाणे की धाकड़ छोरी शेफाली वर्मा ने, जो कि महिला अंडर 19 क्रिकेट टीम की कप्तान हैं और कप्तान भी ऐसी कि जिसने क्रिकेट जगत में कप्तानी का लोहा मनवाया और अंडर 19 का टी20 वर्ल्ड कप का मुकाबला जीत कर दिखा दिया। ये पहली बार है जब महिला क्रिकेट टीम ने वर्ल्ड कप जीता हो। इतिहास ही रच दिया हो। शेफाली वर्मा की जीत वाली तस्वीर जब आप देखोगे तो मन में दंगल फिल्म का एक गीत घुमने लगेगे कि मां के पेट से मरघट तक है तेरी कहानी पग पग प्यारे दंगल दंगल।

आज हम अपनी धाकड़ छोरी शेफाली वर्मा के बारे में जानेंगें और ये भी जानेंगे कि किस तरह से शेफाली वर्मा क्रिकेट में आई और कैसे उन्होंने लट्ठ गाड़ दिया।
आज जानेंगे कौन है शेफाली वर्मा, कहां की रहने वाली है, हरियाणा से उसका क्या है नाता, कैसे आज वह क्रिकेट के इस बुलंदी पर पहुंची है। सचिन तेंदुलकर को आइडल मानती हैं शेफाली, शेफाली वर्मा सचिन तेंदुलकर को ही अपना आदर्श मानती हैं। 2013 में महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर रोहतक के लाहली में रणजी ट्राफी खेलने आए थे। तो भीड़ में मैच देखते हुए सचिन- सचिन की आवाजें सुनकर शेफाली का क्रिकेटर बनने का सपना और भी मजबूत हो गया। करीब दस साल की उम्र में शेफाली ने लेदर की बॉल से क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था।

शेफाली की छोटी उम्र के बड़े कारनामे, अंडर 19 क्रिकेट टीम की कप्तान शेफाली वर्मा ने छोटी उम्र में ही बड़ा मुकाम हासिल कर दिखाया। इस मुकाम तक पहुंचने के लिए इस छोरी ने काफी संघर्ष किया। साथ ही शेफाली के पिता ने भी बेटी के लिए खूब मेहनत की है। लोग और समाज की संकीर्ण सोच का सामना करते रहे। बड़ी बात तो ये है कि जब दुनिया के लोग बेटी का ताना देने लगे थे, तब उन्होंने बेटी को क्रिकेटर बनाने की ठानी और बॉय कटिंग करवा डाली। शेफाली की बाकी की जिंदगी फिर लड़कों की ही तरह ही पालन पोषण में बीती। ये ठीक उसी तरह है, जैसे गीता फोगाट के पिता महावीर फोगाट ने अपनी बच्चियों को पहलवान बनाने के लिए किया। एक पिता की दी कुर्बानियों और मेहनत का ही नतीजा है कि उनकी बेटियां आज इस मुकाम पर हैं। शेफाली वर्मा ने विश्व स्तर पर अपनी पहचान एक बेहतरीन महिला क्रिकेटर के रूप में बनाई और आलोचकों के मुंह बंद कर दिए। यहां से आपको बताते हैं शेफाली के वर्ल्ड कप जिताने और महिला क्रिकेट टीम की कप्तान बनने की कहानी।

शेफाली ने पिता के सपने को किया साकार, ये अपने आप में दिलचस्प बात है कि इस बेटी ने अपने पिता संजीव वर्मा के सपने को ही जिया। यानि के शेफाली के पिता खुद इंटरनेशनल क्रिकेटर बनना चाहते थे। लेकिन किसी कारणवश उनका खुद का सपना पूरा ना हो सका। लेकिन शेफाली ने अपने पिता के सपने को आकार दिया और आज हकीकत में उसे दमदार स्वरूप दे डाला। शेफाली वर्मा को बचपन से ही क्रिकेट खेलने का बेहद शौक था। भारतीय महिला क्रिकेट टीम की धाकड़ बल्लेबाज व कप्तान शेफाली वर्मा का जन्म 28 जनवरी 2004 में हुआ था। हरियाणा के रोहतक जिले में शेफाली का जन्म हुआ था। सुनारों वाला मोहल्ला में इनका परिवार रहता है। घर बना क्रिकेट की पाठशाला, शेफाली को क्रिकेट की शिक्षा दीक्षा अपने घर से ही मिली थी।

उनका घर ही क्रिकेट की पहली पाठशाला बना था। शेफाली के पिता ने ही उन्हें घर पर ही ट्रेनिंग देना शुरू कर दी। शेफाली को क्रिकेट के सांचे में ढाला। जब शेफाली के पिता संजीव को लगा कि अब शेफाली को प्रोफेशनल ट्रेनिंग की जरूरत है, तो फिर उन्होंने एकेडमी में एडमिशन करवाने की कोशिश की लेकिन अफसोस कि किसी भी एकेडमी में उन्हें प्रवेश नहीं मिला, क्योंकि शेफाली एक लड़की थी। शेफाली के पिता इस बात से निराश तो हुए लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। 9 साल की शेफाली का बदल गया था हुलिया, शेफाली के पिता ने 9 साल की उम्र में बाल कटवा दिए। पिता ने उनके बाल एकदम लड़कों की तरह काट दिए। जिसके बाद शेफाली क्रिकेट सीखने के लिए लड़कों की तरह रहने लगी। उसके बाद शेफाली को तुरंत क्रिकेट अकादमी में एडमिशन मिल गया। शेफाली कई सालों तक टॉमबॉय बन कर ही क्रिकेट सीखती रही। जब भारत में पहली बार महिला क्रिकेट एकेडमी बनाई गई, तब जाकर शेफाली को एक महिला क्रिकेट एकेडमी में दाखिला मिला।

महिला क्रिकेट एकेडमी में दाखिला होने पर रिश्तेदारों ने तंज कसे, ताने भी दिए लेकिन शेफाली के पिता ने सब को दरकिनार कर दिया। उन्हें क्रिकेट की प्रोफेशनल ट्रेनिंग दिलवाई। इतना ही नहीं पिता ने उन्हें एक बेहतरीन और शानदार क्रिकेटर बनाया। उसके बाद उन्होंने करीब 12 साल की उम्र में क्रिकेट एकेडमी जॉइन की। जहां शुरुआत उन्होंने जूनियर कैटेगरी से की। वह छोटी उम्र में ही बहुत बढ़िया खेलती थी। साथ खेलने वाली लड़कियां बेहतर खिलाड़ी थी, लेकिन शेफाली में उनसे अधिक क्षमता थी। यह देख उनकी प्रैक्टिस लड़कों के साथ करवानी शुरू कर दी।

15 साल की उम्र में शेफाली ने किया डेब्यू
, रोहतक जिले की इस छोरी शेफाली वर्मा ने महज 15 साल की उम्र में ही टीम इंडिया के लिए डेब्यू कर लिया था। 2019 के टी- 20 वर्ल्ड कप से पहले शेफाली ने टीम इंडिया में एंट्री की थी और दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ उन्होंने इंटरनेशनल डेब्यू किया था। खुद शेफाली ने ही बताया कि हर कोई यह देख हैरान था कि महज 15 साल की लड़की को आखिर कैसे भारतीय टीम में जगह मिल गई। टी20 वर्ल्ड कप में भी शेफाली ने शानदार प्रदर्शन किया था, लेकिन वो बात अलग है कि टीम खिताब नहीं जीत सकी थी। शेफाली ने इसके बाद हार नहीं मानी थी। उन्होने इसके बाद कई कमियों पर काम किया। उन्होंने तेज गेंदबाजों का सामना करना शुरू किया। उनके सामने लड़के 135- 140 किमी की रफ्तार से गेंदबाजी करते थे।

ऐसा है शेफाली का रिकॉर्ड,शेफाली वर्मा का रिकॉर्ड देखें तो सिर्फ 19 साल की उम्र में उनके नाम 51 टी-20 मैच में 1231 रन हैं. शेफाली का स्ट्राइक रेट 134.53 का है, उनके नाम टी-20 में 149 चौके और 48 छक्के हैं. वह अब सिर्फ टी-20 ही नहीं बल्कि भारत के लिए वनडे और टेस्ट भी खेल चुकी हैं. अभी तक उन्होंने 2 टेस्ट मैच, 21 वनडे मैच खेले हैं. क्योंकि उनकी उम्र कम थी, ऐसे में बीसीसीआई ने उन्हें अंडर-19 टी-20 वर्ल्ड कप में टीम की कमान सौंपी और अब उन्होंने इतिहास रच दिया है। शेफाली को बधाई देने पहुंचे हरियाणा के मुख्यमंत्री, भारत महिला टीम ने इंग्लैंड को 7 विकेट से हराकर अंडर-19 वर्ल्ड कप का खिताब जीत लिया. फाइनल मुकाबले में भारतीय प्लेयर्स ने कमाल का खेल दिखाया. भारतीय कप्तान शेफाली वर्मा अंडर-19 वर्ल्ड कप जीतने के बाद खुशी से गदगद नजर आईं.

अब हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने शेफाली के घर जाकर उनकी तारीफ की है. पहला महिला अंडर-19 टी-20 क्रिकेट विश्वकप विजेता भारतीय टीम की कप्तान शेफाली वर्मा के घर पहुंचे मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि हरियाणा की बेटी शेफाली और पूरी क्रिकेट टीम पर देश को गर्व है। शेफाली वर्मा जैसी छोरियां देश और हरियाणा के लिए तो मान है ही लेकिन उससे भी ज्यादा वो दूसरी लड़कियों के लिए पथ प्रदर्शक भी है। एक बेटी जो कि समाज की संकीर्ण सोच की बेडियों को तोड़ती है, एक बेटी जो पिता का मान है सम्मान है, उनके देखे सपने को अपना बना लेती है और नाम चमका कर दिखा देती है। शेफाली वर्मा वो बेटी है जो अपने बनाए टारगेट को पूरा करती है और उसके लिए कुछ कर कर गुजरने का जज्बा रखती है। जब शेफाली वर्मा अपने दायरे से अलग निकल जीत का रास्ता बना सकती है तो फिर समाज की दूसरी बेटियां क्यों नहीं?