जिनके पिता कभी बस चलाने का काम करते थे, उन्हीं के बेटे के हाथ में अब हिमाचल की स्टेयरिंग है, अजी और कौन.. हिमाचल के नए नवेले मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू। जीवन संघर्षों में बीता और अब वे हिमाचल पर राज करने को तैयार हैं। रेस में कई नेताआंे को पीछे छोड़ते हुए मुख्यमंत्री की गददी का सफर तय किया। बेटे को मुख्यमंत्री बनता देख मां की आंखों में खुशी के आंसू आ गए। आंसुओं ने कहा तो कुछ नहीं, मगर बेटे को विजयी भय का आर्शिवाद जरूर दे गए. कहते हैं कि मेहनत कभी बेकार नहीं जाती और कहते तो ये भी हैं कि मेहनत इतनी खामोशी से करो कि सफलता शोर मचा दे… हिमाचल प्रदेश के नए नवेले मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू की सफलता का शोर सिर्फ हिमाचल ही नहीं बल्कि देश भी सुन रहा है। सुखविंद सुक्खू कांग्रेस के नेता और अब मुख्यमंत्री हैं, ये तो सब जानते हैं लेकिन मुख्यमंत्री का सफर उन्होंने कैसे तय किया उस सफर के बारे में हम आपको बताएंगे। ना सिर्फ सुखविंदर सुक्खू ने बल्कि उनके परिवार ने भी कड़ी मेहनत की और अपने बेटे को मुख्यमंत्री बनता देख मां की आंखों में आंसू ही आ गए…हिमाचल रोडवेज में ड्राइवर थे पिता,हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंद सुक्खू के पिता रसील सिंह शिमला में हिमाचल रोडवेज ट्रांसपोर्ट में ड्राइवर थे। सुक्खू को खुद अखबार बेचने से लेकर दूध बेचने तक का काम करना पड़ा। यहां तक कि उन्हें वॉचमैन की नौकरी तक करनी पड़ी। सुक्खू के पिता की मामूली ड्राइवर की नौकरी से परिवार के खर्च पूरे नहीं हो पाते थे। सैलरी कम थी, सुक्खू कॉलेज में पढ़ाई कर रहे थे। पिता के पास फीस देने को रुपये नहीं थे, तो सुक्खू ने अपना खर्च निकालने के लिए छोटा शिमला में अखबार बेचना शुरू किया…
काम करके पूरी की पढ़ाई,सुक्खू सुबह जल्दी उठकर अखबार बांटने जाते थे। उसके बाद सुबह का बाकी समय दूध बेचने में चला जाता था। बाकी बचे दिन के समय में कॉलेज की पढ़ाई किया करते थे। इसी तरह सुक्खू ने अपना ग्रैजुएशन पूरा किया। वह अपनी पढ़ाई का खर्च उठाने और परिवार का हाथ बंटाने के लिए तड़के सवेरे उठ जाया करते और देर रात तक भी काम किया करते थे…वॉचमैन की नौकरी से बने हेल्पर, सुक्खू को घर के लोग प्यार से श्यामा बुलाते थे। ग्रैजुएशन के बाद सुखविंदर सुक्खू ने बिजली विभाग में वॉचमैन की नौकरी भी की। नौकरी के बाद उनके काम को देखते हुए उसी विभाग में सुखविंदर सुक्खू को हेल्पर की पोस्ट पर प्रमोट कर दिया गया। सुक्खू आगे बढ़ना चाहते थे इसलिए कड़ी मेहनत वे करते रहे…90 के दशक में चलाया पीसीओ,सुखविंदर सुक्खू पूर्व केंद्रीय दूरसंचार मंत्री पंडित सुखराम के करीबी भी रहे हैं। नब्बे के दशक में जब हिमाचल प्रदेश में पंडित सुखराम संचार की क्रांति लेकर आए, तो सुक्खू ने उनकी मदद से एक पीसीओ खोला। काफी समय तक वह पीसीओ भी चलाते रहे। सुखराम के करीबी होने का उन्हें फायदा मिला और उनकी मदद से ही उनका राजनीतिक करियर शुरू हुआ…पीसीओ से राजनीति का सफर,सुक्खू को सियासत में उतरने के ढाई दशक से भी कम समय में अगर प्रदेश अध्यक्ष की कमान मिल गई तो इसके पीछे वजह उनकी काडर में लोकप्रियता और मैनेजमेंट समय प्रबंधन के कौशल को दिया जा सकता है। हिमाचल के सीएम सुखविंदर सुक्खू कांग्रेस से संबद्धित नेशनल स्टूडेन्ट्स यूनियन ऑफ इंडिया एनएसयूआई की राज्य इकाई के महासचिव थे। उन्होंने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से एमए और एलएलबी की थी। जमीनी स्तर पर काम करते हुए वह दो बार शिमला नगर निगम के पार्षद चुने गए थे। उन्होंने 2003 में नादौन से पहली बार विधानसभा चुनाव जीता और 2007 में सीट बरकरार रखी लेकिन 2012 में वह चुनाव हार गए थे। इसके बाद 2017 और 2022 में उन्होंने फिर से जीत दर्ज की…गांधी परिवार को आदर्श मानते हैं सुखविंदर सुक्खू ,सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि मैं सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और प्रदेश की जनता का शुक्रगुजार हूं। हमने हिमाचल प्रदेश की जनता से जो वादे किए हैं। उन्हें पूरा करना मेरी जिम्मेदारी है। राज्य के विकास के लिए हमें काम करना है। सुक्खू ने कहा, राजनीति की जो सीढ़ियां मैंने चढ़ी हैं। उसमें गांधी परिवार का योगदान रहा है। जो वादे हमने जनता से किए उसे लागू करने की जवाबदेही मेरी है…सुखविंदर सिंह सुक्खू के मुख्यमंत्री बनने के 7 कारण..1) सुखविंदर सिंह सुक्खू को हिमाचल विधानसभा में जीते कांग्रेस विधायकों में से आधे से अधिक का समर्थन हासिल है। कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में 40 सीटों पर जीत हासिल हुई है।2) सुक्खू का गृह जिला हमीरपुर में कांग्रेस ने बेहतरीन प्रदर्शन किया है। यहां की 5 में से 4 सीटें कांग्रेस ने जीती हैं। पांचवीं सीट भी कांग्रेस के बागी ने ही जीती। गौर करने वाली बात तो यह है कि हमीरपुर केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर और उनके पिता व पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल का गृह जिला भी है।3) सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अपनी एक अलग छवि बनाई। उन्होंने छात्र राजनीति से अपने जीवन की शुरुआत की है। उनके पिता एक ड्राइवर थे। उन्होंने संगठन में कई अहम जिम्मेदारी निभाई। वहीं, प्रतिभा सिंह और मुकेश अग्निहोत्री ने वीरभद्र की छाया में अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की। 4) सुक्खू का गृह क्षेत्र हमीरपुर निचले मध्य हिमालय और बड़े कांगड़ा क्षेत्र का हिस्सा है। वीरभद्र सिंह पर अक्सर शिमला और ऊपरी पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों का पक्ष लेने का आरोप लगाया जाता था। प्रतिभा सिंह को भी ‘रानी’ कहा जाता था। वहीं, सुक्खू को सीएम बनाने से अब पार्टी को एक व्यापक क्षेत्रीय पहुंच मिलेगी…5) हिमाचल प्रदेश का मुख्यमंत्री सुखविंद सिंह सुक्खू को बनाकर कांग्रेस ने जातीय संतुलन को साधने की कोशिश की है।
6) सुक्खू को फायरब्रांड नेता माना जाता है। वे कालेज के दिनों से ही आक्रामक हैं। उन्होंने कभी विवादित बयान नहीं दिया। 7) सुक्खू टीम राहुल के शुरुआती सदस्यों में से एक हैं। उनकी उम्र इस समय 58 साल है। उन्हें मुख्यमंत्री बनाकर कांग्रेस ने स्पष्ट संदेश दिया है कि एक सामान्य कार्यकर्ता भी मुख्यमंत्री बन सकता है…सुक्‍खू को सीएम बनाने का फैसला कई मायनों में बेहद अहम है। इसके जरिये पार्टी ने शायद सख्‍त संदेश देने की कोशिश की है। उसने वीरभद्र सिंह की विरासत को इग्‍नोर किया
पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह की पत्‍नी प्रतिभा सिंह हैं प्रदेश कांग्रेस अध्‍यक्ष

कांग्रेस बीते कुछ समय से काफी उथल-पुथल का सामना कर रही है। ऐसे में वह अपनी छवि को लगातार बदलने की भी कोशिश में जुटी हुई है। इसी के तहत हाल में कांग्रेस अध्‍यक्ष का चुनाव हुआ। इसमें पार्टी की बागडोर मल्लिकार्जुन खरगे को दी गई। गांधी परिवार ने खुद को पीछे कर लिया। हिमाचल में जीत उसके लिए राहत की सांस लेकर आई…दोनों परिवारों के अलग प्रभाव क्षेत्र,जहां प्रतिभा सिंह परिवार का प्रभाव शिमला और प्रदेश के ऊपरी हिस्सों में है, तो वहीं सुक्खू हमरीपुर के नादौन से तीन बार के विधायक हैं। नादौन हमीरपुर में आता है, जिसके चलते उनका प्रभावक्षेत्र हमीरपुर, ऊना और कांगड़ा में माना जाता है। वह 1980 के दशक के अंत में NSUI राज्य इकाई का नेतृत्व कर चुके हैं। वह 2000 के दशक में राज्य युवा कांग्रेस इकाई के अध्यक्ष भी रहे हैं।मुख्यमंत्री हिमाचल

27 मार्च 1964
58 साल
जिनके पिता कभी बस चलाने का काम करते थे, उन्हीं के बेटे के हाथ में अब हिमाचल की स्टेयरिंग है, अजी और कौन.. हिमाचल के नए नवेले मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू। जीवन संघर्षों में बीता और अब वे हिमाचल पर राज करने को तैयार हैं। रेस में कई नेताओ को पीछे छोड़ते हुए मुख्यमंत्री की गददी का सफर तय किया।

हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंद सुक्खू के पिता रसील सिंह शिमला में हिमाचल रोडवेज ट्रांसपोर्ट में ड्राइवर थे। सुक्खू को खुद अखबार बेचने से लेकर दूध बेचने तक का काम करना पड़ा। यहां तक कि उन्हें वॉचमैन की नौकरी तक करनी पड़ी। सुक्खू के पिता की मामूली ड्राइवर की नौकरी से परिवार के खर्च पूरे नहीं हो पाते थे। सैलरी कम थी, सुक्खू कॉलेज में पढ़ाई कर रहे थे। पिता के पास फीस देने को रुपये नहीं थे, तो सुक्खू ने अपना खर्च निकालने के लिए छोटा शिमला में अखबार बेचना शुरू कि किया।