नैना चौटाला चौधरी देवीलाल परिवार की बड़ी बहू और चौधरी ओमप्रकाश चौटाला के बड़े बेटे अजय चौटाला की पत्नी है और हरियाणा के कद्दावर नेता बन कर उभरे डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला की मां है। नैना चौटाला का वजूद इससे भी बढ़कर है. पति के जेल जाने के बाद सियासत में किस्मत आजमाने उतरी नैना सफल विधायिका और राजनेत्री बनकर उभरे हैं. 2019 में एक वक्त ऐसा भी आया जब उनको डिप्टी सीएम बनाने की बात चली थी लेकिन उन्होंने यह पद अपने बेटे दुष्यंत चौटाला को दे दिया। ऐसी त्याग और प्रेम मजबूती की प्रतिमूर्ति है नैना चौटाला।

कौन हैं नैना चौटाला, यह बताने के लिए ले चलते हैं आपको हिसार के एक स्कूल में. जहां खेल के मैदान में एक 17 साल की लड़की धड़ाधड़ निशाने लगा रही है. यह लड़की ही नैना चौटाला है. राजनीति में आने से पहले नैना एक कुशल निशानेबाज रही हैं. खेलों में दिलचस्पी रखने वाली नैना ने शूटिंग में इंटर यूनिवर्सिटी में टीम का नेतृत्व किया था. इसके साथ ही वह एनसीसी की कैडेट भी रही हैं. धुन की पक्की, पढ़ाई में अव्वल और घर-परिवार में मिलनसार नैना चौटाला की खुद की ट्रेनिंग ऐसी ही रही है कि जैसे वह आगे जाकर किसी बड़ी जिम्मेदारी को संभालने वाली हैं. चौटाला परिवार में शादी के बाद उनके इन गुणों को एक-एक करके निखरने का मौका भी मिला। नैना चौटाला का हिसार से है नाता, नैना का जन्म हिसार के आदमपुर स्थित गांव दड़ौली में हुआ. पिता भीम सिंह गोदरा और मां कांता देवी के घर 15 अक्टूबर 1966 को जन्मी नैना की पढ़ाई नूर निवास हाई स्कूल में हुई. इसके बाद एफसी स्कूल हिसार से उन्होंने स्नातक किया. इसी हिसार से नैना के बेटे दुष्यंत 16वीं विधानसभा में सांसद बन कर सबसे कम उम्र में संसद पहुंचे थे और नया रिकॉर्ड बनाया था. रिकॉर्ड बनाना चौटाला परिवार के खून में हैं. नैना ने अभी बाढ़ड़ा विधानसभा सीट से चुनाव जीता है, जहां उन्हें रिकॉर्ड मत मिले हैं।

ऐसा रहा है सियासी सफर, शादी के बाद से नैना की खेल की पारी का अंत हुआ और सियासी पारी की शुरुआत हुई. पूर्व उप प्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल के परिवार में वह प्रथम महिला हैं, जिन्‍होंने सियासत की दुनिया में कदम रखा। साल 2009 में विधायक रहे पति अजय चौटाला का नाम शिक्षक भर्ती घोटाले में सामने आने के कारण वह जेल चले गए. इसके बाद ही सियासी मैदान में नैना की एंट्री होती है. 2014 में पहली बार वह सिरसा के डबवाली विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ीं और जीत दर्ज की. यह सीट चौटाला परिवार की परंपरागत सीट और उनका गढ़ है. इस चुनाव में नैना को 68029 वोट मिले थे. जबकि दूसरे नंबर पर कांग्रेस के डॉ. कमलवीर सिंह रहे थे। जिनको 59484 वोट मिले थे. यह संयोग ही था की कांग्रेस ने उनके चाचा ससुर डॉ. केवी सिंह को प्रत्याशी बनाया था. जिनको नैना चौटाला में हराया। नैना चौटाला के बारे में कई चौंकाने वाली बातें हैं, जिन्हें आप नहीं जानते होंगे।, पति जेल में, बेटा राजनीति में, दोनो को संभाला,चौटाला परिवार की इस बहु का कोई राजनीतिक बैकग्राउंड नहीं रहा। सक्रिय राजनीति में नैना चौटाला अपने बेटे दुष्यंत चौटाला के लोकसभा चुनाव में सक्रिय हुई थीं। पति डॉ. अजय सिंह चौटाला के जेल में होने के कारण नैना सिंह ने चुनावी मैदान में कदम रखा। 14 साल तक रहीं हॉस्टल की हेडगर्ल, दसवीं के बाद नैना सिंह ने एफसी कालेज में दाखिला ले लिया और यहीं से उन्होंने स्नातक की शिक्षा प्राप्त की। वह एफसी स्कूल से लेकर कालेज तक 14 वर्ष तक हॉस्टल की हेड गर्ल रहीं।

अच्छी निशानेबाज रही हैं नैना, विधायिका नैना चौटाला अपने समय में अच्छी निशानेबाज भी रही हैं। शूटिंग में उन्होंने इंटर यूनिवर्सिटी में शूटिंग टीम का प्रतिनिधित्व भी किया था। नैना ने राजनीति शास्त्र से एमए प्रथम वर्ष तक शिक्षा प्राप्त की है। वह कालेज में वह एनसीसी की कैडेट रही और कालेज की ओर से प्री आरडी कैंप (गणतंत्र दिवस समारोह परेड) में भाग लिया था। 2019 में नैना चौटाला और उनके बेटे दुष्यंत चौटाला सुर्खियों में छा गए थे जब मां-बेटे ने हरियाणा विधानसभा के सदस्य के रूप में एक साथ शपथ ली थी। हरियाणा के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ था के विधानसभा में किसी मां और बेटे ने विधायक की शपथ एक साथ ली हो। एक वक्त आया जब शेरनी बन दहाड़ी थी नैना चौटाला, 2018 में अपने बेटों दुष्यंत चौटाला और दिग्विजय चौटाला पर इनेलो की और से अनुशासनहीनता के आरोप लगने पर वह बचाव के लिए बीच में आ गई थी और शेरनी की तरह अभय चौटाला पर दहाड़ पड़ी थी। अभय चौटाला भले ही कितने कद्दावर नेता हो चाहे वह मीडिया से लेकर नेताओ की बोलती बंद कर देते हो पर नैना चौटाला के सामने अभय चौटाला टिक नहीं पाए थे। ऐसा रुतबा रहा है नैना चौटाला का।

हरी चुनरी चौपाल ने बढ़ाया था इनेलो का रुतबा, नैना चौटाला ने हरी चुनरी चौपाल शुरू कर महिलाओं को इनेलो के साथ जोड़ा था । महिलाओं में नैना सिंह चौटाला का जबरदस्त क्रेज हो गया था। महिलाओं की खूब भीड़ जुड़ने लगी थी और इनेलो की ताकत बढ़ने लगी थी। महिला सशक्तिकरण के तौर पर उभरी थी नैना चौटाला। हरी चुनरी चौपाल की चर्चा आज भी राजनीतिक गलियारों में होती है। राजनीति में ऊंचाई पर नैना चौटाला, 2014 में जब उन्होंने अपने पति की डबवाली विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और 8,000 वोटों से जीतीं, तब उन्होंने राजनीतिक में वो कदम उठाया जो उनके परिवार की किसी भी महिला ने सपने में भी नहीं सोचा था। फिर नैना चौटाला 2019 में बाड़ढा विधानसभा क्षेत्र से चुनी गई और उन्होंने चुनावों में कांग्रेस उम्मीदवार रणबीर सिंह महेंद्र को 13,704 मतों के अंतर से हराया। उनकी राजनीतिक यात्रा भले ही हिचकिचाते कदमों से शुरू हुई हो, लेकिन आज वह परिवार के लिए एक विश्वास की किरण के रूप में एक लंबा सफर तय कर चुकी हैं। शुरुआती दिनों में जब विधानसभा में हरियाणवी लहजे में बात करते हुए उनकी आवाज और हाथ कांपते थे, आज उनमें जोश है और महिलाओं की आवाज को रोब के साथ विधानसभा में रखते हैं। हरि चुनरी चौपाल से घर को छोड़ जनता से मिल, उनकी समस्याओं को सुनना और उनकी उम्मीदों पर खरा उतरना कठिन था। लेकिन उन्होंने वो कर दिखाया।

जब 2018 में इनेलो टूट जेजेपी बनी थी तब अभय चौटाला ने कहा था कि नैना चौटाला की महत्वाकांक्षा ने परिवार को तोड़ दिया है लेकिन नैना चौटाला ने पलटवार करते हुए कहा था कि अभय चौटाला की महत्वाकांक्षा थी के वह इनेलो को अपनी मुट्ठी में रखें और उनके बेटों को बाहर फेंक दे। लेकिन उसका विरोध किया नैना चौटाला ने और आपको बता दें उनके पति अजय चौटाला जेल में थे अकेली महिला ने सबका सामना किया और अपने बेटो के साथ मजबूती से खड़ी रही और जेजेपी व अपने बेटे दुष्यंत चौटाला को सरकार में बैठा कर ही दम लिया। एक बार इनेलो के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक अरोड़ा ने नैना चौटाला के लिए कहा था कि उनकी हरि चुनरी चौपाल ने इनेलो को मजबूत किया है और महिलाओं को पार्टी के साथ जोड़ा है। भले ही नैना चौटाला अब सरकार में हिस्सेदार हो लेकिन उनके तल्ख़ अंदाज आज भी जारी है वह अपनी सरकार को भी उसी बेबाकी से विधानसभा में घेरने का काम करती हैं जैसे वह विपक्ष में रहकर करते थे। अब नैना चौटाला ने कहा कि सरकार का सरपंचों को 2 लाख रुपए तक के काम करवाने की पॉवर देने का फैसला बिल्कुल भी सही नहीं है. दो लाख में क्या होता है.

जीएसटी वगैरह कटने पर सरपंच के पास डेढ़ लाख रूपए बचेंगे और इस रकम में आप शौचालय भी नहीं बनवा सकते हैं. गांव का विकास करवाना तो बहुत दूर की बात हो जाएगी। नैना चौटाला अपने चिर परिचित अंदाज में अपना काम कर रहे हैं और महिलाओं के सशक्तिकरण के जीते जागते उदाहरण बन चुके है। अब देखना होगा कि 2024 में अपनी पार्टी जेजेपी के लिए कौन से नए आयाम वह गढ़ते हैं।