Uniform Civil Code यानि के UCC की शर्तें नहीं मानी तो शादी हो जाएगी इनवैलिड, लेकिन बच्‍चों को मिलेंगे पूरे अधिकार… अब ये कानून उत्तराखंड में लागू हो चुका है लेकिन आज और आम हम ये जानेंगे कि इससे बदलाव क्या आएगा और खासतौर पर जो हमारी मुस्लिम कम्युनिटी है उनकी जिंदगी पर क्या असर पड़ने वाला है
उत्तराखंड में 27 जनवरी 2025 को समान नागरिक संहिता  (Uniform Civil Code ) लागू हो चुका है  इसके साथ ही उत्तराखंड UCC लागू करने वाला पहला state बन गया .अधिकारियों के मुताबिक यूसीसी पूरे उत्तराखंड में लागू होगा. यह कानून राज्य से बाहर रहने वाले लोगों पर भी लागू होगा.
क्या होता है यूनिफॉर्म सिविल कोड? 
यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) का मतलब है कि देश में रहने वाले सभी नागरिकों (हर धर्म, जाति) के लिए एक ही कानून होना. अगर किसी राज्य में सिविल कोड लागू होता है तो विवाह, तलाक, बच्चा गोद लेना और संपत्ति के बंटवारे जैसे तमाम विषयों में हर नागरिकों के लिए एक से कानून होगा. संविधान के चौथे भाग में राज्य के नीति निदेशक तत्व का विस्तृत ब्यौरा है जिसके अनुच्छेद 44 में कहा गया है कि सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता लागू करना सरकार का दायित्व है. फिलहाल मुस्लिम, ईसाई और पारसी समुदाय का पर्सनल लॉ है जबकि हिन्दू सिविल लॉ के तहत हिन्दू, सिख, जैन और बौद्ध आते हैं।
क्यों जरूरी है Uniform Civil Code
अब सवाल आता है कि भारत में यूनिफॉर्म सिविल कोड क्यों जरूरी है, तो जैसे की आपको पता है कि भारत diversities का देश का कहा जाता है। यहां अलग-अलग जाति और धर्मों में शादी और तलाक को लेकर अलग-अलग नियम हैं। वहीं, लोग शादी और तलाक को लेकर पर्सलनल लॉ बोर्ड ही जाते हैं। ऐसे में इन नियमों की वजह से कानून प्रणाली भी प्रभावित होती है। यूनिफॉर्म सिविल कोड बनने के बाद इस तरह के सभी चीजें एक ही कानून के दायरे में आ जाएंगी। इस कोड के बन जाने से हिंदू कोड बिल और शरीयत कानून को सरल बनाने में मदद मिलेगी।
क्या है Hindu personal law? 
भारत में हिन्दुओं के लिए हिन्दू कोड बिल लाया गया। देश में इसके विरोध के बाद इस बिल को चार हिस्सों में बांट दिया गया था। तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने इसे हिन्दू मैरिज एक्ट, हिन्दू section एक्ट, हिन्दू एडॉप्शन एंड मैंटेनेंस एक्ट और हिन्दू माइनोरिटी एंड गार्जियनशिप एक्ट में बांट दिया था। इस कानून ने महिलाओं को सीधे तौर पर सशक्त बनाया। इनके तहत महिलाओं को पैतृक और पति की संपत्ति में अधिकार मिलता है। इसके अलावा अलग-अलग जातियों के लोगों को एक-दूसरे से शादी करने का अधिकार है लेकिन कोई व्यक्ति एक शादी के रहते दूसरी शादी नहीं कर सकता है।
Muslim Personal Law Board क्या है
देश के मुस्लिमों के लिए मुस्लिम पसर्नल लॉ बोर्ड ((All India Muslim Personal Law Board-AIMPLB) है। इसके लॉ के अंतर्गत शादीशुदा मुस्लिम पुरुष अपनी पत्नी को महज तीन बार तलाक कहकर तलाक दे सकता है। हालांकि मुस्लिम पर्सनल लॉ में तलाक के और भी तरीके दिए गए हैं, लेकिन उनमें से तीन बार तलाक भी एक प्रकार का तलाक माना गया है, जिसे कुछ मुस्लिम विद्वान शरीयत के खिलाफ भी बताते हैं।
polygamy पर रोक
इसके अलावा polygamy बहुविवाह पर रोक लगेगी. लड़कियों की शादी की उम्र चाहे वह किसी भी जाति-धर्म की हो, एक समान होगी. यानी कि लड़की की शादी की उम्र 18 साल होगी. UCC के लागू होने के बाद सभी धर्मों में बच्चों को गोद लेने का अधिकार मिलेगा. हालांकि दूसरे धर्म के बच्चे को गोद नहीं लिया जा सकेगा
हलाला प्रथा बंद
UCC के लागू होने के बाद उत्तराखंड में हलाला जैसी प्रथा भी बंद हो जाएगी. वहीं उत्तराधिकार में लड़कियों को लड़कों के बराबर की हिस्सेदारी होगी.
Marriage registration
UCC लागू होने के बाद Marriage registration अनिवार्य हो जाएगा. पंचायत स्तर पर भी पंजीकरण की सुविधा उपलब्ध होगी. जाति, धर्म या संप्रदाय से परे किसी भी व्यक्ति के लिए तलाक के लिए एक समान कानून होगा. अभी देश में हर धर्म के लोग अपने पर्सनल लॉ के जरिए इन मामलों को सुलझाते हैं..
लिव-इन रिलेशन के लिए माता पिता की सहमति जरूरी
उत्तराखंड में UCC लागू होने के बाद लिव-इन रिलेशनशिप का रजिस्ट्रेशन कराना कपल के लिए जरूरी  होगा. वहीं अगर कपल 18 से 21 साल के हैं तो उन्हें रजिस्ट्रेशन के दौरान अपने parents का consent letter भी देना होगा. UCC के तहत लिव-इन रिलेशन से पैदा होने वाले बच्चे को भी शादीशुदा जोड़े के बच्चे की तरह ही अधिकार मिलेगा.
किन  देशों में लागू है UCC?
एक तरफ भारत में समान नागरिक संहिता को लेकर बड़ी बहस चल रही है, वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान, बांग्लादेश, मलेशिया, तुर्की, इंडोनेशिया, सूडान और इजिप्ट जैसे कई देश इस कानून को अपने यहां लागू कर चुके हैं।