सरकारी नौकरी को छोड़कर सरकार में आए, राजनीति में पारी भी ऐसी धुंआधार खेली कि उनके आगे तो हरियाणा के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला भी ढेर हो गए। ना सिर्फ दुष्यंत चौटाला बल्कि हरियाणा के दिग्गज कहे जाने वाले लाल यानि के चौ देवी लाल और चौ भजन लाल के गढ़ में सेंध लगा दी थी। आखिर कौन ये नेता जिसने अपने पहले ही चुनाव में दिग्ग्जों को मात दे डाली और पहली बार भाजपा का कमल भी खिलाया। तो आपको बता दें कि वो कोई और नहीं बल्कि पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह के बेटे व हरियाणा की हिसार लोकसभा सीट से सांसद हैं नाम है उनका बृजेंद्र सिंह। बृजेंद्र सिंह का नाम अपने पिता से काफी मेल खाता है। तो आज हम देखेंगे कि बृजेंद्र सिंह का सिर्फ नाम ही अपने पिता से मेल खाता है या फिर राजनीति में भी वे अपने पिता की तरह सफल साबित हुए।
बृजेंद्र सिंह का जन्म 13 मई सन 1972 में रोहतक जिले में हुआ था। यानि के भाजपा के इस नेता का जन्म भी हुड्डा के गढ़ रोहतक में हुआ था। इनके पिता का नाम चौधरी बीरेंद्र सिंह है। जो कि आपको मालूम ही है कि वे पूर्व केंद्रीय मंत्री रहे हैं ओर वर्तमान में भाजपा के नेता हैं। इनकी मां का नाम प्रेमलता सिंह है। जो 2014 में उचाना से विधायक रह चुकी है। बृजेंद्र सिंह की पत्नि का नाम जसमीत सियाल है, जो कि पेशे से एक बैंकर है और अपने पति का पूरा सपोर्ट करती हैं। उनके 2 बच्चे हैं। बेटी का नाम कुदरत औरे बेटे का नाम समरवीर है। 26 साल की उम्र में बने थे आइएएस, बृजेंद्र सिंह पढ़ाई में काफी प्रतिभाशाली थे। अंदाजा यहीं से लगा लीजिए कि मात्र 26 साल की उम्र में वे आइएएस के पद पर विराजमान हुए थे। जबकि इसी पद तक पहुंचने के लिए युवाओं की अच्छी खासी उम्र हाथ से निकल जाती है। बृजेंद्र सिंह हरियाणा कैडर के 1998 बैच के आईएएस अधिकारी थे।
आईएएस की परीक्षा में ऑल इंडिया में नौवां स्थान, आईएएस बनने का सपना जो बृजेंद्र सिंह ने देखा था उसे पूरी मेहनत और लगन से पूरा किया। उनके किए मेहनत का ही नतीजा था कि बृजेंद्र सिंह ने आईएएस की परीक्षा में ऑल इंडिया में नौवां स्थान प्राप्त किया था। लाखों परिक्षार्थियों के बीच में 9वां स्थान प्राप्त करना अपने आप में ही बड़ी उपलब्धि हैं। नारनौल के एसडीएम बनने से हुई थी शुरूआत, 26 साल की उम्र में आईएएस बन जाने के बाद जब बृजेंद्र सिंह ने पहली ज्वाइनिंग की, तो वे नारनौल के एसडीएम बने थे। फिर इसके बाद वे सिरसा मे एडीसी पद पर रहे। इसके बाद भी इनका कारवां आगे बढ़ता रहा और फिर वे पंचकूला, फरीदाबाद, चंडीगढ़ में डीसी रहे। फिर हुडा के एडमिनिस्ट्रेटर भी रहे। हुडा का मतलब पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा नहीं हरियाणा अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी ने एडमिनिस्ट्रेटर है। और वे तो हैफेड के एमडी भी रहे हैं।
बृजेंद्र सिंह ने पिया है घाट घाट का पानी, हिंदी की एक बहुत ही प्रसिद्ध कहावत है कि घाट घाट का पानी पीना, जिसका मतलब होता है कि अनुभवी होना। बृजेंद्र सिंह भी एक ऐसे नेता हैं जिन्होंने घाट घाट का पानी पिया हुआ है। आप सोच रहे होंगे कि आखिर कैसे। तो फिर आपको बता दें कि स्कूली पढ़ाई से लेकर कॉलेज की पढ़ाई तक के लिए वे कई अलग अलग जगहों पर गए। चार साल दादी के पास रोहतक में रहे। छठी से आठवीं तक की पढ़ाई चंडीगढ़ में की। फिर नौवीं से बारहवीं तक की पढ़ाई के लिए वे दिल्ली गए। बीए ऑनर्स की पढ़ाई दिल्ली के स्टीफन कॉलेज से की। आपको बता दें कि ये वही कॉलेज है जहां किसान नेता सर छोटूराम और बृजेंद्र सिंह के दादा नेकी राम ने भी यहीं से पढ़ाई की है। एमए हिस्ट्री की पढ़ाई बृजेंद्र सिंह ने दिल्ली की जेएनयू से पूरी की।
हिसार लोकसभा से भाजपा ने जताया भरोसा, बृजेंद्र सिंह इतने काबिल हैं कि उन पर तो भाजपा ने पहली ही बार में भरोसा जताया ओर लोकसभा का चुनाव लड़ने का मौका दिया। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने हिसार से बृजेंद्र सिंह को टिकट दिया ओर चुनावी मैदान में उतारा दिया। जैसा कि भाजपा को उम्मीद थी ठीक वैसा ही बृजेंद्र ने कर के भी दिखाया। हिसार की लोकसभा सीट जीतकर दिखा दी। डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला को दी थी मात, बृजेंद्र सिंह ने हिसार की संसदीय सीट पर जिस बड़ी शख्सियत को मात दी थी वो कोई और नहीं बल्कि अपने हरियाणा के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला थे। चौटाला परिवार के चश्मो चिराग दुष्यंत चौटाला भी बृजेंद्र सिंह के सामने टिक नहीं पाए थे। ये अपने आप मे रोचक बात है कि दुष्यंत चौटाला ने जहां साल 2014 का लोकसभा चुनाव अपने नाम किया था, तो वहीं 2019 में वे बृजेंद्र सिंह के सामने फेल हो गए।
हिसार लोकसभा से भाजपा ने जताया भरोसा, बृजेंद्र सिंह इतने काबिल हैं कि उन पर तो भाजपा ने पहली ही बार में भरोसा जताया ओर लोकसभा का चुनाव लड़ने का मौका दिया। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने हिसार से बृजेंद्र सिंह को टिकट दिया ओर चुनावी मैदान में उतारा दिया। जैसा कि भाजपा को उम्मीद थी ठीक वैसा ही बृजेंद्र ने कर के भी दिखाया। हिसार की लोकसभा सीट जीतकर दिखा दी। डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला को दी थी मात, बृजेंद्र सिंह ने हिसार की संसदीय सीट पर जिस बड़ी शख्सियत को मात दी थी वो कोई और नहीं बल्कि अपने हरियाणा के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला थे। चौटाला परिवार के चश्मो चिराग दुष्यंत चौटाला भी बृजेंद्र सिंह के सामने टिक नहीं पाए थे। ये अपने आप मे रोचक बात है कि दुष्यंत चौटाला ने जहां साल 2014 का लोकसभा चुनाव अपने नाम किया था, तो वहीं 2019 में वे बृजेंद्र सिंह के सामने फेल हो गए।
3 लाख से ज्यादा वोटों से दी थी मात, बृजेंद्र सिंह ने पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ा और पहली ही बार में जीत कर भी दिखा दिया था। वो भी दुष्यंत चौटाला को हराकर। वोटो के बीच जीत का आंकड़ा भी इतना ज्यादा था कि शायद बृजेंद्र सिंह को भी एहसास ना रहा होगा कि जनता उन्हें इतना भर भर के प्यार देगी। हिसार की संसदीय सीट पर बृजेंद्र सिंह को 3 लाख 14 हजार से भी ज्यादा वोट हासिल हुए थे ओर इसी के साथ पिता बीरेंंद्र सिंह का मान भी बेटे ने रख लिया था। पिता का सिना गर्व से चौड़ा हो गया, जब उनका बेटा राजनीति में चमका और पहली ही बार मे सांसद बन गया। हिसार में पहली बार बृजेंद्र ने खिलाया कमल
बृजेंद्र सिंह ने इस जीत से ना केवल खुद को बेहतरीन साबित किया था बल्कि पहली बार हिसार में कमल को खिलाने का कारनाम कर दिखाया था।
बता दें कि हिसार वही जगह है जहां पर देवीलाल और भजनलाल के वंशजों का ही दबदबा रहा हे। ऐसे में बृजेंद्र सिंह ने हरियाणा के दो बड़े लाल कहे जाने वाले दिग्गजो के गढ़ में सेंध लगा दी थी। जहां भाजपा आज तक कमल खिलाने का महज सपना ही देख रही थी तो वहीं बृजेंद्र सिंह ने इस गढ़ में कमल खिला कर भाजपा का सपना पूरा करने का काम किया था। जहां भाजपा आज तक कमल खिलाने का महज सपना ही देख रही थी तो वहीं बृजेंद्र सिंह ने इस गढ़ में कमल खिला कर भाजपा का सपना पूरा करने का काम किया था।