आज के समय में भाजपा सशक्त नजर क्यों आती है, क्योकि आज के समय में भाजपा के पास कुछ एक ऐसे नेता हैं जो कि भाजपा के विचारधारा की जड़ों से जुड़े हुए है। ऐसे नेता हैं जो कि पार्टी को बदलने में नहीं बल्कि पार्टी के हालातों को बदलने का माद्दा रखते है। उन्हीं में से एक नेता हैं हमारे कृष्ण पाल गुर्जर। उनकी लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगा लीजिए कि उन्होंने तो पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल का रिकॉर्ड भी तोड़ दिया था। कौन सा वो रिकॉर्ड था, जिसे कृष्ण पाल गुर्जर ने तोड़ा, वो आपको आगे बताएंगे। हरियाणा की फरीदाबाद सीट से वे सांसद हैं। जो कि शुरू से लेकर अब तक भाजपा के साथ जुड़े हुए हैं ओर भाजपा के सुख दुख के वे साथी हैं।

कृष्ण पाल गुर्जर का जन्म 4 फरवरी 1957 में फरीदाबाद के मेवला में हुआ था ओर वे 66 वर्ष के हैं यानि के वे पीएम नरेंद्र मोदी से 6 साल छोटे हैं। उनके पिताजी का नाम चौ हंसराज गुर्जर था और माताजी का नाम सुनहेरो देवी था। जो कि जाने माने कृषक थे ओर समाजसेवी भी थे। कृष्ण पाल गुर्जर शादीशुदा हैं और उनकी पत्नि का नाम निर्मला देवी है। उनका एक बेटा भी है। छात्र जीवन से ही राजनीति में थे सक्रिय, सांसद कृष्ण पाल गुर्जर छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय थे। इसी का परिणाम था कि कॉलेज के दिनों में ही छात्रसंघ के जब चुनाव हुए थे, तब वे छात्रसंघ के महासचिव बने थे। इसके अलावा समाज सेवा के कामों में भी उनकी सक्रिय भूमिका रही। पार्षद से केंद्र की राजनीति का सफर, केंद्र की राजनीति में उतरने से पहले कृष्ण पाल गुर्जर ने नगर निगम के चुनाव में हाथ आजमाए थे। साल 1994 में हरियाणा में पहली बार फरीदाबाद नगर निगम के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के पार्षद रहे और नेता पार्षद दल रहे।..1996 में पहली बार लड़ा चुनाव, कृष्ण पाल गुर्जर ने अपनी जिंदगी का पहला बड़ा चुनाव साल 1996 में लड़ा था। भाजपा की टिकट पर वे चुनावी मैदान में थे। विधानसभा की सीट थी मेवला महाराजपुर ओर उनके सामने थे जाने माने राजनेता महेंद्र प्रताप सिंह। पहली बार विधानसभा के चुनाव में उतरे और पहली ही बार में जीत हासिल कर दिखा दिया। महेंद्र प्रताप को 37000 से अधिक वोटों से हरा दिया था और मेवला महाराजपुर से वे विधायक बने थे।

चौ. बंसीलाल की सरकार में पहली बार मिला था कैबिनेट का दर्जा, कृष्ण पाल गुर्जर को पहली बार कैबिनेट में शामिल होने का दर्जा चौ बंसीलाल की सरकार में मिला था। हरियाणा में चौधरी बंसीलाल की सरकार के रहते हरियाणा विकास पार्टी एवं भाजपा की गठबंधन सरकार थी ओर इसी सरकार में कृष्ण पाल गुर्जर को कैबिनेट में शामिल किया गया। जिस दौरान उनके पास सड़क परिवहन मंत्रालय का कार्यभार संभालने का मौका मिला। भाजपा के विधायक दल के नेता भी बने, कृष्ण पाल गुर्जर ने जो राजनीति का सफर शुरू किया था, उसपर वे लगातार आगे बढ़ते रहे। उनके किए कामों का ही असर रहा कि पार्टी ने भी कृष्ण पाल गुर्जर पर हर बार भरोसा जताया और नए नए पदों पर वे आसीन होते रहे। साल 2000 के हरियाणा के विधानसभा चुनाव हुए और इस बार फिर उन्होंने महेंद्र प्रताप को हराया और भाजपा के विधायक बने। इसी के साथ वे हरियाणा विधान सभा में नेता भाजपा विधायक दल भी रहे। यानि के साल 2000 में इनेलो की सरकार थी, तो वहीं भाजपा की ओर से विधायक दल के नेता बने थे।

तीन बार विधायक के रूप में हुए निर्वाचित, कृष्ण पाल गुर्जर को अपने राजनीति जीवन में तीन बार विधायक बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। एक तो साल 1996 में वे विधायक बने थे। फिर साल 2000 में वे विधायक बने। फिर इसके बाद वे साल 2009 में भी विधायक बने थे। इस साल सबसे हैरान करने वाली बात तो ये थी कि साल 2009 में भाजपा के केवल 4 विधायक ही जीत पाए थे। तो वहीं उन जीतने वाले विधायकों में कृष्ण पाल गुर्जर भी शुमार थे। फरीदाबाद की तिगांव विधानसभा सीट से कृष्ण पाल गुर्जर ने चुनाव जीता था। विधायक बनने के बाद सांसद बनने का सफर , सफलतापूर्वक विधायक का सफर तय करने के बाद कृष्ण पाल गुर्जर ने सांसद बनने का सफर भी उतनी ही बाखूबी से तय किया था। साल 2014 के आम चुनावों में भाजपा ने फरीदाबाद लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने का मौका दिया। कृष्ण पाल गुर्जर उम्मीदों पर खरे उतरे और उन्होंने बड़े मार्जिन से जीत हासिल की और इसी के साथ वे सांसद बन गए। तकरीनब 4 लाख से भी ज्यादा वोटों का मार्जिन उनकी जीत में था।

भजनलाल के रिकॉर्ड को भी तोड़ा, कृष्ण पाल गुर्जर ने सांसद का चुनाव तो जीता ही साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल के एक रिकॉर्ड को भी तोड़ डाला। जैसा कि हमने आपको बहुत शुरूआत में बताया था। फरीदाबाद की लोकसभा सीट पर 1989 में जहां भजनलाल को 4 लाख से ज्यादा वोट प्राप्त हुए थे, तो वहीं साल 2014 में कृष्ण पाल गुर्जर ने इस रिकॉर्ड को तोड़ा ओर उन्हें सबसे अधिक 6 लाख 52 हजार से भी ज्यादा वोट प्राप्त हुए थे। दो बार केंद्रीय कैबिनेट में मिली जगह, अपनी जीत और पार्टी के लिए निष्ठा से किए कामों का ही नतीजा रहा कि भाजपा ने दो बार कृष्ण पाल गुर्जर को केंद्रीय कैबिनेट में जगह दी। एक तो साल 2014 में सांसद बनने के बाद केंद्र की सरकार में वे सड़क परिवहन, राजमार्ग एवं जहाजरानी राज्यमंत्री बने। तो वहीं उसी साल जब कैबिनेट का विस्तार हुआ, तब सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के रूप में जिम्मेदारी संभाली।

भजनलाल के रिकॉर्ड को भी तोड़ा, कृष्ण पाल गुर्जर ने सांसद का चुनाव तो जीता ही साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल के एक रिकॉर्ड को भी तोड़ डाला। जैसा कि हमने आपको बहुत शुरूआत में बताया था। फरीदाबाद की लोकसभा सीट पर 1989 में जहां भजनलाल को 4 लाख से ज्यादा वोट प्राप्त हुए थे, तो वहीं साल 2014 में कृष्ण पाल गुर्जर ने इस रिकॉर्ड को तोड़ा ओर उन्हें सबसे अधिक 6 लाख 52 हजार से भी ज्यादा वोट प्राप्त हुए थे। दो बार केंद्रीय कैबिनेट में मिली जगह, अपनी जीत और पार्टी के लिए निष्ठा से किए कामों का ही नतीजा रहा कि भाजपा ने दो बार कृष्ण पाल गुर्जर को केंद्रीय कैबिनेट में जगह दी। एक तो साल 2014 में सांसद बनने के बाद केंद्र की सरकार में वे सड़क परिवहन, राजमार्ग एवं जहाजरानी राज्यमंत्री बने। तो वहीं उसी साल जब कैबिनेट का विस्तार हुआ, तब सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के रूप में जिम्मेदारी संभाली।

जुलाई 2021 में भारतीय जनता पार्टी के हरियाणा के फरीदाबाद से लोकसभा सदस्य कृष्ण पाल गुर्जर को बिजली राज्यमंत्री का पदभार दिया गया। विद्युत मंत्रालय के बयान के अनुसार उन्होंने बिजली और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा कैबिनेट मंत्री आर के सिंह की उपस्थिति में बिजली राज्यमंत्री का पदभार संभाला था। 17वीं लोकसभा के लिये चुने जाने के बाद मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में उन्हें फिर से सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्यमंत्री की जिम्मेदारी दी गयी थी।
विद्युत मंत्रालय के बयान के अनुसार उन्होंने बिजली और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा कैबिनेट मंत्री आर के सिंह की उपस्थिति में बिजली राज्यमंत्री का पदभार संभाला था। 17वीं लोकसभा के लिये चुने जाने के बाद मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में उन्हें फिर से सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्यमंत्री की जिम्मेदारी दी गयी थी।
17वीं लोकसभा के लिये चुने जाने के बाद मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में उन्हें फिर से सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्यमंत्री की जिम्मेदारी दी गयी थी।