नाम में जिनके कैप्टन है, कांग्रेस के वे नेता हैं और अपने नाम की ही तरह वे अजेय भी हैं। लगातार 25 सालों से विधायक हैं। बिल्कुल सही पकड़ा है आपने, आज के इस एसएनए में हम कैप्टन अजय यादव के बारे में जानेंगे। वे एक ऐसे नेता हैं, जिन्होंने अपने अड़ियल स्वभाव के सामने कांग्रेस को भी झुकने पर मजबूर कर दिया। कैसे मजबूर किया, उसके बारे में आपको आगे बताएंगे। कैप्टन अजय यादव का राजनीतिक इतिहास काफी मजबूत रहा है और रेवाड़ी जिले के तो मतदाताओं के बीच में उनकी अच्छी खासी पकड़ भी रही है। यही कारण है कि कांग्रेस के आलाकमान भी कैप्टन अजय यादव को हल्के में लेने की गलती नहीं करते हैं। तो फिर ऐसे ही सशक्त, मजबूत और स्वभाव से जो सख्त है।

कैप्टन अजय यादव का जन्म 2 नवंबर 1958 में रेवाड़ी के साहरनवास में हुआ था और वे 64 वर्ष के हैं। उनके 2 बेटे हैं। जिनमें से एक चिरंजीव यादव है और पिता की ही तरह राजनीति में है। रेवाड़ी से साल 2019 में कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत कर भी दिखाया। कैप्टन अजय यादव ने जयपुर, चंडीगढ़, नई दिल्ली और रेवाड़ी सहित विभिन्न स्थानों पर पढाई की और बीएससी व एलएलबी की डिग्री प्राप्त की। पिता भी थे राजनीति के माहिर खिलाड़ी, हमने आपको पहले ही बताया कि कैप्टन अजय यादव का राजनीतिक इतिहास काफी मजबूत रहा है। बता दें कि इनके पिता राव अभय सिंह ने 1952 में हुए विधानसभा चुनाव में हरियाणा की राजनीति की धुरी माने जाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री व राव इंद्रजीत के पिता राव बीरेंद्र सिंह को शिकस्त दी थी। अभय सिंह कांग्रेस के टिकट से लड़े थे। वे भी राजनीति के माहिर खिलाड़ियो में से एक थे और राजनीति में उनकी पकड़ भी काफी मजबूत थी।

भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट थे अजय यादव, राजनीति में उतरने से पहले अजय यादव ने फौजी के तौर पर मां भारती की सेवा भी की है। जानकारी के मुताबिक 1980 में वे भारतीय सेना में द्वितीय लेफ्टिनेंट बने और 7 साल तक इस पद पर बने रहे। फिर इसके बाद वे राजनीति में आए। 26 जून 1987 को कप्तान के रूप में अजय यादव ने इस्तीफा दे दिया। अपनी सैन्य सेवा के बाद ही उन्होंने रेवाड़ी जिले में राजनीति की शुरूआत की थी। पूर्व पीएम राजीव गांधी को मानते हैं गुरू, कैप्टन अजय यादव की गांधी परिवार से तथाकथित निकटता रही है। वे हमेशा से पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को ही अपना गुरू मानते आए हैं। इनके पिता राव अभय सिंह भी इंडियन नेशनल कांग्रेस से विधायक रहे थे। कैप्टन अजय यादव खुद को पक्का कांग्रेसी कहते हैं और ये भी कहते हैं कि वे मरते दम तक कांग्रेस में ही रहेंगे।

1989 में लड़ा पहला चुनाव , सेना की नौकरी छोड़ने के बाद कैप्टन ने 1989 में पहला विधानसभा चुनाव लड़ा था। कांग्रेस के टिकट पर रेवाड़ी विधानसभा क्षेत्र से उन्होंने चुनाव लड़ा और राव बीरेंद्र सिंह के मंझले बेटे राव अजीत सिंह को हराया दिया था। तभी से जीत का जो सिलसिला जारी हुआ, उसे उन्होंने छोड़ा नहीं और कमान बना कर रखा। लगातार 6 बार बने विधायक, कैप्टन अजय यादव ने राजनीति में इतिहास के पन्नों पर अलग रिकॉर्ड ही बना डाला है कि लगातार 6 बार वे रेवाड़ी से जीते और विधानसभा पहुंचे। जबकि किसी नेता के लिए इतनी बार जीत को बरकरार रख पाना मुमकिन शायद ही होगा। 1989 में पहली बार चुनाव जीता और लगातार 6 बार इस सीट पर अपनी पैठ को बनाए रखा। 2014 मोदी लहर में हारे, लगातार 6 बार जीत दर्ज करने वाले कैप्टन अजय यादव के खाते में हार भी आई। साल 2014 में मोदी लहर के चलते कैप्टन अजय यादव को हार को मुंह देखना पड़ा था।

भाजपा के रणधीर कापड़ीवास से वे हार गए थे। लेकिन हार के बाद भी उन्होने अपने जज्बे को बनाए रखा और फिर इसके बाद वे गुड़गांव में ही रहकर लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुट गए थे। विधानसभा के 5 सत्र और 25 साल देखे, कैप्टन अजय यादव हरियाणा कांग्रेस के धाकड़ नेताआें में से एक हैं। राजनेता के तौर पर अजय यादव ने अपनी पारी को बेहतरीन तरीके से निभाया है। ये अपने आप में बड़ी उनलब्धि है कि कैप्टन अजय यादव ने हरियाणा विधान सभा में एक सदस्य के रूप में लगातार पांच सत्र देखे हैं और कुल 25 साल से वे विधायक के तौर पर मनोनीत होते रहे।..कई बड़े पदों की संभाली कमान, अजय यादव ने अपने राजनीति जीवन मे कांग्रेस के लिए कई बड़े पदों की कमान भी संभाली है। 2008 तक वह बिजली, वन और पर्यावरण मंत्री थे, वर्तमान में वे ओबीसी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं ।

कांग्रेस विधायक दल के उपनेता रहे। हरियाणा प्रदेश किसान कांग्रेस कमेटी के सचिव रहे। इसके अलावा वे कांग्रेस की सरकार में मंत्री रहे। उनके पास जेल, मुद्रण और स्टेशनरी, सामाजिक कल्याण, महिलाओं एवं बाल विकास जैसे मंत्रालय थे। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के राज्य पर्यवेक्षक भी रहे। उन्होने राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और मध्य प्रदेश विधानसभा और लोकसभा चुनाव की कमान भी संभाली।…दक्षिण हरियाणा में कैप्टन अजय यादव की है अच्छी पैठ, कैप्टन अजय यादव ऐसे नेता हैं, जो कि हरियाणा के दक्षिणी छोर में अच्छी खासी पैठ रखते हैं। इस इलाके में वे कद्दावर नेता हैं। बड़ी बात तो ये है कि दक्षिण हरियाणा में जब भी कांग्रेस कमजोर हुई है, तो सत्ता में काबिज नहीं हो पाई है। तभी तो रेवाड़ी से लगातार 6 बार चुनाव जीतने के कारण पूरे इलाके में कैप्टन अजय यादव की तूती बोलती है। सिर्फ रेवाड़ी ही नहीं बल्कि आसपास के विधानसभा क्षेत्रों में भी उनका अच्छा खासा दखल है।

जब कैप्टन ने छोड़ दिया था कांग्रेस का साथ, भले ही कैप्टन अजय यादव बेशक कांग्रेस को मजबूत करने के लिए कोशिशों में लगे हुए हैं लेकिन एक समय ऐसा भी आया था जब कैप्टन अजय यादव ने एकाएक कांग्रेस को झटका देते हुए पार्टी का साथ ही छोड़ दिया था। बात साल 2016 की है। जब कांग्रेस से हताश होकर कैप्टन ने अपना इस्तीफा हाईकमान को भेज दिया था और इसका ऐलान उन्होंने टवीटर पर कर दिया था। अजय यादव के ऐलान करने की देर ही थी कि हरियाणा से लेकर दिल्ली तक कांग्रेस में खलबली मच गई थी और हाइकमान ने उनको मनाने की भरसक कोशिशें भी की थी। तभी तो हमने आपको शुरूआत में कहा था कि अपने अड़ियल स्वभाव के सामने उन्होंने कांग्रेस को भी झुका दिया था। ये पहली बार नहीं था, इससे पहले भी कई बार कैप्टन अजय यादव ने सियासी पैंतरों से कांग्रेस को दबाव में ला दिया था।

अजय यादव कांग्रेस के लिए जरूरी क्यों? आप सोच रहे होंगे कि जब कांग्रेस में एक से बढ़कर एक बड़े नेता हैं, तो फिर अजय यादव को मनाने की इतनी कोशिश क्यों की गई। तो आपको बता दें कि दक्षिण हरियाणा से कैप्टन अजय यादव कद्दावर नेता हैं और उससे भी बड़ी बात ये कि अंतर्कलह से जूझ रही कांग्रेस के लिए अजय यादव का चला जाना वो नुक्सान कर सकता था, जिस कभी पूरा नहीं किया जा सकता था। सत्ता दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले दक्षिणी हरियाणा में कांग्रेस की अंतर्कलह पार्टी को घुटनों पर ला सकती थी। अजय यादव की बिहार से है राजनीतिक रिश्तेदारी, हरियाणा के नेता कैप्टन अजय यादव की रिश्तेदारी बिहार से भी है। इनके बेटे चिरंजीव बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री व राजद प्रमुख लालू यादव एवं पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के दामाद हैं। इनके छोटे साले तेजस्वी यादव बिहार के उप मुख्यमंत्री रह हैं। तो वहीं बेटे चिरंजीव युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं।