हरियाणा के थानेसर से करीब तीन दशक पहले पहली बार विधायक चुने गये थे अशोक अरोड़ा, वे 1990 के बाद 1996, 2000, 2009 में 4 बार विधायक रह चुके हैं। ताऊ देवीलाल और चौटाला परिवार के बेहद करीब होने के कारण उन्हें 15 साल तक इनेलो के प्रधान यानी प्रदेशाध्यक्ष बनाए रखा गया, जबकि इस बीच वे चेयरमैन, विधानसभा अध्यक्ष और कैबिनेट मंत्री के पद पर भी रहे। प्रदेश में अरोड़ा की पहचान एक प्रखर नेता के साथ साथ पंजाबी समुदाय के बड़े नेता की भी रही है। वर्ष 1990 में हुए उपचुनाव में चौ. देवीलाल ने अशोक अरोड़ा को थानेसर विधानसभा से प्रत्याशी बनाया था, उस समय अशोक अरोड़ा ने कांग्रेस के पूर्व कद्दावर मंत्री देवेंद्र शर्मा को पराजित किया। चौ. देवीलाल ने अरोड़ा को हरियाणा कृषि मार्किटिंग बोर्ड का चेयरमैन नियुक्त किया था।

वर्ष 1990 1996, 2000 तथा 2009 में भी अरोड़ा थानेसर विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे। उन्होंने कभी अपना विधानसभा क्षेत्र नहीं बदला। वे चौ. ओमप्रकाश चौटाला के मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री रहे, जबकि 1999 में हरियाणा विधानसभा के स्पीकर भी रह चुके हैं। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2005 में अशेाक अरोड़ा ने इनेलो पार्टी प्रदेशाध्यक्ष की जिम्मेवारी संभाली थी। और लगातार 14 वर्षों तक वह पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बने रहे. इस्तीफा देने के बाद ही इस पद से हटे। वे चार बार विधायक रहते हुए एक बार प्रदेश के परिवहन मंत्री भी रहे हैं। पार्टी ने वर्ष 2009 का लोकसभा और विधानसभा चुनाव उन्ही के नेतृत्व में लड़ा था। तब इनेलो ने लोकसभा में तो कोई सीट नहीं जीती, मगर विधानसभा में 32 सीटों पर दर्ज की थी। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव भी उनके नेतृत्व में लड़ते हुए इनेलो ने 2 सीटें और विधानसभा में 19 सीटें जीती थी। मगर अब वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भी इनेलो को करारी शिकस्त मिली।

विपक्ष में रहकर हुड्डा सरकार पर करते थे तीखे हमले, , बात 2012 की है जब प्रदेश में हुड्डा की सरकार थी तब अशोक कुमार अरोड़ा ने कहा कि मौजूदा सरकार की गलत नीतियों के कारण प्रदेश कर्ज के बोझ में डूब गया है। हरियाणा में बजट से ज्यादा कर्ज होने के कारण मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा द्वारा प्रदेश की उन्नति की बात करना बेमानी है। उन्होंने आगे कहा कि हरियाणा का एक साल का बजट 53 हजार करोड़ रुपए है और कांग्रेस सरकार की गलत नीतियों के कारण प्रदेश के ऊपर 60734 करोड़ रुपए का कर्ज है। उन्होंने कहा कि कर्ज के बोझ में डूबे प्रदेश में विकास के दावे कांग्रेसी किस मुंह से कर रहे है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के बजट का 26 प्रतिशत पैसा तो कर्ज के लोन व ब्याज को चुकता करने में चला जाता है और 27 प्रतिशत बजट वेतन में चला जाता है। उन्होंने कहा कि आज प्रदेश नाजुक दौर से गुजर रहा है। उन्होंने कहा कि आज प्रदेश में हालत ऐसे है कि खाद, बीज व कीटनाशक दवाईयों के दामों में तो रिकार्ड तोड़ वृद्धि हो रही है जबकि किसानों को फसलों के दाम पिछले वर्ष के मुकाबले में काफी कम मिल रहे हैं। यह तो हुई तब की बात जब वह कांग्रेस के विरोधी थे लेकिन अब वक्त ने करवट ली और आज वह उसी कांग्रेस पार्टी में हैं और उसी भूपेंद्र सिंह हुड्डा साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े नजर आते है। वह कब कैसे कांग्रेस में आए यह भी आपको बताएंगे।

एक वक्त आया जब हार की जिम्मेदारी लेते हुए दे दिया था इस्तीफा, हरियाणा में लोकसभा चुनाव 2019 में करारी शिकस्त के बाद इनेलो के प्रदेशाध्यक्ष अशेाक अरोड़ा ने इसकी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए पद छोड़ दिया था। उन्होंने न केवल अपने इस्तीफे की पेशकश की थी, बल्कि इनेलो सुप्रीमो एवं पूर्व सीएम ओपी चौटाला को अपना इस्तीफा भी सौंप दिया था और भेजे गए इस्तीफे में उन्होंने पार्टी की हार की पूरी जिम्मेवारी खुद पर ले ली थी। तब प्रदेशाध्यक्ष अशोक अरोड़ा ने कहा था कि उन्होंने लोकसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन न कर पाने पर अपने पद से त्याग-पत्र दे दिया है। इस्तीफा पार्टी सुप्रीमो चौधरी ओमप्रकाश चौटाला को सौंप दिया है। उन्होंने आगे कहा कि आपने और आपके परिवार ने मुझे जो मान-सम्मान दिया, उसके लिए वे आपका हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। अरोड़ा ने पार्टी के सभी वरिष्ठ साथियों एवं कार्यकर्ताओं से जो सहयोग एवं समर्थन मिला, उसके लिए उन सभी का भी आभार व्यक्त किया था।

पहले भी कई बार इस्तीफा दे चुके हैं अरोड़ा, इनेलो के प्रदेश अध्यक्ष अशोक अरोड़ा ने पार्टी की हार के बाद पद से इस्तीफा दे दिया, लेकिन ऐसा पहली बार नहीं हुआ था, इससे पहले भी उन्होंने वर्ष 2005, 2009 और 2014 में पद से इस्तीफा दे चुके है, लेकिन पार्टी सुप्रीमो ओम प्रकाश चौटाला ने इसे स्वीकार नहीं किया था। जब इस्तीफे के बाद भी बुलाए गए इनेलो की बैठक में, इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला 2019 को कुरुक्षेत्र की पंजाबी धर्मशाला में कार्यकर्ताओं की बैठक लेने पहुंच रहे थे। 15 साल से कुरुक्षेत्र में इनेलो की यह पहली बैठक होनी थी, जिसमें अशोक अरोड़ा नहीं होने थे। किसान सेल के प्रदेशाध्यक्ष बूटा सिंह लुखी ने बताया कि उन्होंने अशोक अरोड़ा को फोन करके निमंत्रण दिया है। उधर अरोड़ा ने कहा था कि वे अब इनेलो छोड़ चुके हैं। लिहाजा मीटिंग में नहीं जायेंगे। लेकिन लुखी ने कहा था कि अशोक अरोड़ा का पार्टी में लंबा अनुभव रहा है। इसलिए फोन करके उनसे बैठक के लिए सलाह-मशविरा करना चाहा था।

जब कहा था थानेसर की जनता के साथ मेरा पारिवारिक रिश्ता, अशोक अरोड़ा ने अपने 2014 के चुनाव प्रचार अभियान के दौरान जनसभाओं को संबोधित करते हुए कहा था कि थानेसर हलके की जनता के साथ उनका राजनैतिक नहीं बल्कि पारिवारिक रिश्ता है और जनता ने उन्हें चार बार विधायक बनाकर जो मान-सम्मान दिया है, उसे वह कभी नहीं भुला सकते। ऐसा नहीं है के यह बात उन्होंने पहली बार कही हो वे अक्सर अपनी जनसभा में व्यक्तिगत संवाद में इस तरह की बात कहते रहते हैं। अरोड़ा ने लोगों से वोट देने की अपील करते हुए कहा था की वे वोट देने से पहले प्रत्याशियों के बीच गुण-दोष के आधार पर तुलना अवश्य करें। उस वक्त सैकड़ों लोगों ने कांग्रेस व भाजपा छोडक़र इनैलो में शामिल होने की घोषणा करते हुए अशोक अरोड़ा को विजयी बनाने का आश्वासन दिया था। अशोक अरोड़ा ने इन सभी का समर्थन देने पर व पार्टी में शामिल होने पर आभार व्यक्त करते हुए कहा था कि आज पूरे प्रदेश में इनैलो की हवा चल रही है और जनता ने कांग्रेस व भाजपा का सफाया करके इनेलो की सरकार बनाने का इरादा बना लिया है। लेकिन जब चुनावो नतीजे आए तो तस्वीर बिल्कुल उलट थी प्रदेश में भाजपा की सरकार बन चुकी थी और इनेलो का बहुत ही बुरा दौर शुरू हो चुका था।

वह किधर जाएंगे इस पर भी पूरे प्रदेश और देश में कयास लगे थे, बता दे कि अरोड़ा लोकसभा चुनाव के बाद करीब चार माह के अज्ञातवास के बाद अपने समर्थकों के बीच आए थे, जहां रायशुमारी के बाद उन्होंने चुप्पी तोड़ी थी। शुरू में अगली रणनीति बारे में उन्होंने चुप्पी साधी हुई थी। उन्होंने कहा करीब एक माह तक वे मंथन करेंगे। इसके बाद अगली रणनीति का खुलासा करेंगे। अरोड़ा खुद की राजनीति के साथ अगली पीढ़ी में अपनी राजनीतिक विरासत पुत्र हिमांशु अरोड़ा को किसी मजबूत पार्टी में शामिल होकर देने पर विचार कर रहे थे। हालांकि सूत्र बताते हैं कि 2019 के लोकसभा चुनाव से काफी पहले भी उन्हें टिकट का आश्वासन देने के साथ भाजपा में लाने की कवायद शुरु हुई थी, लेकिन इनेलो के पतन के बावजूद उससे जुड़ी निष्ठा की बदौलत इस ऑफर को ठुकरा दिया था। यहां रोचक पहलू यह भी है कि इन दोनों संभावनाओं के बीच अरोड़ा को एक नई संभावना भी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की ओर से दी गई थी। इसकी पुष्टि खुद अशोक अरोड़ा ने एक मीडिया चैनल को दिए साक्षात्कार में की थी।

जब दुष्यंत चौटाला ने किया था बड़ा हमला,
जेजेपी नेता दुष्यंत चौटाला ने कहा था कि कांग्रेस में शामिल हुए इनेलो के पूर्व नेता अशोक अरोड़ा को जनता के सामने बताना चाहिए कि गद्दार कौन है। डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने अशोक अरोड़ा के कांग्रेस में शामिल होने पर सवाल खड़ा किया था. उन्होंने कहा, ‘हमें अशोक अरोड़ा ने गद्दार कहा था और पार्टी से निकाला था. अब अरोड़ा ने कांग्रेस ज्वाइन की है और इनेलो अरोड़ा को गद्दार कह रही है. इस पर अशोक अरोड़ा को जनता के सामने आकर स्पष्टीकरण देना चाहिए’।
जब भारत जोड़ो यात्रा से का बढ़ा कद, राहुल गांधी की कुरुक्षेत्र पहुंची भारत जोड़ो यात्रा से कुरुक्षेत्र का राजनीतिक माहौल काफी गरमा गया था । यात्रा के दौरान अशोक अरोड़ा का भी वर्चस्व नजर आया था। राजनीतिक क्षेत्रों में आम चर्चा है कि यात्रा से अरोड़ा का कद भी बढ़ा है। यात्रा के दौरान भी वे काफी उत्साहित और खुश नजर आए थे। पत्रकारों से बातचीत करते हुए नेता जी ने कहा था कि राहुल गांधी की यात्रा में उमड़ी भीड़ साफ बता रही है कि अब देश और प्रदेश में बदलाव होने जा रहा है। उन्होंने कुरुक्षेत्र की जनता का धन्यवाद करते हुए सभी कांग्रेस के छोटे बड़े नेताओं का भी धन्यवाद किया था।