रणजीत सिंह चौटाला चौधरी देवी लाल के पुत्र हैं वो देवीलाल जिन्होंने भारत के पूर्व उप प्रधान मंत्री के रूप में दो बार सेवा की। रणजीत सिंह एक शक्तिशाली राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखते हैं जिन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया था। रणजीत सिंह के चाचा साहिब राम सिहाग 1937 और 1946 में विधानसभा के सदस्य थे और उनके पिता देवी लाल 1951 से राजनीति में थे। इनकी पत्नी का नाम श्रीमती इंदिरा सिहाग और बेटे का नाम गगनदीप सिंह है। चौधरी रणजीत सिंह चौटाला भाजपा जजपा सरकार में बिजली और जेल मंत्री है। निर्दलीय होते हुए भी वे सशक्त और कद्दावर मंत्री हैं। जिनकी भाजपा मंत्रियों की तरह तूती बोलती है। ऐसी और भी छोटी बड़ी खूब सारी जानकारी मंत्री रणजीत सिंह चौटाला के बारे।

राजनेतिक आगाज, 1987 में वे लोकदल के टिकट पर रोड़ी विधानसभा से 7वीं विधानसभा के विधायक चुने गए। उन्होंने हरियाणा के कृषि मंत्री के रूप में भी कार्य किया तब उनके पिता चौधरी देवी लाल मुख्यमंत्री थे। 1990 में वे हरियाणा से राज्य सभा के सांसद भी चुने गए और उनके पिता उस समय भारत के उपप्रधान मंत्री थे। वह 2005 – 2009 में राज्य योजना बोर्ड, हरियाणा के उपाध्यक्ष थे। 2019 में उन्होंने रानिया विधान सभा से हरियाणा की 14 वीं विधानसभा का चुनाव लड़ा और निर्दलीय विधायक के रूप में जीत हासिल की और मंत्री बने। जब खुली किस्मत, इकलौते निर्दलीय विधायक जो बने मंत्री, नवंबर 2019 में हरियाणा कैबिनेट के गठन में रणजीत सिंह चौटाला की शानदार लॉटरी लगी। मनोहर लाल की नई कैबिनेट में शामिल होने वाले एकमात्र निर्दलीय विधायक हैं। दुष्यंत चौटाला के बाद मंत्री पद की शपथ लेने वाले चौटाला परिवार के दूसरे सदस्य हैं। रणजीत सिंह हरियाणा की रानियां विधानसभा सीट से चुनाव जीत कर विधानसभा पहुंचे हैं।

वे इस बार निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर जीते हैं। इन्होंने सबसे पहले भाजपा को अपना समर्थन दिया था। शायद मंत्री पद इसी का इनाम है। चौटाला परिवार से ताल्लुक रखने वाले रणजीत की रानियां में खासी पहचान है। बता दें कि रणजीत चौटाला इससे पहले भी मंत्री रह चुके हैं। हालांकि इस बार वो लंबे अरसे के बाद कोई चुनाव जीते हैं। कांग्रेस से टिकट कटने पर वे निर्दलीय मैदान में उतरे और हरियाणा लोकहित पार्टी के गोविंद कांडा को 19431 वोटों से हराया। 32 साल बाद फिर से साबित की काबिलियत, हरियाणा की राजनीति में चौटाला परिवार का बोलबाला रहा है। 36 साल पहले 1987 में पिता जननायक देवीलाल की सरकार में मंत्री बनने वाले रणजीत सिंह अब 35 साल के पोते दुष्यंत चौटाला के साथ सरकार की सबसे मजबूत धुरी नजर आ रहे हैं। एक ही विधानसभा में पांच विधायक बनाने का गौरव हासिल करने वाले देवीलाल परिवार पर मौजूदा गठबंधन सरकार का दारोमदार टिका हुआ है। वहीं रणजीत चौटाला को दुष्यंत चौटाला ने मंत्री बनाने में बड़ा योगदान दिया, इस बात की भी हरियाणा में चर्चाएं हैं।

रणजीत सिंह जहां मौजूदा मंत्रिमंडल में सबसे पुराना अनुभव रखते हैं, दुष्यंत चौटाला बेशक उप मुख्यमंत्री के रूप में मंत्रिमंडल की टीम की उपकप्तानी कर रहे हैं, लेकिन रणजीत सिंह भी सबसे पुराने और मजबूत स्तम्भ होने के चलते गठबंधन सरकार में निर्णायक भूमिका निभा रहे है। 1987 के बाद पहली बार देवीलाल परिवार के दो सदस्य एक साथ मंत्रिमंडल में शामिल हुए हैं। जब रणजीत चौटाला हो गए थे करोना पॉजिटिव, 2020 अगस्त, में 74 वर्षीय मंत्री ने हरियाणा विधानसभा के एक दिवसीय मानसून सत्र में हिस्सा लिया था और सोशल डिस्टेंसिंग की अनदेखी करते हुए बरोदा उपचुनाव के लिए प्रचार भी कर रहे थे. तभी उनकी तबीयत खराब होने की वजह से उनका कोरोना टेस्ट किया गया तो करोना पॉजिटिव निकले। जिसकी घोषणा मंत्री रणजीत चौटाला ने ट्विटर पर लिख कर की थी : “डॉक्टर की सलाह पर, मैं होम क्वारंटाइन में रहूंगा। मैं हाल ही में मुझसे मिलने वाले सभी लोगों से कोविड टेस्ट कराने का आग्रह करता हूं। मेरी तबीयत ठीक है।” इससे पहले चौटाला साहब बिजली मंत्री बनते ही आए थे एक्शन में, रणजीत चौटाला ने मंत्री बनते ही कहा था कि वे एक महीने में प्रदेश की बिजली व्यवस्था सुधार देंगे.

उन्होंने ये भी कहा कि जो ऑफिसर सही से नहीं चलेगा वे उसे चलने नहीं देंगे. रणजीत सिंह का कहना है कि वे भले ही नरम और शालीन स्वभाव के हैं लेकिन जो ऑफिसर सही से नहीं चलेगा वे उसे चलने नहीं देंगे। सिर्फ अफसरों को ही नही परिवार को भी सुना चुके खरी-खरी, रणजीत चौटाला खरी-खरी बातें कहने के लिए मशहूर हैं। उन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह उनकी कही हुई बात का कोन क्या मतलब निकलेगाा। राजनीति में सही को सही और गलत को गलत कहना उनकी पहचान बन चुकी है। ऐलनाबाद उपचुनाव के नतीजों के बाद रंजीत चौटाला ने कहा है कि चौधरी देवीलाल के परिवार का कोई सदस्य किसी खुशफहमी में न रहे। उन्हें अगर वोट और पहचान मिल रही है तो वह स्व. देवीलाल की वजह से ही मिल रही है। रणजीत चौटाला अपने परिवार के सदस्यों के बीच चल रही लड़ाई से काफी आहत हैं, लेकिन किसी का समर्थन या विरोध कर वह विवादित नहीं होना चाहते।

परिवार के लोग पहले भी चुने जाते रहे हैं और आगे भी चुने जाते रहेंगे, लेकिन भले ही उनका अपना कोई असर और प्रभाव हो, लेकिन इस सच्चाई को कतई नकारा नहीं जा सकता कि सभी को देवीलाल के किए कामों की बदौलत वोट मिलते हैं। कांग्रेसी नेता भूपेंद्र हुड्डा की करते हैं आज भी इज्जत, रणजीत चौटाला पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बेहद करीबी रहे हैं। पार्टी छोड़ने के बावजूद वह हुड्डा की इज्जत करते हैं। रणजीत चौटाला का कहना है कि कांग्रेस में आज सिर्फ एक ही नेता है और वह भूपेंद्र सिंह हुड्डा है। यदि हुड्डा अकेले अपने दम पर भी चुनाव लड़ें तो आज प्रदेश में 15 से 17 विधायक अकेले लाने का दम रखते हैं। प्रदेश अध्यक्ष कुमारी सैलजा का राज्य में कोई जनाधार या पहचान नहीं है। ऐलनाबाद के चुनाव में सैलजा जब गांवों में जाती थी तो लोग पूछते थे कि यह महिला कौन है। जब कहा राहुल गांधी ने किया कांग्रेस का बंटाधार, चौटाला ने कहा कांग्रेस पार्टी की दुर्दशा के लिए राहुल गांधी है जिम्मेदार, चौटाला ने कांग्रेस की दुर्दशा पर राहुल गांधी को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने कहा कि जिस पार्टी का सेनापति न हो उस पार्टी का हश्र ऐसा ही होता है।

चौधरी रणजीत सिंह चौटाला ने हरियाणा की कांग्रेस की स्थिति पर भी चिंता व्यक्त की है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस की गलत नीतियों के कारण ही आज देश भर में कांग्रेस की ऐसी दुर्दशा है. कांग्रेस के कद्दावर नेता अब कांग्रेस छोड़ रहे है। अभय चौटाला की वजह से बेटे को लड़ना पड़ रहा जिला परिषद चुनाव, अक्टूबर 2022 में बेटे द्वारा जिला परिषद का चुनाव लड़ने को लेकर बिजली मंत्री रणजीत सिंह ने कहा कि अभय चौटाला की एक गलती के चलते उनके परिवार को चुनाव लड़ने के लिए मजबूर किया है। उन्होंने कहा कि यह शोभा नहीं देता कि चौधरी देवीलाल का परिवार पंचायत चुनाव लड़े। दरअसल अभय के बेटे करण चौटाला भी जिला परिषद का चुनाव लड़ रहे हैं और उन्होंने रणजीत सिंह के परिवार को भी चुनाव लड़ने के लिए ललकारा था। रणजीत सिंह बोले, कभी नहीं चाहा था कि बेटा छोटा चुनाव लड़े। उन्होंने बताया कि चौधरी देवीलाल बहुत बड़े आदमी थे। आज उनका परिवार जिला परिषद का चुनाव लड़े यह उनके लिए एक अच्छी श्रद्धांजलि नहीं है। उन्होंने कहा कि उनके बेटे को तो अभय सिंह चौटाला की एक गलती के कारण मजबूर होकर चुनाव लड़ना पड़ रहा है।

तो इसी तरह से कह सकते हैं कि चौधरी रणजीत सिंह चौटाला ने हमेशा उसूलों का जीवन जिया और उसूलों की राजनीति की है। उनके लिए उनके पिता का नाम उनका मान सम्मान सबसे बड़ा है। उसी का झंडा लिए वह आज तक चल रहे हैं। अगर देवीलाल की विरासत का झंडा सच में कोई उठाए हुए है तो वो ओम प्रकाश चौटाला नही रणजीत चौटाला को कहा जा सकता है। इससे पहले आप मंत्री रणजीत के बारे कितना जानते थे हमें जरूर बताइए और कितना आज जाना है वह भी कमेंट करके बताइए।