5 बार विधायक, 3 बार मंत्री और 2 बार भाजपा प्रदेशाध्यक्ष रहे है रामबिलास शर्मा। रामबिलास शर्मा के प्रदेश अध्यक्ष काल में भाजपा ने पहली बार हरियाणा में 2014 में पूर्ण बहुमत से सत्ता हासिल की थी। यानी कि सरकार बनाई थी जो आज तक जारी है। रामविलास शर्मा ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस से जुड़ राजनीति की शुरुआत की। उसके बाद इमरजेंसी में आपातकाल में जेल में भी रहे। उसके बाद उस वक्त उन्होंने भाजपा का झंडा बुलंद किया जब हरियाणा में कोई भी इस पार्टी का नाम लेवा नहीं था उसके मंत्री बने अध्यक्ष बने फिर बाद में कैसे वह राजनीति में हाशिए पर चले गए ।

रामविलास शर्मा 12 मार्च 1948 को महिंदरगढ़ जिले के राठीवास गांव में पैदा हुए। जयराम शर्मा के परिवार में पैदा होने वाले रामविलास 8 भाई बहनों के भरे पूरे किसान परिवार के बेटे है। उनकी 6 बहने और 1भाई हैं। उन्होंने बचपन में कई चुनौतियों का सामना किया था लेकिन अपनी शिक्षा से कभी समझौता नहीं किया। उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा देवराली और स्वरूपगढ़ के सरकारी प्राथमिक स्कूलों से पूरी की। 1967 में माधोगढ़ स्कूल से अपनी उच्च माध्यमिक शिक्षा पूरी करने के बाद, उन्होंने महेंद्रगढ़ डिग्री कॉलेज से बीए पूरा किया। एक वक्त आया जब जुड़े आरएसएस से, कॉलेज के दौरान उन्हें आरएसएस के प्रचारक राजिंदर सिंह द्वारा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़वाया गया ।

आरएसएस से प्रभावित होकर शर्मा ने इसके विकास में योगदान देना शुरू किया। 1970 में स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के तुरंत बाद, अपने पिता की इच्छा को पूरा करने के लिए, उन्होंने 15 जून 1970 को बिमला देवी से शादी की। अपनी शादी के तुरंत बाद, वह संघ की दिल्ली झंडेवाला शाखा में जिम्मेदारियों को संभालने के लिए दिल्ली के लिए रवाना हुए, जहां वे अंग्रेजी दैनिक मातृभूमि के लिए एक प्रूफरीडर के रूप में शामिल हुए थे । समवर्ती रूप से, उन्होंने 1971 से 1973 तक गाजियाबाद विश्वविद्यालय में शाम की कक्षाओं में भाग लेकर अंग्रेजी में स्नातकोत्तर, एमए किया । एमए पूरा करने के बाद, भिवानी के किरोडीमल कॉलेज से बीएड की पढ़ाई करते हुए उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। अपनी शिक्षा और नियमित खर्चों को पूरा करने के लिए चुनौतियों का सामना करना पड़ा और यहां तक ​​कि रात के चौकीदार के रूप में भी काम किया। उस समय उन्हें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) द्वारा अपनी झज्जर इकाई के लिए “प्रचारक” के रूप में चुना गया था ।

बाबा भोलेनाथ के बड़े भक्त हैं रामविलास शर्मा, वह भगवान शिव के भी एक उत्साही भक्त हैं और उन्होंने बाबा भूरास्ता के एक प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था, जिसे उनके पैतृक गांव राठीवास में एक खुदाई के दौरान खोजा गया था। उन्होंने भगवान शिव का आशीर्वाद लेने के लिए हरिद्वार से अपने पैरों पर 17 से अधिक कांवर यात्राएं भी की थीं और इस क्षेत्र में कई धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया था। तो आप समझ सकते है के भोले नाथ को कितना मानते है शर्मा जी। व्यक्तिगत जीवन को जाने के बाद अब आप यह भी जाना चाहते होंगे कि रामविलास शर्मा राजनीतिक कैरियर कैसे शुरू हुआ, कहां से शुरुआत की, 1974 में, वह जयप्रकाश नारायण आंदोलन में शामिल हुए थे। स्वर्गीय डॉ मंगल सेन ने उनसे कुरुक्षेत्र में प्रोफेसर के रूप में अपनी नौकरी छोड़ने का अनुरोध किया और उन्हें रोहतक ले आए जहां उन्हें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के महासचिव के रूप में नियुक्त किया गया ।

1980-90 के दशक में विधायक और मंत्री के रूप में, अपने राजनीतिक जीवन में राम बिलास शर्मा लगातार चार बार महेंद्रगढ़ क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी के विधायक चुने गए हैं । उन्होंने 1987 से 1990 तक सार्वजनिक स्वास्थ्य मंत्री और 1996 से 1999 तक शिक्षा मंत्री के रूप में कार्य किया। वे चौधरी बंसीलाल की सरकार में हरियाणा सरकार में शिक्षा मंत्री रह चुके हैं । 1999 में, भारतीय जनता पार्टी विधायक दल के नेता के रूप में उन्होंने बंसीलाल सरकार से समर्थन वापस लेने का फैसला किया और इसके बजाय ओम प्रकाश चौटाला सरकार का समर्थन किया । जिसके लिए उनको आज भी याद रखा जाता है और उनकी बहुतायत आलोचना भी होती है। प्रोफेसर शर्मा ने बल्लभगढ़ निर्वाचन क्षेत्र से भी चुनाव लड़ा, जहां उन्होंने कुलेना को अपना दूसरा घर कहा और कुलेना के भगवान परशुराम मंदिर से कई बार आशीर्वाद लिया।

1990 से 2010 तक: भारतीय जनता पार्टी हरियाणा के अध्यक्ष के रूप में, वह 1990 से 1993 तक भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष भी रहे। वह 2013 में दूसरी बार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में चुने गए। 2014 में, वे भाजपा, हरियाणा के अध्यक्ष और मुख्यमंत्री पद के दावेदार थे। लेकिन किस्मत को शायद कुछ और ही मंजूर था। मुख्यमंत्री बने मनोहर लाल और उसके बाद रामबिलास सिर्फ मंत्री बनकर रह गए। हरियाणा के कैबिनेट मंत्री बने शर्मा जी, 26 अक्टूबर को, उन्होंने भारतीय जनता पार्टी द्वारा संचालित हरियाणा सरकार में कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली । एक कैबिनेट मंत्री के रूप में उनके पास निम्नलिखित 9 विभागों का स्वतंत्र प्रभार था, जिसने उन्हें हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल के बाद हरियाणा सरकार में दूसरा सबसे प्रभावशाली बना दिया, जिनके पास 18 विभाग थे, राम बिलास के पास 13 विभाग थे।

जब शुरू हुआ बुरा दौर, भाजपा सरकार के पहले कार्यकाल में भले ही में कितने सशक्त और मजबूत मंत्री रहे लेकिन जैसे ही 2019 के चुनाव में उनकी तरह हार हुई उसके बाद लगातार पार्टी में हाशिए पर चल रहे है। लगातार वे दरकिनार से दिखाई देते हैं। विदित रहे वे महेंद्र गढ़ निर्वाचन क्षेत्र में राव दान सिंह से 2019 का आम चुनाव हार गए थे। वर्तमान में वह क्षेत्र में समाज सेवा में सक्रिय हैं। 2019 विधानसभा चुनाव से पहले दिखाई दिए थे अति उत्साहित, हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019 के जनसभा में भिवानी जिले में शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा ने कहा कि था की “बीजेपी (BJP) चुनाव की दृष्टि से सबसे आगे चल रही है. हमारे सामने वाले नकारे हुए लोग हैं, हम दोबारा मजबूत सरकार बनाएंगे.” दरअसल, सीएम मनोहर लाल के नामांकन में जाते समय भिवानी में शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा ने ये बातें कहीं. उन्होंने कांग्रेस को नीति विहीन पार्टी करार दिया है।

वहीं उन्होंने टिकट नहीं मिलने वाले नाराज नेताओं को जल्द मना लेने की बात कही थी। लेकिन जब नतीजे आए उनकी बात पर मोहर लगी हरियाणा में भाजपा की सरकार तो बनी मुख्यमंत्री मनोहर लाल तो बने लेकिन सभी बड़े मंत्रियों समेत सभी बड़े चेहरों समेत रामविलास शर्मा भी अपना चुनाव हार गए और वह सरकार से बाहर हो गए। तब सोशल मीडिया पर रामविलास शर्मा की खूब टांग खिंचाई हुई थी। चुनाव हारे पर नहीं घटी फैन फॉलोइंग, बेशक हरियाणा भाजपा के कद्दावर नेता प्रो. रामबिलास शर्मा चुनाव हार गए हों लेकिन देश व प्रदेश में उनके प्रशंसकों की कमी नहीं है, 2022 में जब देश में सम्पन्न पांच राज्यों में से चार प्रदेशों में भाजपा की शानदार जीत के मौके पर पूर्व मंत्री रामबिलास शर्मा ने अपने विधानसभा क्षेत्र में लड्डू बांटकर व डीजे पर नाचकर खुशी का इजहार किया था। इस डांस की चार सेकंड की वीडियो जब सोशल मीडिया प्लेटफार्म फेसबुक पर अपलोड हुई तो कुछ ही घंटो में नौ लाख 54 हजार 961 से अधिक लोगों ने देखी थी ।

एक-दूसरे वीडियो ने उनकी बेबसी जगजाहिर भी की थी, रामबिलास के प्रदेश अध्यक्ष काल में भाजपा ने पहली बार पूर्ण बहुमत से 2014 में सत्ता हासिल की थी। लेकिन पिछले साल उनके शहर महेंद्रगढ़ में प्रशासन द्वारा हटाए जा रहे खोखे को अपनी ही सरकार में नहीं बचा सके। पूर्व मंत्री देर रात प्रशासन के सामने विनती करते नजर आए, जिससे बड़ी संख्या में प्रदेश में उनके समर्थकों व संघर्ष के समय रामबिलास शर्मा के साथ रहे कार्यकर्ताओं में मायूसी का आलम था। उनके समर्थक व संघर्ष के साथी मानते हैं जिस व्यक्ति ने जनसंघ से लेकर अब तक अपना पूरा जीवन पार्टी को समर्पित कर दिया। इमरजेंसी के दौरान पुलिस की यातनाओं को सहन किया। उनकी ही अपनी सरकार में सुनवाई नहीं हो रही। ऐसी अब आम चर्चा होने लगी थी। इस मौके पर रामविलास शर्मा बार-बार विनती करते रहे। उनके प्रशासन के समक्ष शब्द थे, ‘हम्बल रिक्वेस्ट। प्लीज स्टॉप दिस नॉनसेंस। यह बस्ती मेरे खून से बनी है। इस जेसीबी को तुरंत रोक दीजिए।

माननीय मुख्यमंत्री जी से मेरी बात हो गई है। यहां के डिप्टी कमीशनर श्रीश्याम लाल पुनिया से मेरी बात हो गई है। मोबाइल पर एसडीएम से बात करते हुए कहा कि दिनेश जी इस जेसीबी को रोक दीजिए। आपसे बात हुई थी। मेरी माननीय मुख्यमंत्री से बात हो गई है। एक बार जेसीबी को तुरंत रोक दीजिए। मैं मौके पर खड़ा हूं। नहीं नहीं अभी जेसीबी रोकें। यह जेसीबी दिखती है तो मेरे खून खोलता है। तो देखा आपने कैसे राजनीति के शीर्ष पर बैठे व्यक्ति वक्त आने पर कैसे हाशिए पर चला जाता है और कैसे गिड़गिड़ाने को मजबूर हो जाता है ऐसा ही कुछ हुआ है भाजपा नेता रामविलास शर्मा के साथ। अब देखना होगा कि 2024 में जब दोबारा से विधानसभा चुनाव होंगे तो रामविलास शर्मा को क्या जिम्मेदारी दी जाती है क्या वह दोबारा चुनाव लड़ेंगे क्या वह दोबारा विधानसभा में देखे जाएंगे या फिर उनको संगठन में ही कोई बड़ी जिम्मेदारी दी जाएगी।

लेकिन एक बात तो तय है भाजपा मूल्यों की पार्टी है यहां हर किसी को उनका हक जरूर मिलता है लेकिन लालकृष्ण आडवाणी सरीखे इतिहास के पन्नों में गुम हो चुके नेताओं को अगर देखें तो डर लगता है के कही रामविलास शर्मा हरियाणा के अगले लालकृष्ण आडवाणी ना बन जाए।