हरियाणा का एक ऐसा नेता जिसकी राजनीति में धाक आज भी कायम है,चाहने वाले जिसे ‘भूमि पुत्र’ के नाम से बुलाते हैं। बदन पर कुर्ता पायजामा, ऊपर जैकेट और आंखों पर चश्मा। कुछ ऐसा सादा पहनावा है भूपेंद्र सिंह हुड्डा का। लेकिन राजनीति विचार बिल्कुल भी सादा नहीं है। एक ऐसा नेता जिसकी राजनीति रणनीति की धार तेज और तर्रार है.. बात कर रहे कांग्रेस नेता और हरियाणा के नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा की। वे एक ऐसे नेता हैं, जो कि बयान भी सोच समझ कर देते हैं। अनरगल बयानबाजी से खुद को कोसों दूर ही रखते हैं, बस साथ रखते हैं तो चेहरे पर जाटों सा घणा रोब। आज हम भूपेंद्र सिंह हुड्डा की राजनीतिक सफर के बारे में जानेंगे। भूपेंद्र सिंह हुड्डा का जन्म 15 सितंबर 1947 को हरियाणा के रोहतक जिले के सांघी गांव में हुआ। बता दें कि उनके पिता रणबीर सिंह हुड्डा स्वतंत्रता सेनानी थे और भारतीय संविधान सभा के सदस्य भी रहे थे। कुंजपुरा में सैनिक स्कूल से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद, भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने पंजाब विश्वविद्यालय से बीए किया। इसके बाद दिल्ली विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की और वकील बन गए। हुड्डा का राजनीतिक सफर, हुड्डा ने साल 1972 में राजनीति में कदम रखा। 1972 से वर्ष 1977 तक वह रोहतक जिले के गांव किलोई में कांग्रेस कमेटी ब्लॉक के सदस्य रहे। वर्ष 1980 से 87 तक वह हरियाणा प्रदेश युवा कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष रहे। इसी के साथ वे रोहतक पंचायत समिति के अध्यक्ष और हरियाणा के पंचायत परिषद के भी अध्यक्ष रहे। वर्ष 1991, वर्ष 1996, वर्ष 1998 तथा वर्ष 2004 में लगातार चार बार लोकसभा के सदस्य बने। वर्ष 1996 से वर्ष 2001 तक वह हरियाणा कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे हैं। 5 मार्च 2005 को, वह हरियाणा के मुख्यमंत्री बने। 25 अक्टूबर 2009 को, वह पुनः हरियाणा के मुख्यमंत्री बने। भूपेंद्र हुड्डा की राजनीतिक उपलब्धि , भूपिंदर सिंह हुड्डा ने 2005 से 2014 तक हरियाणा के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। जब इन्होंने कांग्रेस की चुनावी जीत का नेतृत्व करने के बाद अक्टूबर 2009 में अपना दूसरा कार्यकाल शुरू किया, तो यह 1972 के बाद पहली बार हुआ जब कि हरियाणा के मतदाताओं ने एक मज़बूत सत्ताधारी पार्टी को सत्ता में वापस लौटा दिया। हुड्डा बार काउंसिल ऑफ पंजाब एंड हरियाणा के सदस्य भी हैं। 2010 में भारतीय प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह ने कृषि उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ाने के लिए रणनीति और कार्य योजना की सिफारिश करने के लिए हुड्डा की अध्यक्षता में कृषि उत्पादन पर कार्य समूह का गठन किया। राजनीति के अलावा सामाजिक गतिविधियों में भी रहे शामिल, भूपेंद्र सिंह हुड्डा राजनीति के अलावा विभिन्न सामाजिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों में भी शामिल रहे। भूपेंद्र हुड्डा हरियाणा में विभिन्न किसान आंदोलनों के लिए भी जाने जाते हैं। भूपेंद्र हुड्डा के विवाद,मानेसर जमीन घोटाले के चलते पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा विवादों में रहे। उन पर यह आरोप है कि उन्होंने अपने शासन काल के दौरान 900 एकड़ जमीन का अधिग्रहण कर, बड़े बिल्डरों को कौड़ियों के भाव में बेचा था। इसी के साथ सोनिया गांधी के दामाद और प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा को भी सस्ते भाव में जमीन देने और महंगे भाव में खरीदने के आरोप भी लगते रहे हैं। इसके अलावा एक बार वे मानुषी छिल्लर के मिस वर्ल्ड बनने के बाद पुरस्कार राशि को लेकर मुख्यमंत्री मनोहर लाल से भिड़ गए थे। दोनों के बीच जुबानी जंग भी छिड़ गई। हुड्डा ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल पर तंज कसते हुए कहा था कि ‘उनकी कोई बेटी नहीं है जिससे वह बेटियों की अहमियत समझ सके’। जिस पर मुख्यमंत्री ने जवाब देते हुए कहा था कि ‘मेरे लिए पूरा हरियाणा परिवार है, लेकिन मैैं हैरान इस बात पर हूं कि जिन्होंने दस साल तक बेटियों को कोख में मरने दिया, वह बेटियों की चिंता करने का ढकोसला क्यों कर रहे हैैं’।
इनसे रहा छत्तीस का आंकड़ा,,इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर के साथ कहासुनी होने के कारण कड़ी आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ा था। इसके इलावा चौधरी छोटूराम के नाती अपने फुफेरे भाई बिरेंद्र सिंह से भी हमेशा उनके रिश्ते खट्टे रहे है। एक बार हुड्डा ने चौधरी बीरेंद्र सिंह के बारे में कहा था कि हम भाई भी हैं, दोस्त भी हैं और राजनीतिक विरोधी भी हैं। कइयों को यह बात हजम नहीं होती कि हम राजनेतिक विरोधी भी हो सकते हैं लेकिन परिस्थितियां कुछ भी करवा देती हैं। राजनीति में हुड्डा परिवार की तीसरी पीढ़ी ,हुड्डा परिवार की लगातार तीसरी पीढ़ी राजनीति में हैं। उनके बेटे दीपेंद्र हुड्डा पिता और दादा की राजनीतिक विरासत को संभाले हुए है। भूपेंद्र सिंह हुड्डा हरियाणा के सांपला सीट से चुनाव जीतकर 2 बार सीएम बने। इसी राजनीति की विरासत को दीपेंद्र हुड्डा अब आगे चला रहे हैं। दीपेंद्र फिलहाल राज्यसभा के सांसद हैं। राहुल गांधी के खास दोस्तों में दीपेंद्र की गिनती होती है। भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी रखते है शौक , साल 2019 के आकड़ों के मुताबिक हुड्डा के पास करीब 15.66 करोड़ की संपत्ति है। हथियारों के शौकीन है हुड्डा उनके पास एक राइफल, पिस्तौल और एक रिवॉल्वर भी है। बंदूकों के अलावा कारों के भी है शौकीन उनके पास करीब साढ़े 20 लाख रुपये की टोएटा इनोवा कार है। बेटे दीपेंद्र के पास साढ़े 35 लाख की कीमत की फोर्ड एंडेवर है। नई दिल्ली और मॉडल टाउन रोहतक में करीब एक एक करोड़ की कीमत के 2 मकान हैं। उनकी पत्नी आशा हुड्डा के दिल्ली व गुरुग्राम में भी मकान हैं। साल 2014/19 में खट्टर से मिली हार, साल 2014 के विधानसभा चुनावों में उनकी पार्टी कांग्रेस को विधानसभा में केवल 15 सीटें मिलीं। भाजपा ने 47 सीटों के साथ बहुमत हासिल किया और राज्य में अपनी सरकार बनाई। इसके बाद 2019 के चुनाव में भाजपा के 75 पार के नारे से भयभीत हो कर भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने पूरा जोर नहीं लगाया जिसका जिक्र उन्होंने चुनाव की हार के बाद भी किया। उस वक्त 30 सीट लेकर हुड्डा नेता प्रतिपक्ष बने। उसके बाद से कहीं ना कहीं हुड्डा लगातार कांग्रेस में अपना दबदबा बरकरार रखे हुए हैं और लगातार हाइकमान के लिए भी चुनौती पेश कर रहे हैं। जब हुआ हुड्डा पर केस, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर एजेएल को सस्ते में प्लाट आवंटित करवाने का आरोप है। जिस प्लाट की कीमत 64.93 करोड़ रुपये थी, उसे एजेएल को 69 लाख 39 हजार रुपये में आवंटित कर दिया गया था। 2018 में ईडी ने इसे कुर्क कर लिया। इस मामले में हरियाणा सरकार ने विजिलेंस इंक्वायरी की थी, जिसमें पाया गया था कि नियमों को दरकिनार करके हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ने जमीन अलॉट की थी. उसके बाद ये मामला सीबीआई को सौंपा गया। इन धाराओं में पूर्व सीएम हुड्डा के खिलाफ केस दर्ज, भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 120-B (आपराधिक साजिश), 420 (धोखाधड़ी), भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धारा 13 (2) और भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धारा 13 (1) (d) के तहत मुकदमा दर्जा किया गया था। अब कैसा है उनका रुतबा,हरियाणा में हुड्डा मतलब कांग्रेस और कांग्रेस मतलब हुड्डा हो गया है। चाहे बात की जाए नए प्रदेश अध्यक्ष उदय भान की नियुक्ति की या फिर प्रदेश में हुए 3 उपचुनाव में उम्मीदवार घोषित करने की सब हुड्डा की शय पर तय हुआ है। अपने बेटे दीपेंद्र हुड्डा को सत्ता के शीर्ष पर बैठाने के लिए लगातार प्रयासरत रहते हैं। बात की जाए जी-20 नेताओं की उसमें भी शामिल रह कर अपनी धमक को दिखा चुके हैं। भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर हरियाणा कांग्रेस में गुटबाजी बढ़ाने के भी आरोप लगते रहते हैं । किरण चौधरी, रणदीप सिंह सुरजेवाला के राह में अड़ंगे डालने के आरोप भी लगते रहे है। कहा जाता है कि इसी वजह से हरियाणा में कांग्रेस का बंटाधार हुआ है। अभय चौटाला अक्सर भूपेंद्र हुड्डा को भाजपा की बी टीम बताते हैं और कहते हैं कि ईडी सीबीआई से डरकर भाजपा के लिए वह काम कर रहे हैं।