
चौटाला अपने स्कूली दिनों से ही राजनीति में सक्रिय रहे हैं, लेकिन उन्होंने आधिकारिक रूप से चौटाला ग्राम पंचायत की सदस्यता के लिए चुनाव लड़कर और एक कार्यकाल के लिए इसके उपसरपंच के रूप में सेवा करके अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। वह वर्ष 2000 में राजनीतिक सुर्खियों में तब आए जब उन्होंने हरियाणा के रोरी विधानसभा क्षेत्र से इनेलो के टिकट पर रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल की। निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हुए उन्होंने एक इंजीनियरिंग कॉलेज खोलने का अपना वादा पूरा किया, 2009 में उन्होंने ऐलनाबाद राज्य निर्वाचन क्षेत्र से उपचुनाव जीता। 2014 में, उन्हें फिर से विधायक के रूप में चुना गया और विधानसभा में विपक्ष के नेता के रूप में शामिल हुए। 2014 के लोकसभा चुनावों के दौरान , मजबूत मोदी लहर के बावजूद इनेलो को 2 एमपी सीटें जीतने में नेतृत्व करने के लिए उनके नेतृत्व और संगठनात्मक कौशल के लिए उनकी सराहना की गई।… जनवरी 2021 में, चौटाला ने तीन कृषि कानूनों को लेकर हरियाणा विधानसभा से इस्तीफा दे दिया । लेकिन उसके बाद हुए उपचुनाव में फिर से भाजपा केे गोविंद कांडा को हराकर फिर से विधायक बन गए। विधानसभा में भले इनेलो का एक विधायक हो लेकिन अभय अपनी धमक से सबका ध्यान अपनी ओर खींचते रहते हैं।…एक खिलाड़ी से खेल प्रशासक तक, उन्होंने राष्ट्रीय वॉलीबॉल चैंपियनशिप में आठ बार राज्य का प्रतिनिधित्व किया और कई पदक जीते। इसके बाद खेल प्रशासक बन अभय चौटाला ने राज्य के विभिन्न हिस्सों में ग्रामीण स्टेडियम और कोचिंग संस्थान स्थापित किए हैं। खेल के क्षेत्र में उनके सफल प्रयासों के परिणामस्वरूप उन्हें प्रतिष्ठित खेल संगठनों में विभिन्न प्रमुख पदों के लिए चुना गया। चौटाला भारतीय एमेच्योर मुक्केबाजी महासंघ के भी अध्यक्ष रह चुके हैं जिसकी मान्यता 2013 में रद्द कर दी गई थी. चौटाला दिसंबर 2012 से फरवरी 2012 तक आईओए के अध्यक्ष थे और उनके कार्यकाल के दौरान ही अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक संघ ने चुनाव में गड़बड़ी को लेकर भारतीय ओलंपिक संघ को निलंबित किया था. यह निलंबन तब तक जारी रहा जब तक चौटाला और कलमाड़ी को प्रबंधन से हटाया नहीं गया…..क्या था महम कांड? जिसकी आंच चौटाला परिवार को जला रही , इस कांड को हरियाणा प्रदेश पर एक बदनुमा दाग की तरह से भी देखा जाता रहा है। इस कांड की आंच राजनीतिक पार्टी इनेलो के नेताओं को खासकर अभय चौटाला को जला रही है। बता दें कि 1990 में रोहतक के महम विधान सभा क्षेत्र में एक खूनी चुनाव में 10 व्यक्तियों की मौत व आधे दर्जन से ज्यादा लोग घायल हो गए थे, जिसका नाम महम कांड दिया गया था। उनके दादा चौधरी देवीलाल केंंद्र की वीपी सिंह सरकार में उप प्रधानमंत्री थे। उस समय चौधरी ओमप्रकाश चौटाला राज्य विधानसभा के सदस्य नहीं थे और मुख्यमंत्री बने रहने के लिए नियमानुसार छह माह के भीतर उनका विधान सभा का चुनाव जीतना अनिवार्य था। तब ये कांड हुआ था। जिसमें एक पुलिस वाले की हत्या के मामले में अभय चौटाला पर भी आरोप लगे थे।…कैसे टूटी इनेलो, स्वर्गीय चौधरी देवीलाल की 105वीं जयंती पर रविवार को गोहाना में आयोजित इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) की सम्मान समारोह रैली में चौटाला परिवार की आंतरिक कलह खुलकर सामने आ गई। नेता प्रतिपक्ष अभय चौटाला ने करीब 18 मिनट भाषण दिया। इतनी ही देर तक सांसद दुष्यंत चौटाला के समर्थकों ने उनकी हूटिंग की। यही नहीं, इससे पहले मंच से वक्ताओं के भाषण के दौरान जब भी दुष्यंत का नाम आया युवा कार्यकर्ताओं ने जमकर तालियां बजाईं और नारेबाजी की। फिर बड़े चौटाला ने कहा ऐसा करने वालों को पार्टी से बाहर कर देंगे। यह भी कहा कि तुम शोर मचा लो, हम चले जाते हैं। इसके अलावा, पोस्टरों में भी चाचा-भतीजे की कलह देखी गई। चाचा के पोस्टरों से भतीजा तो भतीजे के पोस्टरों से चाचा की तस्वीरें गायब थीं। दुष्यंत दिग्विजय और अजय चौटाला के निलंबन के बाद से जे जे पी का निर्माण हुआ और इनेलो का बुरा दौर शुरू हुआ… आरोप प्रत्यारोप,अभय चौटाला ने एक बार कहा था कि उसके परिवार की टूट नैना चौटाला की महत्वाकांक्षा की वजह से हुई है उधर दुष्यंत और नैना चौटाला ने कहां था की अभय पूरी पार्टी और संगठन को मुट्ठी में रखना चाहते हैं।…कैसे टूटी इनेलो, स्वर्गीय चौधरी देवीलाल की 105वीं जयंती पर रविवार को गोहाना में आयोजित इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) की सम्मान समारोह रैली में चौटाला परिवार की आंतरिक कलह खुलकर सामने आ गई। नेता प्रतिपक्ष अभय चौटाला ने करीब 18 मिनट भाषण दिया। इतनी ही देर तक सांसद दुष्यंत चौटाला के समर्थकों ने उनकी हूटिंग की। यही नहीं, इससे पहले मंच से वक्ताओं के भाषण के दौरान जब भी दुष्यंत का नाम आया युवा कार्यकर्ताओं ने जमकर तालियां बजाईं और नारेबाजी की। फिर बड़े चौटाला ने कहा ऐसा करने वालों को पार्टी से बाहर कर देंगे। यह भी कहा कि तुम शोर मचा लो, हम चले जाते हैं। इसके अलावा, पोस्टरों में भी चाचा-भतीजे की कलह देखी गई। चाचा के पोस्टरों से भतीजा तो भतीजे के पोस्टरों से चाचा की तस्वीरें गायब थीं। दुष्यंत दिग्विजय और अजय चौटाला के निलंबन के बाद से जे जे पी का निर्माण हुआ और इनेलो का बुरा दौर शुरू हुआ… आरोप प्रत्यारोप,अभय चौटाला ने एक बार कहा था कि उसके परिवार की टूट नैना चौटाला की महत्वाकांक्षा की वजह से हुई है उधर दुष्यंत और नैना चौटाला ने कहां था की अभय पूरी पार्टी और संगठन को मुट्ठी में रखना चाहते हैं। भाई अजय से प्रेम, भले ही अभय चौटाला राजनैतिक कटाक्ष अपने बड़े भाई अजय चौटाला पर करते रहते हो लेकिन कभी भी उन्होंने उन पर व्यक्तिगत टिप्पणी नहीं की है। कहीं ना कहीं कहा जा सकता है कि उनके दिल में बड़े भाई के लिए प्यार बाकी। समय-समय पर दोनों परिवारों के एक होने की खबरें आती रहती हैं लेकिन दोनों परिवारों के बीच की खाई तब और बढ़ती नजर आती है जब शब्दों के बाण दोनों तरफ से चलते हैं दिग्विजय चौटाला हमेशा हमलावर रहते हैं चाचा पर उधर चाचा भी दोनों भाइयों पर समान रूप से हमले करते रहते हैं।…आय से अधिक केस मामला, अभय चौटाला की संपत्ति 2000 से 2005 के बीच के आयकर आंकड़ों के अनुसार 22.89 करोड़ रुपए की उनकी कमाई से पांच गुना अधिक की थी। मामले में ED ने 6 करोड़ से अधिक की संपत्ति कुर्क कर ली।…दमदार शख्सियत के धनी अभय चौटाला, अभय चौटाला ने बुरे दौर में अपने आप को साबित किया है जब पार्टी रसातल में जाती जा रही थी तब उन्होंने मजबूती के साथ कार्यकर्ताओं को जोड़े रखा। और जब बड़े चौटाला जेल में थे तब उन्होंने पार्टी को मजबूती से बांधे रखा और कार्यकर्ताओं की नब्ज को हमेशा टटोलते रहे। कोरोना काल में जब सभी नेता अपने घरों में छिपे हुए थे तब वह आढ़तियों और आमजन की समस्याओं को पूरे हरियाणा में सुन रहे थे। कहते हैं कि यारों के यार अभय चौटाला है आज भी कहा जाता है कि मुख्यमंत्री से ज्यादा काम अभय चौटाला करा देते हैं ऐसा उनके कार्यकर्ताओं का कहना है और कहां जाता है कि वह जिसका साथ देते हैं तो पूरी शिद्दत से निभाते है इसीलिए ही उनके कार्यकर्ता और समर्थक अभय ही सत्य है कहते है।