होनहार बिरवान के होत चिकने पात। यानि के जो होनहार होता है उनकी प्रतिभा बचपन से ही दिखाई देना शुरू हो जाती है। ऐसे ही हरियाणा के एक नेता हैं रतन लाल कटारिया। अंबाला से सांसद और भाजपा के कदावर नेताओं में से एक हैं रतन लाल कटारिया। वे एक ऐसे नेता हैं, जो कि बाल कलाकार के रूप में सम्मानित हो चुके हैं और वो भी देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के हाथों। साल 1963 में रतन लाल कटारिया को तीन मूर्ति भवन में एक बाल कलाकार के रूप में पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। ऐसे होनहार नेता के बारे में हम आज जानेंगे और इनकी राजनीति के भूत, भविष्य, वर्तमान के बारे में भी जानेंगे।

रतन लाल कटारिया का जन्म 19 दिसंबर 1951 को यमुनानगर के गांव संधाली में हुआ था। उनके पिता का नाम ज्योतिराम कटारिया व माता का नाम परिवारी देवी था। सांसद रतन लाल कटारिया का भरा पूरा परिवार है। जिसमें पत्नि बंतो कटारिया और 3 बच्चे हैं। 1 बेटा और 2 बेटियां हैं। रतनलाल कटारिया का राजनीतिक सफर साल 1980 में शुरू हुआ था। बेदाग और हंसमुख छवि के नेता हैं कटारिया
अपने लंबे राजनीतिक तजुर्बे और बेदाग छवि के चलते रतनलाल कटारिया राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं में रहते हैं। उनकी वाक शैली भी काफी प्रसिद्ध है और राजनीति के हर पहलू के वे माहिर हैं।

मास्टर से लेकर एलएलबी तक की डिग्री, कटारिया दिखने में बेशक हंसमुख स्वभाव के हैं लेकिन उन्होने अपनी पढ़ाई को कभी भी हल्के में नहीं लिया, बल्कि वे तो अच्छे खासे पढ़े लिखे नेता हैं। अंग्रेजी में कहें तो कटारिया वेल ग्रेजुएट नेता हैं। अंबाला छावनी के एसडी कॉलेज से बीए ऑनर्स करने के बाद, केयूके से राजनीति शास्त्र में एमए तथा फिर वहीं से एलएलबी की डिग्री प्राप्त की। कटारिया को राष्ट्र गीत गाने, कविताएं लिखने, शायरी करने और अच्छी पुस्तकों को पढ़ने का भी शौक है। 1989 में जीता था पहला चुनाव, वैसे तो कटारिया ने राजनीति में कदम साल 1980 में रख दिए थे। लेकिन राजनीतिक जीत का स्वाद उन्होंने साल 1989 में चखा। कटारिया ने 1989 में हरियाणा की रादौर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और उन्होंने लेहरी सिंह को तकरीबन 20 हजार वोटों के अंतर से हराया। संघर्ष भरा रहा राजनीति जीवन, वो नेता ही क्या जिसके जीवन में संघर्ष ही ना हो। लिहाजा रतन लाल कटारिया ने भी राजनीति में कड़ा संघर्ष किया। वे कई बार गिरे लेकिन फिर भी वे संभलकर चलते रहे। हालांकि संघर्षों ने उनका इम्तिहान भी बड़ा लिया या फिर यूं कह लिजिए कि उनके सब्र का इम्तिहान लिया।

1989 मे जहां उन्हें पहली ही बार में जीत नसीब हुई थी, तो वहीं इसके बाद उन्हें हार का मुंह भी देखना पड़ा था। 1991 से लेकर 1996 तक का जो सफर था, वो कटारिया के लिए कुछ खास नहीं रहा। क्योंकि दोनों ही बार में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। फिर जब सब्र ने दिलाई सफलता, कटारिया ने हार के बाद संघर्ष करना जारी रखा और उनकी मेहनत का ही नतीजा था कि सफलता उनसे ज्यादा समय दूर ना रह पाई ओर उनके हिस्से मे जीत को आना ही पड़ा। साल 1999 में हुए 13वीं लोकसभा चुनाव में कटारिया को भारी भरकम जीत मिली। आम चुनावों में वे अंबाला की सीट से खड़े हुए और कांग्रेस के फूल चंद मुलाना को हरा डाला।

जीत के साथ बढ़ा वोटों का मार्जिन
रतन लाल कटारिया ने 1999 में जो जीत हासिल की थी, उसमें उनका वोट शेयर भी काफी ज्यादा बढ़ा था। क्योंकि उन्होने कांग्रेस के फूल चंद मुलाना को तकरीबन 1 लाख से भी ज्यादा वोटों से मात दी थी। यहां पर रतन लाल कटारिया का वोट शेयर इसलिए भी ज्यादा रहा क्योकि साल 1991 और 1996 के चुनावों में कटारिया का वोट शेयर गिर कर 36 प्रतिशत ही रह गया था। लिहाजा 1999 की ये जीत रतन लाल कटारिया के लिए कई मायनो में बेहद ही अहम थी।

फिर 2014 तक देखा लंबा संघर्ष,
जैसा कि हमने आपको पहले भी बताया है कि कटारिया ने अपने राजनीति जीवन में काफी लंबा संघर्ष किया है। लिहाजा एक बार फिर से लंबा संघर्ष उनके रजनीति जीवन में आया। लेकिन वे फिर भी अटल पहाड़ से खड़े रहे और बिल्कुल भी डिगे नहीं। साल 1999 के बाद से साल 2014 तक कटारिया ने जीत के लिए काफी लंबे अरसे तक इंतजार किया और ऐसा नहीं कि उनके इंतजार का फल उन्हें नहीं मिला। 15 साल तक कटारिया का संघर्ष जितना ज्यादा रहा, उतना ही उनकी सफलता ने शोर मचा दिया।

2014 में की धुआंधार वापसी ,
रतन लाल कटारिया ने जितना ज्यादा इंतजार किया, वापसी भी उतनी ही जोरदार की। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में कटारिया ने जीत का सूखा खत्म किया। 16वीं लोकसभा के लिए चुनाव हुए और रतन लाल कटारिया ने भाजपा की टिकट पर चुनावी मैदान में कदम रखा। कांग्रेस के राजकुमार वाल्मिकी को तकरीबन 3 लाख वोटों के भारी भरकम मार्जिन से हराया और इसी जीत के साथ कटारिया सांसद बन गए। 16वीं लोकसभा के लिए चुनाव हुए और रतन लाल कटारिया ने भाजपा की टिकट पर चुनावी मैदान में कदम रखा। कांग्रेस के राजकुमार वाल्मिकी को तकरीबन 3 लाख वोटों के भारी भरकम मार्जिन से हराया और इसी जीत के साथ कटारिया सांसद बन गए।

रतन लाल कटारिया पहली बार बने केंद्रीय मंत्री,
रतन लाल कटारिया मोदी सरकार पार्ट 2 केंद्रीय कैबिनेट में शामिल हुए। उन्हें केंद्रीय जलशक्ति राज्य मंत्री का कार्यभार दिया गया था। राज्यमंत्री का दर्जा हासिल करने वाले रतनलाल कटारिया ने साल 2019 में अंबाला संसदीय सीट से रिकार्ड मतों से जीत हासिल की थी। उन्होंने कांग्रेस की प्रत्याशी कुमारी सैलजा को भारी मतों से हराया था। जिसका नतीजा था कि 31 मई 2019 को मोदी सरकार में कटारिया केंद्रीय जलशक्ति राज्य मंत्री बने थे।

केंद्रीय मंत्री रहते लेकर आए कई प्रोजेक्ट्स
मंत्री पद पर रहते हुए कटारिया ने अंबाला छावनी के लिए कई तरह के प्रोजेक्टस लेकर आए। डोमेस्टिक एयरपोर्ट, रिंग रोड जैसे प्रोजेक्ट दिलवाए। जबकि चंडीगढ़ से वाया नारायणगढ़ होते यमुनानगर रेल लाइन का प्रोजेक्ट भी सांसद रतन लाल कटारिया ही लेकर आए थे। वो बात अलग है कि उनके ये प्रोजेक्टस फिल्हाल पाइपलाइन में है। राजनीति जीवन में संभाले कई बड़े पद, सन 1980 से लेकर 1987 तक उन्होंने भाजपा प्रवक्ता, भाजपा राष्ट्रीय परिषद के सदस्य के रूप में कई पदों पर काम किया। देवी लाल की सरकार में डिप्टी रेवेन्यू मिनिस्टर बने। इसके बाद वे 1996 की बंसी लाल सरकार में वेयर हाउस के चेयरमैन रहे। सन 1999 में वे पहली बार सांसद चुने गए। 2001 से 2003 तक कटारिया, भाजपा की हरियाणा इकाई के अध्यक्ष रहे। साल 2019 में उन्होंने अंबाला संसदीय सीट से कांग्रेस प्रत्याशी कुमारी सैलजा को 3 लाख 42 हजार 345 वोटों से हराया और केंद्रीय कैबिनेट में मंत्री भी बने।

केंद्रीय मंत्री रहते लेकर आए कई प्रोजेक्ट्स
मंत्री पद पर रहते हुए कटारिया ने अंबाला छावनी के लिए कई तरह के प्रोजेक्टस लेकर आए। डोमेस्टिक एयरपोर्ट, रिंग रोड जैसे प्रोजेक्ट दिलवाए। जबकि चंडीगढ़ से वाया नारायणगढ़ होते यमुनानगर रेल लाइन का प्रोजेक्ट भी सांसद रतन लाल कटारिया ही लेकर आए थे। वो बात अलग है कि उनके ये प्रोजेक्टस फिल्हाल पाइपलाइन में है। राजनीति जीवन में संभाले कई बड़े पद, सन 1980 से लेकर 1987 तक उन्होंने भाजपा प्रवक्ता, भाजपा राष्ट्रीय परिषद के सदस्य के रूप में कई पदों पर काम किया। देवी लाल की सरकार में डिप्टी रेवेन्यू मिनिस्टर बने। इसके बाद वे 1996 की बंसी लाल सरकार में वेयर हाउस के चेयरमैन रहे। सन 1999 में वे पहली बार सांसद चुने गए। 2001 से 2003 तक कटारिया, भाजपा की हरियाणा इकाई के अध्यक्ष रहे। साल 2019 में उन्होंने अंबाला संसदीय सीट से कांग्रेस प्रत्याशी कुमारी सैलजा को 3 लाख 42 हजार 345 वोटों से हराया और केंद्रीय कैबिनेट में मंत्री भी बने।