नाम जय प्रकाश दलाल और काम कृषि मंत्रालय का कार्यभार! आप सभी इनको जेपी दलाल के नाम से पहचानते है। जेपी दलाल ने जितनी बाखूबी से अपने कृषि मंत्रालय को संभाला है, उतनी की बाखूबी से अपने अस्तित्व को भी बनाया है। जेपी दलाल ऐसे नेता हैं, जिनको शायद ही आपने कभी गुस्से में देखा होगा। फिर चाहे मामला कितना ही पेचीदगी का क्यों ना रहा हो। हर उठने वाले सवाल का जवाब वे मुस्कराकर देते हैं। कहने का मतलब ये है कि बाकी नेताओं को जहां आपने सवाल पूछने पर झुंझलाते हुए देखा होगा, तो वहीं जेपी दलाल इसके उलट हैं। वे हर एक सवाल का जवाब देते हैं और बड़ी ही होशियारी से सत्ता की बागडोर को भी संभाले हुए हैं। आज के इस एसएनए में हम जेपी दलाल की राजनीति और उनके क्रियाकलाप के बारे मे जानेंगे। ये भी देखेंगे कि उनका सफर एक राजनेता के तौर पर कैसा रहा है।
जेपी दलाल का जन्म भिवानी जिले के गांव घुसकानी में हुआ था। साल 1956 में उनका जन्म हुआ और वर्तमान में वे 67 साल के हैं। जेई की नौकरी छोड़ अपनाई राजनीति, जी हां सुन कर आपको हैरानी जरूर होगी लेकिन राजनीति में आने से पहले जेपी दलाल ने हरियाणा सरकार में बतौर सिंचाई विभाग में जेई के पद पर विराजमान हुए थे। पूर्व कृषि मंत्री सुरेंद्र सिंह के वे बेहद नजदीकी दोस्त थे और उन्हीं के कहने पर जेपी दलाल ने जेई की नौकरी छोड़ राजनीति में कदम रखा। वे सुरेंद्र सिंह के इतने नजदीकी थे कि हरियाणा विकास पार्टी में उनका अहम किरदार भी रहा था। चौ. बंसीलाल से सीखी थी राजनीति, जेपी दलाल ने राजनीति की सिक्षा दिक्षा पूर्व मुख्यमंत्री चौ बंसीलाल से ली थी। हम ऐसा इसलिए कह रहे है कि साल 1991 में जब चौ बंसीलाल ने हरियाणा विकास पार्टी का गठन किया था, तब जेपी दलाल उस पार्टी के फाउंडर मेंबर थे।
बता दें कि हविपा का पंजीकरण जेपी दलाल के नाम पर ही हुआ था। पूर्व मुख्यमंत्री चौ बंसीलाल के बेटे सुरेंद्र सिंह के खास सिपेहसालारों में से एक थे जेपी दलाल। वे तो पार्टी की अंदरूनी गतिविधियों को भी संभालते रहे। हरियाणा विकास पार्टी को खड़ा करने में काफी अहम किरदार जेपी दलाल ने निभाया। 2009 से शुरू की थी राजनीति, जेपी दलाल ने राजनीतिक करियर की शुरूआत आज से ठीक 14 साल पहले यानि के साल 2009 में की थी। तब उन्होंने 2009 के चुनाव को बतौर निर्दलीय प्रत्याषी के तौर पर लड़ा था। बता दें कि भिवानी की लोहारू सीट से वे चुनावी मैदान में थे । हालांकि पहली बार चुनाव लड़ा था, लिहाजा जीत उनके हिस्से में नहीं आई, उन्हें हार झेलनी पड़ी थी। लेकिन फिर भी जेपी दलाल ने हार नहीं मानी। वे राजनीतिक जमीन को मजबूत करने के लिए लगातार संघर्ष करते रहे और दिन पर दिन कुछ ना कुछ नया सीखते ही रहे। लगातार अकेले संघर्ष करने के बाद वे भाजपा में शामिल हुए।
2014 में भाजपा की टिकट पर लड़ा चुनाव, पहली बार जेपी दलाल ने एक राष्ट्रीय पार्टी की टिकट पर चुनाव लड़ा। साल 2014 में हरियाणा के विधानसभा चुनावों में वे भिवानी की लोहारू से चुनावी मैदान में थे और विरोधी को कड़ी टक्कर दी थी। लेकिन कहते है कि ना कि समय से पहले और वक्त से ज्यादा किसी को कुछ नहीं मिलता है। लिहाजा यहां पर किस्मत ने जेपी दलाल का साथ नहीं दिया और उन्हें हार का सामना करना पड़ा। लेकिन जेपी भी हार कहां मानने वाले थे। उन्होंने भी किस्मत को हराने की ठानी थी और कुछ बड़ा करने का वे मन बना चुके थे। जब जेपी की मेहनत रंग लेकर आई, जैसा कि हमने पहले भी कहा था कि जेपी दलाल ने हार नहीं मानी और किस्मत का लिखा पलटने की वे पुरजोर कोशिश करते रहे। उन्होंने अपना सख्त हौंसला बनाए रखा और फिर आया वो दिन जब उन्होंने अपने हिस्से में जीत का खाता खोल डाला था। मौका था साल 2019 के विधानसभा चुनाव का। जब वे दोबारा भाजपा की टिकट पर चुनावी मैदान में थे और 18 हजार मतों से जीत हासिल की। विधानसभा चुनाव में पहली जीत के साथ ही जेपी दलाल कैबिनेट मंत्री बने।
कांग्रेस के बड़े नेता को दी थी पटखनी, साल 2019 का विधानसभा चुनाव जेपी दलाल ने किसी छोटे नेता को हरा कर नहीं जीता था। बल्कि हरियाणा कांग्रेस के बड़े कद के नेता सोमबीर सिंह को हराकर उन्होंने अपनी जीत को सुनिश्चित किया था। कांग्रेस के सोमवीर सिंह को जेपी दलाल ने तकरीबन 18, 000 मतों से पराजित किया और विधानसभा में कदम रखे। भाजपा ने जेपी दलाल पर जताया भरोसा, यहां पर गौर करने वाली बात एक और भी है कि बेशक जेपी दलाल को जीत हासिल करने के लिए लंबा संघर्ष करना पड़ा लेकिन फिर भी भाजपा ने जेपी दलाल पर भरोसा नहीं छोड़ा था और लगातार उनका साथ बनाए रखा था। उनके अथक प्रयासों और पार्टी के लिए किए गए काम काज का ही नतीजा था कि 2014 में भाजपा ज्वाइन किए जाने के बाद उन्होंने हरियाणा में भाजपा की प्रदेश कार्यकारिणी में प्रदेश उपाध्यक्ष बनाया गया था।
पहली बार ही विधायक और कैबिनेट का दर्जा, जेपी दलाल की जिंदगी में जितने भी संघर्ष आए, उनसे उन्होने हार नहीं मानी और लगातार वे अपने आप को तराशते रहे। इसी मेहनत का नतीजा रहा कि जब पहली बार उन्होने लोहारू सीट से चुनाव जीता और विधायक बने, तो फिर पहली ही बार में उन्हें कैबिनेट का पद मिल गया। पद भी ऐसा कि उनके रूतबे में चार चांद लग गए। हरियाणा की भाजपा सरकार में उन्हें कृषि मंत्री का पद मिला। मनोहर सरकार के दूसरे टर्म साल 2019 में जहां कई नेताओं की विदाई हुई, तो वहीं जेपी दलाल कृषि मंत्री के रूप में कैबिनेट में शामिल हुए और जिम्मेदारी को बाखूबी संभाला। 15 साल बाद लोहारू क्षेत्र के हिस्से आया मंत्री पद, जेपी दलाल के मेहनत की बदौलत ही भिवानी के लोहारू विधानसभा क्षेत्र के हिस्से कैबिनेट मंत्री का पद आया और लोगों को विकास की नई उम्मीद अपने नेता जेपी दलाल से लगी। बता दें कि तकरीबन 15 साल के लंबे इंतजार के बाद ही लोहारू क्षेत्र के हिस्से मंत्री पद आया था और वो भी जेपी दलाल के रूप में। इससे साल 1999 से लेकर 2004 तक इनेलो के शासन में बहादुर सिंह ने शिक्षा मंत्री के रूप में हलके का प्रतिनिधित्व किया था। लेकिन वे राज्य मंत्री ही बने थे।
लोहारू विधानसभा में लाए नहरी पानी, लोहारू की जनता को जेपी दलाल से जो उम्मीदें थे, उन्हें पूरा करके भी दिखाया। लोहारू में नहरी पानी को लेकर आए थे कृषि मंत्री जेपी दलाल। जैसा कि उन्होंने वादा किया था कि हरियाणा में अंतिम टेल तक नहरी पानी को पहुंचाया जाएगा, वैसा उन्होंने करके भी दिखाया। मुख्यमंत्री मनोहर लाल के साथ मिलकर दक्षिण हरियाणा के इस सूखे क्षेत्र में वे पानी लेकर आए। क्योंकि लोहारू क्षेत्र नहर के अंतिम टेल पर होता था, जिसके चलते यहां पर नहरी पानी पहुंचा ही नहीं। लेकिन जेपी दलाल ने वो नामुमकिन काम भी कर दिखाया और लोहारू को पानी जैसी जिवनी सौगात दी। तो देखा आपने किस तरह संघर्षों की आंच में तप कर ही जेपी दलाल इस मुकाम पर पहुंचे। सफलता को छूने को लिए वे कई बार चुके, लेकिन हर बार वे गिरकर उठे और पहले से भी ज्यादा उंचा मुकाम हासिल किया जेपी दलाल ने। ये आज के युवओं के लिए अपने आम में ही बड़ी सीख है। जेपी दलाल का जीवन युवाओं के लिए प्रेरणा स्त्रोत है।