एक छोटी सी घटना ने ओपी जिंदल की नियति बदल दी थी जब उन्हें एक स्टील का पाइप मिला जो ‘मेड इन इंग्लैंड’ था। एक युवा के रूप में, उन्होंने एक ऐसे भारत का सपना देखा था जहां हर उत्पाद पर ‘मेड इन इंडिया’ लिखा हो। एक बार उन्हे पता चला ऐसा स्टील पाइप भारत में नहीं बनता, ओपी जिंदल ने फैसला किया कि वह इन पाइपों का निर्माण भारत में करेंगे। वे हमेशा ऊर्जा देने वाला आगे बढ़ने वाला एक वाक्य कहते थे: ‘वी आर द फ्यूचर ऑफ स्टील।’ यानी के भारतवर्ष स्टील का भविष्य है। तो आप समझ सकते हैं कि उन्हें अपने विजन पर कितना भरोसा था।भारत को इस्पात उद्योग के हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने का उनका दृष्टिकोण था जिसने उन्हें भारत के स्टील टाइकून में बदल दिया। व्यवसाय की बुलंदियों पर ओम प्रकाश जिंदल पहुंचे पूरी दुनिया में उनका डंका बजा उसके बाद राजनीति में आए और फिर कैसे भारत का यह सूर्य यकायक अस्त हो गया आज बताएंगे आपको इस छोटी उम्र से ही तकनीक और मशीनरी में रुचि रखने वाले, ओमप्रकाश जिंदल का जन्म 7 अगस्त 1930 को हरियाणा के हिसार जिले के नलवा गांव में हुआ था इनके पिता का नाम नेतराम था वह एक किसान थे इनकी माता जी का नाम चंद्रावल था।
इनका जन्म भले ही एक किसान परिवार में हुआ था परंतु बचपन से इन्हें एक चीज आकर्षित करती थी वह थी मशीन का आकर्षण उन्हें अपनी ओर खींच लेता था वह मशीन के प्रति वह इस आकर्षण को दिल में बसाए सन 1950 में अपने भाइयों के साथ कोलकाता पहुंचे पक्के इरादों ने रंग दिखाया । ओ पी जिंदल ने अपने हाथों से एक यूनिट डिजाइन किया और सन 1952 में कोलकाता में इस पहली स्टील पाइप मैन्युफैक्चरिंग यूनिट की नींव रखी। कोलकाता में उनका व्यापार दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ रहा था लेकिन ओ पी जिंदल के मन में एक इच्छा थी, वह इच्छा वापस अपनी मिट्टी अपनी मातृभूमि में लौटने की थी डगर मुश्किल थी राह कठिन थी लेकिन कर्म युद्ध के योद्धा ने हर मुश्किल को हरा दिया “ मैं अकेला ही चला था जानिबे मंजिल, मगर, लोग मिलते गए कारवां बनता गया ” अब जिंदल साहब अकेले नहीं थे उनकी उन्नति की इस राह में उनके चारों बेटे उनके साथ थे पृथ्वीराज जिंदल, सजन, रतन और सबसे छोटे बेटे नवीन जिंदल। अब जिंदल साहब के मार्गदर्शन में उनके चारों बेटों ने जिंदल आर्गेनाइजेशन को उन्नति के शिखर पर पहुंचाया हालांकि जिंदल की गिनती देश के जाने-माने उद्योगपतियों में होती थी |
छोटी सी उम्र से शुरू किया छोटा बिजनेस, 22 साल की उम्र में ही ओमप्रकाश जिंदल ने बिजनेस करना शुरू कर दिया था। ओमप्रकाश जिंदल ने हिसार जिले में पहले बाल्टी बनाने की कंपनी खोली थी। इसके बाद 1964 में ओमप्रकाश जिंदल ने हिसार में एक पाइप यूनिट भी शुरू की। दो यूनिट खोलने के बाद जिंदल ने अपनी कंपनी को ””जिंदल इंडिया लिमिटेड”” के नाम से रजिस्टर्ड करवा लिया था। इन कंपनियों की सफलता के बाद जिंदल ने दूसरे राज्यों में भी कारोबार शुरू किया। जब पहली बार लड़ा था चुनाव, 1991 के विधानसभा चुनाव में ओमप्रकाश जिंदल ने कांग्रेस के टिकट पर पहला चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी। पूर्व मुख्यमंत्री स्व. भजनलाल से मतभेद होने के चलते 1996 में जिंदल ने कांग्रेस को अलविदा कह दिया था। इसके बाद बंसीलाल की हरियाणा विकास पार्टी के टिकट पर जिंदल कुरुक्षेत्र से सांसद चुने गए। 2000 के विधानसभा चुनाव में ओमप्रकाश जिंदल फिर कांग्रेस में शामिल हो गए।
जिंदल को कांग्रेस ने हिसार सीट से उम्मीदवार बनाया और वह जीत हासिल करने में कामयाब रहे। 2005 के विधानसभा चुनाव में भी जिंदल हिसार सीट से जीत हासिल करने में कामयाब हुए। ओमप्रकाश जिंदल की राजनीति, नेताजी छोटे स्तर की राजनीति में फैले करप्शन से बहुत आहत थे भ्रष्टाचार को खत्म करना चाहते थे और इन्हीं उद्देश्यों की पूर्ति के लिए शुरू हुआ उनका राजनीतिक संघर्ष में जनता का भरपूर समर्थन मिला और परिणाम स्वरूप 1991 में हरियाणा विधानसभा के सदस्य इसके तुरंत बाद 11वीं लोकसभा में “ कुरुक्षेत्र संसदीय क्षेत्र ” से भारी मतों से विजई होकर सांसद निर्वाचित हुए और आम आदमी के नेता बने। गरीबों से मिलना उनकी समस्याएं सुनना और उन्हें हल करना उनकी दिनचर्या का हिस्सा बन गया। पिछड़े वर्ग के विकास को सर्वोपरि मानकर कुरुक्षेत्र संसदीय क्षेत्र में एमपी लोकल डेवलपमेंट और गरीबों और पिछड़े वर्ग के लिए कई विकास कार्य किए थे। बहुत ही साधारण जीवन जीते थे ओमप्रकाश जिंदल, ओमप्रकाश जिंदल सादगी एक किसान की थी जो अपनी मिट्टी से प्रेम करता है वह अपनी संस्कृति अपनी जड़ों को कभी नहीं भूले उनके भीतर का किसान आज भी जीवित था।
कारोबार और राजनीति से अलग समाज सेवा में जीवन क्या समर्पित, ओम प्रकाश जिंदल का लक्ष्य समाज और देश की सेवा करना था वह हमेशा आम इंसान के दुख दर्द के भागीदार बने वह हमेशा गरीबों की सेवा में तत्पर रहना चाहते थे। और इसकी शुरुआत उन्होंने अपनी जन्मभूमि हिसार से की थी “ एनसी जिंदल चैरिटेबल ट्रस्ट के चेयरमैन ” के रूप में उन्होंने 500 बिस्तरों वाले एनसी जिंदल आई व जनरल अस्पताल की शुरुआत की जहां हजारों गरीबों का मुफ्त इलाज होता है शिक्षा को उन्होंने हमेशा बहुत महत्व दिया सभी लड़कियों का पढ़ना जरूरी है जब एक लड़की पढ़ती है तो दो घर बसते हैं एक लड़का पढ़ता है तो एक घर बसता है। इतने उच्च विचार थे स्वर्गीय ओमप्रकाश जिंदल के। इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए हिसार और दिल्ली के स्कूल खोले। उनकी निस्वार्थ भाव को ध्यान में रखकर उन्हें सर्वसम्मति से महाराजा अग्रसेन मेडिकल कॉलेज अग्रोहा का चेयरमैन मनोनीत किया गया था। इसके अलावा बहुत ही देश की अनेकों सामाजिक व धार्मिक संस्थाओं से भी जुड़े रहे थे। लेकिन फिर भी एक बात उनके मन को हमेशा खटकती रही कि भगवान का दिया सब कुछ है लेकिन फिर भी सेवा का लाभ शायद सीमित समाज तक ही पहुंचता है |
जब उनकी असमय मौत ने सब को झकझोर दिया था, ईश्वर ने भविष्य पटल पर कुछ और ही लिखा था भविष्य के गर्भ में कुछ और ही छुपा था 31 मार्च 2005 की सुबह एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में श ओ पी जिंदल की मृत्यु हो गई । उनके साथ पूर्व मुख्यमंत्री स्व. चौधरी बंसीलाल के बेटे चौधरी सुरेंद्र सिंह भी थे। वह भी हादसे में मारे गए थे। जिंदल के समधी वेद गोयल भी साथ थे मगर उनकी किस्मत अच्छी थी वह बच गए। ओमप्रकाश जिंदल और वेद गोयल में गहरी मित्रता भी थी। जब भी ओमप्रकाश जिंदल किसी काम से बाहर जाते तो वेद गोयल को अपने साथ ही ले जाते थे। वेद गोयल ने बताया कि जब ओमप्रकाश जिंदल बिजली मंत्री बने थे तो उनके पास फोन आया कि चंडीगढ़ से दिल्ली जाना है। सुबह 10 बजे तय कार्यक्रम के अनुसार चंडीगढ़ से हैलीकाप्टर में उड़ान भरी। हैलीकाप्टर के उड़ान भरने के एक घंटे बाद हैलीकाप्टर उत्तरप्रदेश के सहारनपुर में इंजन फेल होने के कारण क्रैश हो गया। वेद गोयल घटना के बारे में बताते हैं कि पायलेट ने अचानक कहा कि हैलीकाप्टर का इंजन फेल हो गया है तब ओमप्रकाश जिंदल ने कहा कि इंजन फेल हो गया है तो हैलीकाप्टर को लैंड करवा लो। इंजन फेल होने हैलीकाप्टर हिलने लगा। इसी दौरान चौधरी सुरेंद्र सिंह का हार्ट फेल हो गया।
ओमप्रकाश जिंदल कभी सीट बेल्ट नहीं बांधते थे। वेद गोयल बोले कि मैंने भी उस दिन सील्ट बेल्ट नहीं बांधी थी। ओमप्रकाश जिंदल का सिर हैलीकाप्टर की खिड़की से जोर से टकराया जिसके कारण सिर से खून बहने लगा। इसके बाद हैलीकाप्टर तेज गति से नीचे आया और क्रैश हो गया। और ओमप्रकाश जिंदल हादसे में चल बसे। ओपी जिंदल का निधन हो जाने के बाद कांग्रेस ने उनकी पत्नी सावित्री जिंदल को कांग्रेस ने हिसार सीट से उम्मीदवार बनाया। सावित्री जिंदल उपचुनाव जीतकर पहली बार विधानसभा पहुंची। ओमप्रकाश जिंदल का ही प्रताप था उनके जाने के बाद भी उनकी विरासत को संभालने के लिए उनकी पत्नी उनके बेटे आगे आए, एक बार उनके बेटे से सज्जन जिंदल ने कहा था, मुझे हमेशा गर्व है कि मैं सज्जन ओम प्रकाश जिंदल हूं! मेरे पिता, मेरे हीरो! –हरियाणा के एक किसान का बेटा भारत का सबसे बड़ा उद्योगपति बन गया, यह उनकी दृष्टि, धैर्य, कड़ी मेहनत और साहस की अनोखी कहानी है और भारत आज ऐसी सच्ची और मजबूत शख्सियत को श्रद्धांजलि देता है।