हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता को तो आप जानते ही होंगे जो अपनी मंद मंद मुस्कान के साथ अध्यक्ष की कुर्सी पर विराजमान होते हैं सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक के बीच भी वह बिल्कुल सहज रहते हैं और दोनों ही पक्षों को साधने में हमेशा कामयाब रहते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं विधानसभा स्पीकर का वह गरिमा में पद यूं ही उनको नहीं मिला है लंबी राजनीतिक सफल रहा है जिसमें मेहनत है लंबा संघर्ष उसी राजनीतिक सफर के बारे में हम जानेंगे। अपने राजनीतिक सफर के दौरान वे कई बड़े पदों पर आसीन रहे। सबसे बड़ी बात तो ये रही कि वे एक समय पर चंडीगढ़ के मेयर भी हुआ करते थे। तो फिर मेयर से लेकर उन्होने हरियाणा विधानसभा के अध्यक्ष पद का सफर कैसे तय किया, आज हम यही जानेंगे।

ज्ञान चंद गुप्ता का जन्म सन 1948 में हुआ था। वे 74 वर्ष के हैं। हरियाणा विधानसभा के अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता का चंडीगढ़ की राजनीति से पुराना नाता है। असल में ज्ञान चंद गुप्ता ने अपना राजनीतिक सफर चंडीगढ़ भाजपा से ही शुरू किया था। नगर निगम के पहले कार्यकाल के दौरान वह मेयर भी रह चुके हैं। मेयर बनने के बाद उन्होंने दूसरे कार्यकाल के दौरान फिर से भाजपा की टिकट पर सेक्टर 20 और 33 के वार्ड से चुनाव लड़ा था। मेयर और पार्षद के तौर पर सफर, ज्ञान चंद गुप्ता वर्ष 1996 से 2001 और 2001 से 2006 तक चंडीगढ़ नगर निगम के पार्षद रह चुके हैं। वे 1997- 98 में चंडीगढ़ के मेयर भी रहे हैं। इसके अलावा वे 1991- 1992, 1993- 1995 और 1995- 1997 में चंडीगढ़ भाजपा के अध्यक्ष रह चुके हैं। उन दिनों नरेंद्र मोदी चंडीगढ़ भाजपा के प्रभारी थे। इस अवधि के दौरान ज्ञानचंद गुप्ता और नरेंद्र मोदी के अच्छे संबंध रहे हैं।

चंडीगढ़ का मेयर पहली बार बना विधायक, ज्ञान चंद गुप्ता ऐसे पहले विधायक हैं जो चंडीगढ़ के मेयर भी रह चुके हैं। क्योंकि चंडीगढ़ से मेयर रहा हुआ नेता आज तक न तो विधायक बना है और न ही मंत्री बना है। साथ ही ज्ञान चंद गुप्ता नगर निगम के ऐसे पहले पार्षद रहे हैं जो अपना कार्यकाल पूरा करने से पहले इस्तीफा देकर किसी राज्य की राजनीति में शामिल हुए थे। साल 2004 में हरियाणा की राजनीति में हुए शामिल, चंडीगढ़ नगर निगम के दूसरे कार्यकाल के दौरान ही ज्ञान चंद गुप्ता ने हरियाणा की राजनीति में शामिल होने का फैसला किया था। बात साल 2004 की है, जब उन्होंने पार्षद पद से इस्तीफा दे दिया और तब ज्ञान चंद गुप्ता पहली बार हरियाणा भाजपा के कैश्यिर बने थे। हरियाणा की राजनीति का सफर, ज्ञानचंद गुप्ता ने भी चंडीगढ़ नगर निगम से इस्तीफा दे दिया था और वे हरियाणा भाजपा की राजनीति में सक्रिय हो गए। हरियाणा भाजपा में ज्ञानचंद गुप्ता 2003- 2006, 2009- 2012 तक कैशियर फिर 2006- 2008 में हरियाणा भाजपा के उपाध्यक्ष रहे। इसके अलावा वे 2003 से अब तक हरियाणा भाजपा में ट्रेडर्स सैल, इन्वेस्टर्स सैल, को. ऑपरेटिव सैल के इंचार्ज भी रहे।

भाजपा में 35 साल की ज्ञानचंद गुप्ता की सक्रियता, ज्ञानचंद गुप्ता भाजपा में 35 साल से ज्यादा सक्रिय रहे और 2014 में वे पहली बार विधायक बने। हालांकि वे 2009 में भी पंचकूला विधानसभा क्षेत्र से भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़े थे लेकिन हार गए थे। पार्टी ने दोबारा उन्हें चुनाव मैदान में उतारा और वे चुनाव भी जीते। चंडीगढ़ की राजनीति से पीएम मोदी से हुए थे करीबी, चंडीगढ़ भाजपा की राजनीति करते हुए ही ज्ञान चंद गुप्ता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी हुए थे। क्योंकि नरेंद्र मोदी 1995 में चंडीगढ़, पंजाब और हरियाणा के संगठन मंत्री रह चुके हैं। चंडीगढ़ नगर निगम के मेयर रहते हुए ज्ञान चंद गुप्ता ने कई विकास के काम भी करवाए थे। चंडीगढ़ के व्यापारी नेता भी रहे ज्ञानचंद गुप्ता, ज्ञान चंद गुप्ता चंडीगढ़ के व्यापारी नेता भी रह चुके हैं और चंडीगढ़ की व्यापारियों की समस्याओं को भली- भांति जानते हैं। व्यापार मंडल के चेयरमैन चिरंजीव ने भी ये कहा था कि उन्हें खुशी है कि शहर का कोई व्यापारी हरियाणा विधान सभा का स्पीकर बना है। तब उन्होंने बड़े गर्व से कहा था कि ज्ञान चंद गुप्ता खुद व्यापारी हैं ऐसे में हरियाणा के व्यापारियों की समस्याएं जल्द वह दूर कर देंगेख् ऐसा उन्हें विश्वास है।

पंचकूला ने लिखी विकास की इबारत, पंचकूला में आज के समय में जो आप विकास देख रहे हो, उसमें कहीं ना कहीं बड़ा हाथ ज्ञानचंद गुप्ता का। स्थानीय विधायक एवं विधान सभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता की पिछले 8 साल की मेहनत का रंग धरातल पर दिखाई देता है। क्षेत्रवासियों की कई दशकों पुरानी मांगें पूरी हुईं, तो बड़ी संख्या में नई परियोजनाओं ने भी दस्तक दी। तरक्की की इस रफ्तार का लाभ जहां क्षेत्र की जनता को हुआ वहीं गुप्ता की छवि ‘विकास पुरुष’ की बन गई। इन योजनाओं में शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के लोग समान रूप से लाभान्वित हो रहे हैं। फिर बात चाहे टांगरी नदी पर बने पुल की हो, पंचकूला सेक्टर 19 को शहर के शेष हिस्सों से जोड़ने वाला रेलवे ओवरब्रिज, कालका- जीरकपुर हाईवे की डिजाइनिंग को सही करवाना जैसे अनेको कार्य हैं जो ज्ञानचदं गुप्ता ने करवाए हैं।

साल 2019 में बने थे विधानसभा अध्यक्ष, साल 2019 में विधानसभा चुनावो के बाद ज्ञान चंद गुप्ता सर्वसम्मति से हरियाणा विधानसभा के अध्यक्ष चुने गए थे। उनका नाम सबसे पहले मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर द्वारा प्रस्तावित किया था। इसके बाद उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने भी गुप्ता का नाम प्रस्तावित किया। बता दें कि इससे पहले ज्ञान चंद गुप्ता पिछली विधानसभा में भाजपा के मुख्य सचेतक यानि के चीफ व्हिप थे। विधानसभा चुनाव में ज्ञान गुप्ता ने कांग्रेस के उम्मीदवार व भजन लाल के पुत्र चंद्रमोहन को हराया था। अध्यक्ष के तौर पर कार्यकाल के 3 साल पूरे, ज्ञान चंद गुप्ता ने अध्यक्ष के तौर पर 3 साल पूरे कर लिए हैं और अभी उनका कार्यकाल आगे भी जारी है। हरियाणा विधानसभा में सदन की कार्यवाही के दौरान भी वे काफी अच्छे से संचालन करते हैं। विधायकों को नाराज करने वाले अधिकारियों की सजा और ई- विधानसभा की स्थापना के परिणामस्वरूप प्रति वर्ष 5-6 करोड़ रुपये की बचत होती है, जो उनके कार्यकाल का मुख्य आकर्षण रहा है। हरियाणा विधानसभा देश में चौथी ऐसी विधानसभा है जो ऑनलाइन हो गई है।

इसके लिए विधायकों को लैपटॉप, टैब और प्रशिक्षण मुहैया करावाया जा रहा है। इसके अलावा हरियाणा की विधानसभा में एक और बड़ा बदलाव हुआ। हरियाणा विधानसभा का पूरा कामकाज हिंदी में शुरू किया जा रहा है। विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिए। हरियाणा विधनसभा गठन के 56 वर्ष बाद यहां का पूरा कामकाज हिंदी में शुरू किया जा रहा है और से सब हो रहा है अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता की बदौलत! नए आदेश के बाद विधानसभा सचिवालय में सभी प्रकार के फाइल कार्य, पत्राचार और विधायी कामकाज से संबंधित सभी प्रकार की कार्यवाही हिंदी भाषा में होगी। कैलिफोर्निया युनिवर्सिटी ने ज्ञानचंद गुप्ता को दी उपाधि, विश्व की प्रतिष्ठित कैलिफोर्निया पब्लिक युनिवर्सिटी ने ज्ञान चंद गुप्ता को डॉक्टरेट की मानद उपाधि से नवाजा है। क्योकि ज्ञान चंद गुप्ता ने राजनीति के अलावा समाज सेवा के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण कार्य किए हैं। उनके इसी योगदान को देखते हुए कैलिफोर्निया पब्लिक युनिवर्सिटी ने ज्ञान चंद गुप्ता को डॉक्टरेट की मानद उपाधि से नवाजा।

अगर आप उनके राजनीतिक कैरियर पर नजर दौड़ाई तो वह निर्विवादत्त और सबके चहेते राजनेता के तौर पर जाने जाते हैं उनका सिर्फ उनकी पार्टी भाजपा ही नहीं बाकी दूसरे दलों के नेता भी आदर करते हैं। अभय सिंह चौटाला जैसे कद्दावर नेता को विधानसभा में शांत कराना ज्ञान चंद गुप्ता जी को अच्छे से आता है। यह उनकी सशक्त शख्सियत को दर्शाता है। अब देखना होगा कि अगले 2024 में क्या भूमिका भाजपा की ओर से उनकी रहती है लेकिन एक बात तो तय है अभी तक उन्होंने जो भी पाया है उसके लिए हर राजनेता तरसता है।