अब तक हम हरियाणा के नेता और विधायकों के बारे में जानकारी देते आए हैं। तो वहीं आज हम आपको अपने प्रदेश के मुखिया यानि के मुख्यमंत्री के बारे में बताएंगे। जी हां बात कर रहे हैं मुख्यमंत्री मनोहर लाल की। हरियाणा के तीन लालो के बाद चौथे लाल ने ऐसा कमाल किया है की उन्हें कद्दावर मुख्यमंत्रियों की श्रेणी में ला दिया है। मनोहर लाल हरियाणा के दूसरे गैर जाट मुख्यमंत्री हैं। शक्लो सूरत से तो वो खामोश से नजर आते हैं लेकिन जब बोलने पर आते हैं, तो सामने वाले की बोलती बंद कर देते हैं। बीते 8.5 सालों से मुखिया के पद पर विराजमान हैं और प्रदेश की कमान संभाले हुए हैं। वो अलग बात है कि उनके 8 साल के सफर का ये ग्राफ उपर नीचे होता रहा है। आज के इस एसएन में हम मुख्यमंत्री मनोहर लाल के राजनीतिक जीवन और उनके मुख्यमंत्री रहते हुए विवाद और काम काज को लेकर जानेंगे।
26 अक्टूबर 2014 को मनोहर लाल ने हरियाणा के 10वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की। 2006 के बाद तकरीबन 18 साल के बाद वे इस पद पर विराजमान होने वाले पहले गैर जाट नेता बने। वे भारतीय जनता पार्टी के सदस्य हैं और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक रह चुके हैं। हरियाणा विधान सभा में करनाल का प्रतिनिधित्व करते हैं। 2014 में जब हरियाणा में विधान सभा के चुनाव हुए। तब भाजपा की ओर से विजयी हुए थे। उसी के बाद विधायक दल का नेता चुना गया और वे मुख्यमंत्री के पद पर काबिज हुए। सीएम मनोहर का जन्म, मुख्यमंत्री मनोहर लाल का जन्म 5 मई 1954 में रोहतक के निंदाना गांव में हुआ था। वे साधारण से किसान परिवार से हैं और पंजाबी खत्री समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। जानकारों की अगर माने तो मनोहर लाल का परिवार 1947 के भारत विभाजन के बाद पाकिस्तान से आकर रोहतक जिले के निंदाना गाँव में बस गया था। मनोहर लाल ने दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक करने के बाद दिल्ली के सदर बाजार में एक दुकान चलाई थी। उन्होंने प्रारंभिक जीवन में अपनी आजीविका कमाने के लिए भी ट्यूशन भी पढ़ाया।
मनोहर लाल का राजनीतिक सफर, मुख्यमंत्री मनोहर लाल का राजनीतिक सफर शुरू होता है साल 1977 से। जब 24 साल की उम्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानि के आरएसएस में शामिल हो गए थे। तीन साल बाद वो आरएसएस के पूर्णकालिक प्रचारक बन गए। भाजपा में शामिल होने से पहले वो 14 साल तक पूर्णकालिक प्रचारक के रूप में काम करते रहे। मनोहर का राजनीतिक सफर, 14 साल प्रचारक रहने के बाद यानि 1994 में वे भाजपा में शामिल हुए और उन्हें संगठन महामंत्री बनाया गया। साल 2000 में उन्हें संगठनात्मक महासचिव नियुक्त किया गया था। 2014 तक वे इस पद पर बने रहे। साल 2014 में उन्हें लोकसभा चुनावों की जिम्मेदारी दी गई। बीजेपी की हरियाणा चुनाव अभियान समिति के वे अध्यक्ष बने और ठीक उसी साल वे भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारी समिति के भी सदस्य बने। 2014 में ही वे करनाल निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे थे। उन्होंने 26 अक्टूबर 2014 को हरियाणा के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। इसके 5 साल के बाद 2019 के विधानसभा चुनाव हुए। जिसमें मनोहर लाल के नेतृत्व में भाजपा बहुमत प्राप्त नहीं कर पाई। जिसके चलते दुष्यंत चौटाला की जेजेपी से समर्थन लेना पड़ा। इस समर्थन के बाद ही उन्होंने 27 अक्टूबर को दोबारा से मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
बयानों के लिए हो चुकी है आलोचना, मनोहर लाल बेशक ही अब सोच समझ कर बयान देते हैं। लेकिन एक वक्त ऐसा भी था, जब उन्होंने संवेदनशील बयान दे देते थे और उनकी आलोचना होती थी। बलात्कार और महिला मुद्दों पर उनकी टिप्पणी के लिए आलोचना की जाती थी। महिलाओं के बाद उन्होंने बलात्कार के मुददे पर भी विवादित टिप्पणी की थी। उन्होने ये कह कर बवाल मचा दिया था कि बलात्कार के आधे से ज्यादा मामलो में आरोपी और पीड़ित एक- दूसरे को जानते हैं उनका आपस में संबंध होता है और जब उनकी लड़ाई हो जाती है, तो फिर रेप का आरोप लगा दिया जाता है। इस बयान पर विपक्ष ने मुख्यमंत्री को आड़े हाथों लिया था। एक बार उन्होंने गोमांस के मुद्दे पर टिप्पणी की थी।
‘हेडमास्टर’ कह कर बुलाते थे साथी , मनोहर लाल को उनके साथी हेडमास्टर कह कर बुलाते थे। क्योंकि बचपन में वे काफी गंभीर स्वभाव के थे। उनके दादा भगवान दास परिवार के साथ देश के विभाजन के समय पाकिस्तान से निंदाना आए थे। मनोहर लाल 4 साल के थे तो उनके पिता हरबंस लाल रोहतक ज़िले के ही बनियानी गांव में आ गए। निंदाना में उनके दादा और पिता की दुकान थी। जबकि बनियानी में उन लोगों ने खेती के लिए जमीन ख़रीदी थी। क़रीबी दोस्तों के मुताबिक सीएम साहब स्कूली दिनों में काफ़ी गंभीर स्वभाव के थे, जिसके चलते उनके साथी उन्हें ‘हेडमास्टर’ कहकर बुलाते थे। मनोहर लाल के किए जनहित के काम, पुलिस प्रशासन में सुधार को लेकर उन्होंने काम किया है। मनोहर लाल ने घोषणा की थी कि हरियाणा में प्रत्येक जिले में एक महिला पुलिस स्टेशन होगा और लगभग 500 महिला कांस्टेबलों की भर्ती की जाएगी। उन्होंने हर समय नामक एक 24×7 पोर्टल भी शुरू किया जिसके माध्यम से कोई भी ऑनलाइन शिकायत दर्ज कर सकता है। उन्होंने यह भी सुझाव दिया था कि पुलिस कर्मियों को मानसिक और शारीरिक रूप से फिट रखने में मदद करने के लिए योग को पुलिस कांस्टेबल प्रशिक्षण का हिस्सा बनाया जाए।
ई- शासन की दिशा में भी मनोहर लाल ने काम किया है। सभी सरकारी कार्यालयों में बायोमेट्रिक प्रणाली सहित कॉमन सर्विस सेंटरों के माध्यम से ई- सेवाएं शुरू की। जिसके माध्यम से सभी अधिकारियों की उपस्थिति ऑनलाइन उपलब्ध होगी और उनपर निगरानी की जाएगी। महिला सशक्तिकरण के लिए भी इनकी सरकार ने काम किया। ‘बेटी बचाओ, बेटी पढाओ योजना’ मनोहर सरकार की ही देन है। जिसे भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हरी झंडी दिखाई थी । सत्ता संभालने के बाद से हरियाणा में बाल लिंग अनुपात में सुधार हुआ है। प्रदेश में प्रति 1,000 लड़कों पर 889 लड़कियां हैं। सीएम मनोहर लाल ने एक सार्वजनिक बयान में कहा था कि बाल लिंग अनुपात 900 से ऊपर ले जाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके अलावा उन्होने शहीद के नाम पर स्मारक बनाने की भी घोषणा की हे। पठानकोट में एक आतंकवादी हमले में शहीद हुए गरुड़ कमांडो गुरसेवक सिंह के बलिदान को चिह्नित करने के लिए एक स्मारक का निर्माण सरकार करवाएगी।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने हरियाणा में विकास के लिए काम तो किए लेकिन उनके ही राज में किसान आंदोलन के समय हिंसा भी देखने को मिली थी। सबसे पहले तो बात कर लेते हैं राम रहीम के मुददे से जुड़े दंगे फसाद की। बात साल 2017 की है। जब राम रहीम पर साध्वी यौन शोषण ओर पत्रकार राम चंद्र छत्रपति की हत्या का दोष साबित हुआ था। तब कोर्ट के द्वारा राम रहीम के लिए सजा का ऐलान हुआ था। तो वहीं उस दौरान पंचकूला में काफी कत्लोआम मचा था। डेरे के कथित समर्थकों के द्वारा अगाजनी की गई की। कई लोग दंगों की आंच में झुलस कर मरे थे। तो वहीं कई पत्रकारां की गाड़ियों तक को फूंक दिया गया था। उस दृश्य को तो कोई भूल ही नहीं सकता है। मनोहर लाल के मुख्यमंत्री रहते ये एक काला इतिहास रहा है। और अब बात फिल्हाल की ही कर लें तो फिर गन्ने का रेट और ई टेंडरिंग को लेकर भी सरकार के खिलाफ लोगो का गुस्सा देखा जा सकता है। गन्ने का रेट बढ़ाने की मांग को लेकर किसानों ने शुगर मिलों पर तालेबंदी की थी। हालांकि इस प्रकरण के बाद सरकार ने गन्ने का रेट बढ़ाया और 362 से बढ़ाकर 372 करने का फैसला लिया गया है।
इसके अलावा इ टेंडरिंग को लेकर भी सरकर इन दिनों घिरी हुई हे। सरकार तो इ टेंडरिंग को बेहतरीन बता रही है लेकिन प्रदेश के पंच और सरपंचों ने तो मोर्चा ही खोला हुआ है। देखना होगा कि इस मामले का आगे क्या बनता हे। लेकिन इन सबके बावजूद कहा जा सकता है कि मनोहर लाल ने प्रदेश का विकास क्षेत्रवाद और जातिवाद से ऊपर उठकर किया है वरना पहले के मुख्यमंत्रियों ने जातिवाद का इतना जहर प्रदेश में खोल दिया था कि 35 बिरादरी अपने आप को ठगा महसूस करते थे लेकिन मनोहर लाल किले से मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने सर्वांगीण विकास के लिए अपनी प्रतिबद्धता जताई थी और वही करके भी दिखाया अब देखना होगा कि 2024 के लिए क्या चुनाव लड़ा जाएगा या फिर उनकी जगह लेने के लिए कोई और नेता भाजपा से आएगा लेकिन एक बात होता है मुख्यमंत्री मनोहर लाल अपनी बेदाग छवि के लिए युगो युगो तक याद जरूर रखे जाएंगे।