हंसता हुआ चेहरा, माथे पर चंदन तिलक, मुंह पर बजरंग बली का नाम और सामने भक्तों का लगा अंबार, ये है परिचय पंड़ित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का। पंडित धीरेंद्र शास्त्री, जो आजकल चर्चाओं में हैं। शास्त्री जी बाबा बागेश्वर धाम सरकार के नाम से जाने जाते है। लेकिन जब से विवाद उनके नाम से जुड़ा हुआ है, हर कोई उनके नाम से वाकिफ हो गया है। इस समय खबरों में आप जहां भी देखेंगे आपको पंड़ित धीरेंद्र शास्त्री ही नजर आएंगे। कारण है श्याम मानव का उन पर अंधविश्वास फैलाने का आरोप लगाना। ऐसा नहीं है कि पंड़ित धीरेंद्र शास्त्री दूसरे बाबाओं की तरह किसी कुकर्म के आरोप में फंसे हैं। बल्कि उन पर अंधविश्वास को लेकर विवाद है। हर किसी न्यूज चैनल पर उनके काम के ही चर्चे हैं।

पंड़ित धीरेंद्र शास्त्री कौन है, क्या है कहां से आए हैं ये तो शायद ही कोई जानता होगा। लेकिन ये हर कोई जानता है कि धीरेंद्र शास्त्री तंत्र मंत्र करते हैं और उनके दरबार में आने वाले श्रद्धालुओं की समस्याआें को पहले से ही कागज पर लिख कर रखते हैं। बुंदेलखंड के इस युवा कथा वाचक की उम्र मात्र 26 साल है, ऐसे में अब लोगों के मन में सवाल है कि पंडित धीरेंद्र शास्त्री कितने पढ़े लिखे हैं और उनके फैमिली के लोगों की शिक्षा-दिक्षा क्या है । उनके दरबार में हाजिरी लगाने वाले लोग सिर्फ आम लोग ही नहीं होते हैं बल्कि एक से बढ़कर एक वीआपी लोग हैं। सबसे बड़ा नाम अगर हम लें तो फिर भाजपा के वरिष्ठ नेता कैलाश विजय वर्गीय ने हाल ही में उनका समर्थन किया था। नागपुर से शुरू हुआ विवाद, गौरतलब है कि धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के दिव्य दरबार को लेकर नागपुर के अंधश्रद्धा उन्मूलन समिति ने बागेश्वर धाम सरकार को चुनौती दी । 10 लोगों की भविष्यवाणी करें और अगर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री सही हुए तो उनको 30 लाख रुपए इनाम दिया जाएगा । इस पर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने रायपुर में जवाब दिया । उन्होंने कहा है कि जिनको भगवान पर भरोसा नहीं है और जो महसूस करना चाहते हैं वे रायपुर में 20 और 21 जनवरी को लगने वाले दिव्य दरबार में शामिल हो जाए । अंधश्रद्धा उन्मूलन समिति को भी रायपुर बुलाया। इस मामले पर देशभर में बवाल मचा हुआ है।

श्याम मानव के खिलाफ हिंदू संगठन मैदान में उतरे, रायपुर में बजरंग दल और अंतर्राष्ट्रीय विश्व हिंदू परिषद ने श्याम मानव का पुतला दहन किया है । हिंदू संगठनो ने श्याम मानव के खिलाफ जमकर नारेबाजी करते हुए सरकार से रासुका लगाने की मांग की है । ये पुतला दहन ठीक उसी जगह पर किया गया है जहां रायपुर में बागेश्वर धाम सरकार की रामकथा थी। बजरंग दल ने श्याम मानव पर आरोप लगाते हुए कहा कि हिंदुओं की आस्था पर चोट हिन्दू समाज बिल्कुल भी नहीं सहेगा । अगर ऐसी गलती बार-बार की जाती है तो हम श्याम मानव के खिलाफ रासुका लगाने की कार्यवाही की मांग करेंगे । इसके अलावा अंतर्राष्ट्रीय विश्व हिंदू परिषद के जिला अध्य्क्ष रवि नेचवानी ने कहा कि श्याम मानव को बर्दास्त नहीं हो रहा है की इतनी कम उम्र मे शास्त्री महराज धर्म का प्रचार कर रहे है । हमारे सनातन धर्म के प्रचारक का अपमान बिल्कुल नहीं सहन किया जाएगा।समस्या लेकर दरबार में आते हैं भक्त, बाबा बागेश्वर धाम में आस्था रखने वाले भक्त अकसर इस दरबार में आते हैं। हर उम्र के लोग अपनी परेशानियां लेकर आते हैं। कोई बाबा के धाम में नौकरी की समस्या लेकर आता है तो कोई पुत्ररत्न की प्राप्ति की कामना लेकर पहुंचता है। किसी को भूत बला को दूर करना है तो कोई गृह क्लेश से छुटकारा चाहता है। सनातन धर्म की रक्षा के लिए खड़े रहने का दावा करने वाले बागेश्वर धाम के महाराज की लोकप्रियता इतनी बढ़ गई है कि अब तो वे दिन रात सुर्खियों में ही बने हुए हैं। सोशल मीडिया पर भी ये हिट हैं, इनके छोटे- छोटे वीडियो खूब वायरल होते हैं। इसकी एक वजह बुंदेली भाषा का होना है। जिसमें वे कथाएं सुनाते हैं। जो उन्हें बाकी बाबाओं से अलग बनाता है।

दिन दूनी बढ़ रही भक्तों की संख्या, धीरेंद्र शास्त्री के भागवत कथा आयोजन में पहले तो आस पास के लोग जुटते थे। दिव्य दरबार का प्रसारण सोशल मीडिया के हर प्लेटफार्म पर होने लगा। इससे उनके दरबार में आने वालों की भीड़ कई गुना बढ़ने लगी। धीरे धीरे धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का बागेश्वर धाम इतना मशहूर हो गया कि दुनिया भर से लोग अपनी पीड़ा लेकर पहुंचने लगे। बागेश्वर बाबा हमेशा एक छोटी गदा लेकर चलते हैं। उनका कहना है कि इससे उन्हें हनुमान जी की शक्तियां मिलती रहती हैं। वो हनुमान जी की आराधना करने के लिए लोगों को प्रेरित करते हैं। धीरेंद्र से बाबा बनने का सफर , धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का जन्म बेहद ही गरीब परिवार में हुआ था। उनके पिताजी पुरोहित गिरी का काम करके परिवार का भरण पोषण करते थे। वहीं जब धीरेंद्र कृष्ण के चाचा ने पुरोहित गिरी को बांट लिया तो इनके परिवार पर आर्थिक संकट छा गया था। इस बीच पंडित धीरेंद्र गर्ग गांव के लोगों के बीच बैठकर कथा सुनाने लगे। इन्होंने पहली बार 2009 में भागवत कथा पहरा गांव के खुडन में सुनाई थी। ऐसा करते- करते वे आस- पास के गांव के लोग बीच कथा सुनाने लगे थे। धीरेंद शास्त्री श्री बाला जी महाराज के मंदिर के पीछे कथा का आयोजन करते थे। अपने दादा सेतलाल गर्ग संन्यासी की समाधि स्थल पर कथा का आयोजन किया करते थे। यहां वे धर्म प्रेमियों को बुलाने लगे और धार्मिक ज्ञान व शक्तियों से जोड़ने लगे। इसी क्रम में अचानक इनके भक्त बढ़ने लगे और बागेश्वर का यह मंदिर बागेश्वर धाम के नाम से जाना जाने लगा। बागेश्वर धाम के महाराज ने भक्ति का ऐसा चमत्कार दिखाया कि यहां हजारों की संख्या में भक्त दर्शन के लिए पहुंचने लगे। इसी क्रम में अचानक इनके भक्त बढ़ने लगे और बागेश्वर का यह मंदिर बागेश्वर धाम के नाम से जाना जाने लगा। बागेश्वर धाम के महाराज ने भक्ति का ऐसा चमत्कार दिखाया कि यहां हजारों की संख्या में भक्त दर्शन के लिए पहुंचने लगे।

धीरेद्र शास्त्री का जन्म, बता दें कि धीरेंद्र शास्त्री का जन्म 4 जुलाई 1996 को छतरपुर जिले के गढ़ा ग्राम में हुआ था। पंडित धीरेंद्र दो भाई और एक बहन हैं। इनके बहन का नाम रीता गर्ग है, जबकि भाई का नाम सालिग राम गर्ग है। माता का नाम सरोज और पिता का नाम रामकृपाल है। ऐसा बताया जाता है कि इनकी माता सरोज धीरेद्र महाराज को प्यार से धीरू बुलाती हैं। जबकि गांव के लोग धीरेंद्र गर्ग कह कर बुलाते हैं।

कितना पढ़े लिखे हैं पंडित धीरेद्र शास्त्री, ये पक्की जानकारी तो नहीं है लेकिन खबरों की अगर माने तो पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री छतरपुर के गंज गांव से हाईस्कूल और हायर सेकेंडरी तक पढ़े हैं। बाद में उन्होंने ग्रेजुएशन में बी.ए की डिग्री ली हुई है। ऐसा कहा जाता है कि पंड़ित जी का बचपन गरीबी में बीता है। इनकी मां दूध बेचने का काम करती थी, जबकि पिता सत्यनाराण भगवान की कथा वाचते थे। इनके साथ धीरेंद्र शास्त्री भी कथा वाचते थे। पंडित धीरेद्र कृष्ण शास्त्री के दादा सिद्ध पुरुष थे। वे मंगलवार और शनिवार के दिन मंदिर में दरबार लगाते थे। ऐसा कहा जाता है कि उस समय से बागेश्वर स्थित बालाजी के मंदिर में लोग अर्जी लगाते थे। पंडित धीरेद्र शास्त्री 9 साल की उम्र से अपने दादा के साथ मंदिर जाने लगे थे। उन्होंने अपने दादाजी से रामकथा सीखी। इसलिए वे दादाजी को ही अपना गुरू मानते हैं।