कुलदीप बिश्नोई अब हरियाणा भाजपा के नेता, भजन लाल के सुपुत्र और आदमपुर से मौजूदा विधायक भव्य बिश्नोई के पिता हैं। वैसे तो कुलदीप बिश्नोई की राजनीतिक विरासत अपने आप में काफी विशाल है लेकिन कुलदीप बिश्नोई राजनीति की इस विरासत को बड़ा मुकाम नहीं दे पाए। ऐसा नहीं कि उन्होंने कोशिश नहीं की, भरसक प्रयास किए। कभी कांग्रेस में रहकर, कभी अलग पार्टी बनाकर, तो कभी पार्टी को ही बदलकर। आज हम कुलदीप बिश्नोई और उनकी राजनीति के बारे में जानेंगे। ये भी जानेंगे कि कैसे उनकी राजनीति सत्ता के समंदर में हिलोरें खाती रही और फिर भी वो डटे हुए हैं।
कुलदीप बिश्नोई का जन्म 22 सितंबर 1968 को हुआ था। वे 54 वर्ष के हैं। सत्ता की घुटटी उन्हें अपने घर से ही मिली थी क्योंकि उनका जन्म हरियाण के पूर्व मुख्यमंत्री भजन लाल के घर हुआ था। कुलदीप बिश्नोई को राजनीति विरासत में मिली लिहाजा अगर ये कहें कि कुलदीप बिश्नोई ने सत्ता की पढ़ाई तो घर से ही की हे, तो कहना गलत ना होगा। आगे चलकर यही पढ़ाई उनके काम आई। अपने पिता भजन लाल की राजनीतिक विरासत को कुलदीप बिश्नोई ने आगे बढ़ाया। अपने आप में शानदार है कुलदीप बिश्नोई का परिवार, कुलदीप बिश्नोई की शादी दिसंबर 1991 को रेणुका बिश्नोई से हुई थी। उनके दो बेटे और एक बेटी है। जिनके नाम हैं भव्य, चैतन्य और सिया बिश्नोई है। उनके दोनों बेटों में एक राजनीति में हैं तो दूसरा क्रिकेटर है। भव्य राजनीति में उतर गए और आज आदमपुर से भाजपा के विधायक हैं तो चैतन्य आईपीएल में खेल चुके हैं।
कुलदीप बिश्नोई का राजनीतिक सफर, कुलदीप बिश्नोई अब तक आदमपुर सीट से 4 बार विधायक और 2 बार सांसद बन चुके हैं। हिसार क्षेत्र में कुल नौ विधानसभा सीटें आती हैं। कुलदीप बिश्नोई पहली बार हिसार से सांसद चुने गए थे तो दूसरी बार भिवानी से। साल 2019 में बिश्नोई ने मोदी लहर के बावजूद चौथी बार जीत की हैट्रिक लगाई और पिता की साख को बचाए रखा। चुनावी मैदान में उनके सामने सेलेब्रिटी कैंडिडेट सोनाली फोगाट रहीं थी लेकिन उन्हें हार का स्वाद चखना पड़ा था। 1998 में पहली बार बने थे विधायक, कुलदीप बिश्नोई को पहली बार विधायक बनने का मौका साल 1998 में मिला था। अपने पिता भजन लाल की परंपरागत सीट आदमपुर से चुनाव लड़ा और यहीं से पहली बार कांग्रेस से विधायक बने थे। विधायक के बाद बने सांसद, कुलदीप बिश्नोई विधायक के बाद सांसद भी बने थे। साल 2004 से 2009 के बीच भिवानी से लोकसभा सांसद चुने गए थे। इस दौरान वे लोगों से जुड़े रहे और पिता की छांव से अलग होकर अपना एक नया मुकाम बनाने की कोशिशे भी वे लगातार करते रहे थे।
कुलदीप बिश्नोई का राजनीतिक सफर, कुलदीप बिश्नोई अब तक आदमपुर सीट से 4 बार विधायक और 2 बार सांसद बन चुके हैं। हिसार क्षेत्र में कुल नौ विधानसभा सीटें आती हैं। कुलदीप बिश्नोई पहली बार हिसार से सांसद चुने गए थे तो दूसरी बार भिवानी से। साल 2019 में बिश्नोई ने मोदी लहर के बावजूद चौथी बार जीत की हैट्रिक लगाई और पिता की साख को बचाए रखा। चुनावी मैदान में उनके सामने सेलेब्रिटी कैंडिडेट सोनाली फोगाट रहीं थी लेकिन उन्हें हार का स्वाद चखना पड़ा था। 1998 में पहली बार बने थे विधायक, कुलदीप बिश्नोई को पहली बार विधायक बनने का मौका साल 1998 में मिला था। अपने पिता भजन लाल की परंपरागत सीट आदमपुर से चुनाव लड़ा और यहीं से पहली बार कांग्रेस से विधायक बने थे। विधायक के बाद बने सांसद, कुलदीप बिश्नोई विधायक के बाद सांसद भी बने थे। साल 2004 से 2009 के बीच भिवानी से लोकसभा सांसद चुने गए थे। इस दौरान वे लोगों से जुड़े रहे और पिता की छांव से अलग होकर अपना एक नया मुकाम बनाने की कोशिशे भी वे लगातार करते रहे थे।
पिता के लिए कांग्रेस से किया किनारा, जिस कांग्रेस पार्टी में रहकर कुलदीप बिश्नोई पहली बार विधायक बने थे, उसी कांग्रेस पार्टी ने ऐसा काम किया जिससे नाराज होकर कुलदीप बिश्नोई ने पार्टी को छोड़ दिया था। दरअसल 2005 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस जीत तो गई थी लेकिन उनके पिता भजन लाल को सीएम नहीं बनाया गया। जिससे कुलदीप बिश्नोई नाराज हो गए थे और फिर कुलदीप बिश्नोई ने कांग्रेस के हाथ का साथ छोड़ दिया था। कुलदीप बिश्नोई ने बनाई थी खुद की पार्टी , कांग्रेस से अलग होकर कुलदीप बिश्नोई ने खुद अपनी पार्टी बनाई थी। 22 दिसंबर 2007 में हरियाणा जनहित कांग्रेस नाम से पार्टी कुलदीप बिश्नोई ने अपनी नई पार्टी का ऐलान किया था। उनकी पार्टी हजकां हरियाणा की एक प्रमुख राजनीतिक पार्टी भी बनी थी, जिसकी स्थापना हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी भजन लाल ने ही की थी। पिता के लिए कांग्रेस से किया किनारा, जिस कांग्रेस पार्टी में रहकर कुलदीप बिश्नोई पहली बार विधायक बने थे, उसी कांग्रेस पार्टी ने ऐसा काम किया जिससे नाराज होकर कुलदीप बिश्नोई ने पार्टी को छोड़ दिया था। दरअसल 2005 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस जीत तो गई थी लेकिन उनके पिता भजन लाल को सीएम नहीं बनाया गया। जिससे कुलदीप बिश्नोई नाराज हो गए थे और फिर कुलदीप बिश्नोई ने कांग्रेस के हाथ का साथ छोड़ दिया था। कुलदीप बिश्नोई ने बनाई थी खुद की पार्टी , कांग्रेस से अलग होकर कुलदीप बिश्नोई ने खुद अपनी पार्टी बनाई थी। 22 दिसंबर 2007 में हरियाणा जनहित कांग्रेस नाम से पार्टी कुलदीप बिश्नोई ने अपनी नई पार्टी का ऐलान किया था। उनकी पार्टी हजकां हरियाणा की एक प्रमुख राजनीतिक पार्टी भी बनी थी, जिसकी स्थापना हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी भजन लाल ने ही की थी।
पार्टी ने विधायक भी बनाए और किंग मेकर बनते बनते पार्टी बिखर गई विधायक बागी हो गए और पति-पत्नी दोनों ही भाजपा में रह गए थे जिसका केस लंबा चला। हालांकि फिर 9 साल के बाद साल 2016 में कुलदीप बिश्नोई ने पार्टी का विलय कांग्रेस मे ही कर दिया था। पिता की विरासत को बचाए हुए हैं कुलदीप बिश्नोई, कुलदीप बिश्नोई ने अपने पिता की विरासत लगातार बचाए रखा है। साल 2014 तक हुए 12वीं विधानसभा चुनाव में 11 बार लगातार बिश्नोई परिवार आदमपुर सीट पर विजय प्राप्त करता रहा। क्योंकि आदमपुर सीट बिश्नोई परिवार के वर्चस्व वाली सीट है ओर ये हमेशा से हॉट सीट बनी रही है। तो वहीं साल 2019 के विधानसभा चुनाव के दौरान जब मोदी लहर थी, तो उस समय भी कुलदीप बिश्नोई ने पिता की विरासत और सीट को दोनों को बचाने में कामयाब हुए थे। और अब कुलदीप बिश्नोई के इस्तीफा देने के बाद खाली हुई आदमपुर की सीट से उनके बेटे भव्य बिश्नोई ने उपचुनाव लड़ा और फिर से अपनी सीट पर काबिज हुए यानी कि 56 सालों की विरासत को संभालने में उनके सुपुत्र कामयाब रहे।
राजनीति में है पूरा बिश्नोई परिवार, भजन लाल के बाद उनका पूरा परिवार भी राजनीति में उतरा और सफलतापूर्वक काम भी किया। कुलदीप पिता चौधरी भजन लाल की तरह दो सीटों से सांसद रहे हैं। भजन लाल मुख्यमंत्री रहने के बाद दो बार सांसद भी रहे। वह 1989 फरीदाबाद और फिर 1998 में करनाल संसद सदस्य बने। कुलदीप बिश्नोई की मां जसमा देवी भी विधायक रही हैं। इसके साथ ही कुलदीप की पत्नी रेणुका भी हांसी सीट से विधायक रही हैं। तो वहीं उनका बेटा भव्य बिश्नोई भी अब आदमपुर सीट से विधायक है। उनके भाई चंद्रमोहन बिश्नोई भी लगातार राजनीति में रहे और हरियाणा के उपमुख्यमंत्री भी रहे उन पर हम अलग से सेना करेंगे लेकिन आज बात कुलदीप बिश्नोई की। जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों के बीच भी अपने पिता की विरासत को संभाले रखा कुछ लोग कहते हैं कि वह भजनलाल सरीखी राजनीति नहीं कर सके। ना उन की तरह मुकाम पा सके लेकिन जितना भी कुलदीप बिश्नोई ने राजनीति में योगदान दिया उनके लिए हरियाणा के राजनीतिक शास्त्र में उनका एक अलग से अध्याय जरूर लिखा जाएगा।