2019 के विधानसभा चुनाव से पहले चौटाला परिवार की एक और पुत्रवधु की हरियाणा की राजनीति में एंट्री हुई थी। नाम है सुनैना चौटाला, आपने नाम तो सुना ही होगा। नैना चौटाला औऱ सुनैना चौटाला के बीच भले ही रिश्ता देवरानी-जेठानी का हो. लेकिन राजनीति में अलग होने के कारण अब दोनों एक दूसरे के विरोधी खेमे में खड़ी हैं. दोनों की ही शिक्षा हिसार से हुई है. सुनैना चौटाला को इनेलो ने महिला प्रकोष्ठ की प्रदेश महसचिव बनाया गया था। डबवाली विधानसभा सीट से विधायक नैना चौटाला के सामने रिश्ते में उनकी देवरानी सुनैना चौटाला ने इनेलो से सक्रिय राजनीति में कदम रखे थे। आज सुनैना चौटाला के बारे आपको बताएंगे। उनसे जुड़ी हर छोटी-बड़ी खबर आपको बताएंगे।
सुनैना चौटाला अपने कॉलेज की दिनों से ही राजनीति में सक्रीय रही हैं. वे छात्र संघ की कॉलेज में प्रधान भी रही हैं. सुनैना चौटाला ओम प्रकाश के छोटे भाई और पूर्व विधायक स्वर्गीय प्रताप चौटाला के बेटे रवि चौटाला की पत्नी है। बता दें कि जब देवरानी सुनैना चौटाला को मैदान में उतारे जाने का नैना चौटाला से सवाल किया गया था तो उन्होंने कहा कि वह और उनकी पार्टी जजपा दाएं- बाएं नहीं झांकते, अपना काम करते है. यानी कि सुनैना चौटाला को लेकर उनकी तल्खी साफ दिखाई सुनाई दी थी। होगी क्यों ना देवीलाल परिवार की दूसरी महिला थी जो सशक्त राजनीति में उतरी थी। लेकिन यह याद रखिएगा देवीलाल की पौत्रवधू सुनैना की राजनीति में सरप्राइज इंट्री हुई थी। जिसे राजनीतिक गलियारे से लेकर आम लोगों तक सभी को चौंका दिया था। तब इसे इनेलो का तुरुप का पत्ता भी कहा गया था। सुनैना देवीलाल परिवार की दूसरी महिला हैं जो सियासत में उतरी हैं। इससे पहले वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में सुनैना की जेठानी नैना राजनीति में आई थी जो हलका डबवाली से विधायक बनी। उस समय जेठानी की चुनाव प्रचार में देवरानी खास मौकों पर नजर आई थी। लेकिन तब सुनैना की पिछले दरवाजे से राजनीति में सरप्राइज इंट्री हुई थी। सुनैना देवीलाल परिवार की दूसरी महिला हैं जो सियासत में उतरी हैं। इससे पहले वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में सुनैना की जेठानी नैना राजनीति में आई थी जो हलका डबवाली से विधायक बनी। उस समय जेठानी की चुनाव प्रचार में देवरानी खास मौकों पर नजर आई थी। लेकिन तब सुनैना की पिछले दरवाजे से राजनीति में सरप्राइज इंट्री हुई थी।
अब सुनैना चौटाला के परिवार और प्रारंभिक जीवन के बारे जान लेते हैं,सुनैना मूल रूप से तहसील बरवाला (हिसार) के गांव दौलतपुरखेड़ा की रहने वाली हैं। प्राथमिक शिक्षा रोहतक के एक निजी स्कूल में हुई। बाद में एफसी कॉलेज हिसार में दाखिला करवाया। ग्रेजुएशन करने के बाद एमए (अंग्रेजी) की। वर्ष 1995 में कॉलेज छात्र संघ की प्रधान बनी। सुनैना के पिता ईश्वर सिंह लांबा तथा मां बिमला देवी बारी-बारी से गांव के सरपंच बने थे। करीबी रिश्तेदार प्रताप सिंह लांबा विधायक रह चुके हैं। सुनैना भी जेठानी की तरह शूटिंग का शौक रखती हैं। वे राष्ट्रीय स्तर पर खेल चुकी हैं। इसके अतिरिक्त फुटबाल खेलना भी पसंद हैं। सुनैना सालों से पैदल सालासर जाती रहती हैं। हर छह माह बाद 15 दिनों की धार्मिक यात्रा करती हैं। स्वस्थ रहने के लिए रोजाना योग करती हैं। देश के बड़े राजनीतिक परिवार से ताल्लुक होने के बावजूद वह हमेशा राजनीति से दूर रहीं। राजनीति के बारे में कभी चर्चा नहीं करती थीं। हालांकि देवीलाल के विचारों से खासी प्रभावित है। देवीलाल के किए कार्यों में सबसे अच्छा उन्हें बुढ़ापा पेंशन लगता है।
सुनैना का कटाक्ष- सरकार ने घर-घर पहुंचाई शराब, 2020 में इनेलो महिला विंग प्रदेश महासचिव सुनैना चौटाला ने जेजेपी और बीजेपी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था कि दुष्यंत चौटाला जैसी संगती में गए हैं उसका असर पडऩा स्वाभाविक है। सत्ता में आने से पहले जेजेपी और बीजेपी ने कहा था कि गांव से शराब के ठेकों का हटवा कर लोगों को नशा मुक्त करेंगे, वहीं अब घर-घर शराब बेचने की प्रक्रिया सरकार ने शुरू कर दी है और युवाओं को नशे की दलदल में खुद ही धकेल रहे हैं। वहीं इनेलो पार्टी का सत्ता में न आना पारिवारिक झगड़ा माना और कहा कि जब परिवार में कलह बढ़ता है तो कोई भी परिवार उबर नहीं पाता। ऐलनाबाद उपचुनाव अभय के लिए किया था जोरदार प्रचार, 2021 में पार्टी के उम्मीदवार अभय चौटाला के लिए जोरदार प्रचार किया था, जो ऐलनाबाद से लगातार चौथी बार चुनाव लड़ रहे थे। ऐलनाबाद उपचुनाव से पहले, सुनैना अभय के पक्ष में महिला मतदाताओं को लामबंद करने के लिए नियमित रूप से ग्राम-स्तरीय बैठकें कर रही थी।
हाथ जोड़कर, परिवार की दूसरी बहू को मतदाताओं से अभय का समर्थन करने का आग्रह करते देखा गया, ऐलनाबाद में प्रचार करते हुए सुनैना ने कहा, ‘मतदाता बड़े साहब (ओपी चौटाला) को देखने के लिए उत्साहित हैं। वह पार्टी के साथ-साथ परिवार के लिए एक केंद्रीय शक्ति के रूप में काम कर रहे हैं। मैं गाँव की चौपालों में बैठकें करके और महिलाओं के साथ बंद कमरे में बैठकें करके अपना कर्तव्य निभा रही हूँ। कहा, “महिला मतदाताओं का तीन कृषि कानूनों के बारे में स्पष्ट दृष्टिकोण है और उपचुनाव में भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशियों को सबक सिखाने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।”
जानकारों का दावा है कि इनेलो सुप्रीमो ओम प्रकाश चौटाला के छोटे भाई दिवंगत प्रताप सिंह चौटाला के बेटे रवि के चचेरे भाई अजय और अभय के साथ हमेशा खट्टे-मीठे रिश्ते रहे हैं. लेकिन जेजेपी बनने के बाद रवि और उनकी पत्नी सुनैना ओपी चौटाला और अभय के प्रति वफादार हैं. और कंधे से कंधा मिलाकर पार्टी और अभय के साथ खड़े हैं। सम्मान दिवस की तैयारियों को दिया था अंतिम रूप, इनेलो द्वारा स्व. देवीलाल की जयंती पर 25 सितंबर 2022 को आयोजित फतेहाबाद में सम्मान समारोह को लेकर सुनैना चौटाला ने हलके के विभिन्न गांवों के दौरे किए थे। सुनैना चौटाला ने कहा कि वह स्व. देवीलाल की जयंती पर फतेहाबाद में आयोजित सम्मान समारोह का निमंत्रण देने के लिए आई हूं। उचाना हलके के गांवों से स्वर्गीय देवीलाल का लगाव रहा। इन गांवों को तो विरोधी पार्टी के लोग स्वर्गीय देवीलाल समर्थक गांव कहते थे। उचाना हलके के गांवों से स्वर्गीय देवीलाल का लगाव रहा। इन गांवों को तो विरोधी पार्टी के लोग स्वर्गीय देवीलाल समर्थक गांव कहते थे।
हलके के लोगों से राजनीतिक नहीं बल्कि हमारा दिल का रिश्ता है। उन्होंने कहा कि यहां के लोगों ने भाजपा के खिलाफ मतदान करते हुए जिसको विधायक चुना था। आज वह भाजपा की गोदी में जा बैठा। सुनैना ने जींद जिले की संभाली है कमान, जींद जिले ने इनेलो को 2009 में पांचों सीट दी थी। जींद को इनेलो का गढ़ भी कहा जाता रहा है। 2014 में भी जींद से तीन विधायक इनेलो के बने। इनेलो से अलग होकर जेजेपी पार्टी बनने के बाद इनेलो को इसका नुकसान हुआ। 2019 में जींद से कोई विधायक नहीं बना बल्कि वोट प्रतिशत भी जिले में कम हुआ। आज जींद जिले में जेजेपी के सबसे अधिक तीन विधायक है। अब इनेलो को जींद में फिर से मजबूत करने के लिए सुनैना चौटाला ने कमान संभाली हुई है। गांव में उनको सुनने के लिए विशेषकर महिलाओं की संख्या अधिक होती है। जिससे लगता है कि वह इनेलो के लिए लोगों को दोबारा से महिलाओं को जोड़ने का काम कर पा रहे हैं। सुनैना की वजह से इनेलो स्वाभाविक तौर पर मजबूत हुई है। लेकिन उनकी असली अग्नि परीक्षा तो 2024 में होगी। तब देखेंगे क्या सुनाना विधायक बन पाएंगे और कितना पार्टी को मजबूत कर जिताएंगे।