नवीन जिंदल भारत में आज एक फेमस नाम है. वे ओमप्रकाश जिंदल के बेटे हैं और वर्तमान में जिंदल ग्रुप की कुछ कंपनियों के चेयरमेन हैं. भारत में स्टील बिजनेस की बात करें तो इसमें एक नाम सबसे ज्यादा पॉपुलर है और वो ‘जिंदल ग्रुप है.जिंदल ग्रुप सिर्फ स्टील का ही बिजनेस नहीं करता है बल्कि इसकी कई और बड़ी-बड़ी कंपनियाँ भी हैं. लेकिन जिंदल ग्रुप का असली नाम ओमप्रकाश जिंदल और नवीन जिंदल ने किया. नवीन जिंदल भी अपने पिता की तरह ही राजनीतिघ रह चुके हैं। साथ ही वे एक बढ़िया बिजनेसमेन भी हैं। नवीन जिंदल का जन्म 9 मार्च 1970 को हिसार में उद्योगपति राजनेतिक समाजसेवी ओपी जिंदल और सावित्री जिंदल के घर हुआ। दिल्ली पब्लिक स्कूल से आरंभिक शिक्षा ली। 1990 में दिल्ली के हंसराज कालेज से ग्रेजुएशन किया। बाद में अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ टैक्सास से एमबीए किया। 28 मई 1994 को नवीन जिंदल की शादी शालू जिंदल से हुई। शालू एक प्रोफेशनल कुच्छीपुड़ी डांसर हैं। नवीन जिंदल ने टेक्सास से लौटकर अपने पिता ओमप्रकाश जिंदल के कामकाज में मदद की।

उनकी मृत्यु के बाद नवीन जिंदल ने पिता के कारोबार को संभाला. अपने पिता की तरह ही नवीन की रुचि भी राजनीति में रही है. वे अपने विद्यार्थी जीवन से ही राजनीति में रुचि लेते रहे हैं. उन्होने टेक्सास यूनिवर्सिटी में Student Leader of the year award जीता था. साल 2004 में नवीन जिंदल को लोकसभा चुनाव लड़ने का मौका मिला. उन्हें कॉंग्रेस की ओर से हरियाणा की कुरुक्षेत्र सीट पर चुनाव लड़ने का अवसर दिया गया. इस चुनाव में उन्होने जीत भी दर्ज की. इसके बाद साल 2009 में चुनाव हुए जिसमें भी उन्हें जीत ही मिली. राजनीति में रहते हुए उन्होने भ्रष्टाचार, जनसंख्या विस्फोट, महिला सशक्तिकरण, पर्यावरण, स्वास्थ्य और शिक्षा की ओर ध्यान दिया। हर हिंदुस्तानी को दिलाया तिरंगा फहराने का अधिकार, आज के समय में आप खुद तिरंगा फहरा सकते हैं, अपनी बाइक पर लगा सकते हैं, अपने ऑफिस में लगा सकते हैं, आपकी कार में लगा सकते हैं, अपने कपड़े पर चिपका सकते हैं. लेकिन कुछ सालों पहले तक ऐसा नहीं था. आज आपको तिरंगा लगाने की आजादी नवीन जिंदल के प्रयासों से ही मिली है.नवीन जिंदल जब अमेरिका में रहकर पढ़ाई कर रहे थे. तब उन्होने देखा कि अमेरिकी अपने घर और ऑफिस कहीं भी झण्डा लगा सकते हैं. जब वे भारत आए तो उन्होने नियमित रूप से अपनी राजगढ़ वाली फैक्ट्री में ध्वजारोहण करना चाहा. लेकिन कानून ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया. उसी समय जिंदल ने ये ठानी कि वे देश को इस नियम से आजादी दिलाकर रहेंगे.
साल 1995 में नवीन जिंदल इस मुद्दे पर दिल्ली कोर्ट गए. वहाँ केस चलता रहा और 9 साल बीत गए. 23 जनवरी 2004 को जब दिल्ली कोर्ट ने फैसला सुनाया तो वो नवीन जिंदल और उन समस्त देशवासियों के हित में था जो झण्डा लहराना चाहते थे।
नवीन जिंदल को मिले है ढेरो सम्मान,नवीन जिंदल के नाम पर कई अवार्ड और सम्मान हैं. 1) दिसंबर 2011 में नवीन जिंदल को पीएन भगवती अवार्ड से नवाजा गया था. जिसे उन्हें देश के पूर्व राष्ट्रपति डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम ने दिया था. 2) साल 2011 में ही University of Texas ने अपने School Of Management का नाम बदलकर नवीन जिंदल के नाम पर रखा था. 3) साल 2010 में उन्हें Ernst and Young Entrepreneur of the year Award से नवाजा गया था. 4) साल 2007 में नवीन जिंदल ने सिंगापुर ओपन शूटिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता था. 5) साल 2004 में South Asian Federation Games में सिल्वर मेडल जीता था। राजनेता बिजनेसमैन से आगे बढ़कर समाजसेवी भी, नवीन जिंदल एक बिजनेसमेन होने के साथ-साथ एक बेहतरीन राजनेता, एक निशानेबाज और एक अच्छे व्यक्ति हैं. उन्होने लोगों के भले के लिए कई कार्य किए हैं. उन्होने देश में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए अपने पिता के नाम पर ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी की स्थापना की. इस तरह के कई कार्य नवीन जिंदल ने अपने बिजनेस के साथ किए हैं. बिजनेस में आज उनका स्थान भले ही कहीं पर भी हो लेकिन लोगों की भलाई के लिए उन्होने जो कार्य किए हैं वे तारीफ के काबिल हैं।

राजाओ जैसा है नवीन जिंदल का रुतबा, देश के सबसे महंगे घर में रहते हैं, खुद का है चॉपर। प्रोफेशनल पायलेट भी हैं नवीन। उनका वार्षिक वेतन 144 करोड़ रुपए हैं। कुल संपत्ति 29 हजार 600 करोड़ हैं। रोल्स रॉयस, जगुआर, ऑडी, मर्सडीज बीएमडब्ल्यू गाडिय़ां हैं। उनके पास करीब 50 करोड़ कीमत की कारें हैं। उनके पास खुद का एयरक्राफ्ट भी है। नवीन जिंदल का बंगला देश के चंद महंगे मकानों में शुमार है। साल 2010 में उन्होंने दिल्ली के लुटियंस जोन में 129 करोड़ रुपए का बंगला खरीदा। यह किसी महल से कम नहीं है। इनके पास दिल्ली, मुम्बई के अलावा हिसार और कुरुक्षेत्र में भी घर हैं। देश के कई राज्यों में उनके स्टील कारखाने हैं। एक उद्योगपति से राजनीति में आने का उनका सफर दिलचस्प रहा। उनके पिता ओपी जिंदल पहले से राजनीति में थे। उनके पिता ही उन्हें राजनीति में लेकर आए जबकि नवीन के अन्य तीनों भाई राजनीति से दूर हैं।
नवीन का राजनीतिक सफर, नवीन जिंदल ने 2004 के संसदीय चुनाव में कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट से 3 लाख 62 हजार वोट लेते हुए इनैलो के अभय चौटाला को करीब 1 लाख 60 हजार वोटों के अंतर से हराया। 2009 के चुनाव में उन्होंने 3 लाख 97 हजार वोट लेते हुए इनैलो के अशोक अरोड़ा को करीब 1 लाख 18 हजार वोटों से पराजित किया था। साल 2014 का चुनाव वे भाजपा के राजकुमार सैनी से चुनाव हार गए जबकि 2019 में उन्होंने चुनाव ही नहीं लड़ा। सियासत से हटकर बात करें तो नवीन जिंदल एक प्रोफेशनल पायलेट हैं। बेशक मार्च 2005 में नवीन जिंदल के पिता ओपी जिंदल की एक विमान हादसे में मौत हो गई। पर नवीन जिंदल अक्सर अपना चॉपर खुद चलाते हैं।
खेलों में भी है एक अलग ही रुतबा, वे प्रोफेशनल शूटर हैं। 2004 में पाकिस्तान हुए दक्षिण एशिया गेम्स में उन्होंने सिल्वर मैडल जीता। वे शूटिंग में नैशनल रिकॉर्ड भी अपने नाम कर चुके हैं। शूटिंग में वे 4 इंटरनैशनल, 20 से अधिक नैशनल मैडल अपने नाम कर चुके हैं। पोलो में 25 मैडल ले चुके हैं तो कॉर्पोरेट सैक्टर भी तीस अवार्ड उन्हें मिल चुके हैं। वे प्रोफेशनल पोलो हॉर्स राइडर भी हैं। उन्हें योगा करना भी अच्छा लगता है। तिरंगे का इस्तेमाल करने को लेकर उन्होंने फ्लैग फाऊंडेशन ऑफ इंडिया नाम से एक मुहिम शुरू की थी। नवीन खुद अपने हाथ में तिरंगे का ब्रेसलेट पहनते हैं और अपनी कमीज पर तिरंगा लेपल लगाते हैं। उन्होंने कुरुक्षेत्र में 121 मीटर ऊंचा तिरंगा लगवाया। वे एक कामयाब उद्योगपति भी हैं। वे कई बार बेस्ट चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर भी रह चुके हैं। नवीन जिंदल का समूह दान-पुण्य में भी बहुत आगे हैं।
सांसद रहते किए गए उत्कृष्ट कार्य, कुरुक्षेत्र का सांसद रहते हुए उन्होंने 10 करोड़ 92 लाख रुपए की राशि सांसद विकास निधि से तो खर्च की। इसके साथ ही उन्होंने ओपी जिंदल जन कल्याण संस्थान के माध्यम से भी कुरुक्षेत्र लोकसभा में 45 करोड़ 55 लाख रुपए से विकास कार्य पूरे करवाए। नवीन जिंदल की दिनचर्या के बारे में बात करें तो वे सुबह जल्दी उठते हैं। योगा करने के अलावा वे अपने घर में ही बने पोलो ग्राऊंड में दौड़ लगाते हैं। जिम भी करते हैं। सुबह हलका नाश्ता करने के बाद ऑफिस जाते हैं। पहले सांसद थे तो कुरुक्षेत्र में भी काफी वक्त बिताते थे। अब पिछले कुछ समय से बिजनेस पर फोकस कर रहे हैं। वे नियमित रूप से शूटिंग और पोलो खेलते हैं। उनकी सब बाते सही से चल रही थी, लेकिन नवीन जिंदल राजनीति से यकायक गायब क्यों हो गए जिसका आज तक भी पता नहीं लग पाया है, उनके विरोधी कहते हैं कि कहीं ना कहीं सत्ता पक्ष के दबाव में उन्हें राजनीति से अघोषित संन्यास लेना पड़ा। कुछ कहते हैं कि उन्हें अपने बिजनेस को बचाए रखने के लिए राजनीति से दूर होना पड़ा। अब सच्चाई तो नवीन जिंदल ही जानते हैं लेकिन इतना जरूर है कि राजनीति के शिखर पर चमकने वाला यह सितारा राजनीति से ऐसे दूर हुआ की अपनों और बेगानों सबको खल रहा है। अब देखना होगा कि माहौल अनुकूल होने के बाद क्या वह राजनीति में आएंगे या फिर राजनीति के आसमान का यह सितारा सदा सदा के लिए बिजनेस में ही डूबा रहेगा।