तन्नु ने अपनी पत्नी से शादी की थी, जो अब गर्भवती थी। 2 दिन पहले उसकी पत्नी को दर्द हुआ और वह उसे पानीपत के निजी अस्पताल ले गए, जहां बच्चा 7 महीने के गर्भवती बाद पैदा हुआ, लेकिन उसमें ऑक्सीजन की कमी थी।
अस्पताल के खर्च के कारण, उन्हें सिविल अस्पताल भेजा गया, लेकिन वहां बच्चे को इलाज नहीं मिल सका, तो डॉक्टरों ने करनाल के कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर किया। फिर भी वहां वेंटिलेटर नहीं मिल सका, और बच्चे को रोहतक PGI भेज दिया गया, लेकिन उसके रास्ते में ही बच्चे की मौत हो गई।
परिजन डॉक्टरों के सामने हाथ जोड़कर इलाज की गुजारिश की, लेकिन दो जिलों के डॉक्टर उपलब्ध नहीं थे। यह परिवार के लिए पहला प्रीमैच्योर बच्चा था, और नवजात की मौत से खुशियां मातम में बदल गई।