राम सेतू और विवादों का नाता तो चोली दामन जैसा हो गया है.. यानि के जहां जहां राम सेतू, वहां- वहां विवाद। हमारे देश में सरकारें तो बदली लेकिन नहीं बदला तो सवाल का रूप.. कि आखिर राम सेतू है क्या? सच्चाई की कसौटी पर राम सेतू को कई बार पिसा गया लेकिन ये खरा नहीं उतर पाया। ना जाने वो कौन सा पैमाना होगा, जो ये बता दे कि राम सेतू एक हकीकत है या फिर कोई गढ़ी गई कहानी? रामसेतु के अस्तित्व को लेकर एक बार फिर बहस शुरू हो गई है। केंद्र सरकार ने संसद में रामसेतु के अस्तित्व पर पुख्ता प्रमाण होने से इंकार किया, तो विपक्ष इस मामले में हमलावर हो गया है।
…..राम सेतू को लेकर पक्ष और विपक्ष में तकरार है। दोनों ही ओर से बयानबाजी जारी है और अधर में लटका है तो लाखों करोड़ों देशवासियो का विश्वास। जो कि समय बीतने के साथ और भी ज्यादा मजबूत होता जा रहा है कि राम सेतू असल में एक हकीकत है। ऐसा नहीं है कि राम सेतू को हम हकीकत मानने से इंकार कर रहे हैं लेकिन जो हमारे नेता राम सेतू को लेकर बयानबाजी कर रहे हैं, वो कहीं ना कहीं लोगों की आस्था और विश्वास पर चोट जरूर देते हैं।…रामसेतु पर विवाद क्या है?,रामसेतु को लेकर कई पौराणिक कथाओं का हवाला देते हुए दावे किए जाते हैं। सबसे बड़ा दावा तो ये है कि भगवान राम ने इस सेतु को लंका पर चढ़ाई करने के लिए बनाया था। जिसमें बंदरों की सेना ने उनकी मदद की थी। वहीं मुस्लिम पक्ष की तरफ से दावा किया जाता है कि आदमी ने इस पुल को बनाया था।
अगर साइंटिफिक रिसर्च की बात करें तो एक्सपर्ट्स का कहना है कि समुद्र में उस जगह पानी उथला होने के चलते पत्थर दिखने लगे हैं, इसे लेकर साल 2007 में यूपीए सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि ऐसे कोई भी प्रमाण नहीं है कि कथित रामसेतु को इंसानों ने बनाया था। इसे लेकर जमकर हंगामा हुआ था, जिसका जिक्र आज भी बीजेपी के कई नेता करते हैं।…राम सेतू पर मोदी सरकार ने क्या कहा?,जिस राम सेतू की मोदी सरकार अकसर हिमायती हुआ करती थी, तो वहीं उसी सरकार का अब बदला हुआ बयान संसद में सुनने को मिला है। केंद्र की मोदी सरकार की तरफ से मंत्री जितेंद्र सिंह ने संसद में कहा था कि ‘भारत और श्रीलंका के बीच रामसेतु के पुख्ता साक्ष्य नहीं है’। दरअसल इस मुददे को हरियाणा से निर्दलीय राज्यसभा सांसद कार्तिकेय शर्मा ने उठाया था। जिस पर मंत्री जितेंद्र सिंह ने जवाब देते हुए राम सेतू पर ही सवाल खड़े कर दिए। उन्होंने कहा था कि जिस स्थान पर पौराणिक रामसेतु होने का अनुमान लगाया जाता है, उस स्थान की सैटेलाइट तस्वीरें लिए जाने से छिछले पानी में आइलैंड और चूना पत्थर नजर आते हैं, लेकिन यह दावा नहीं कर सकते हैं कि वही रामसेतु के अवशेष हैं। इसके साथ ही जितेंद्र सिंह ने संसद कहा था कि भारत का स्पेस डिपार्टमेंट इस कार्य में लगा हुआ है। उन्होंने ये भी कहा कि रामसेतु के बारे में जो प्रश्न हैं, इसकी खोज को लेकर हमारी कुछ सीमाए हैं। कारण यह है कि इसका इतिहास 18 हजार वर्ष पुराना है और अगर इतिहास में जाएं तो यह पुल लगभग 56 किलोमीटर लंबा था…सांसद कार्तिकेय शर्मा ने क्या सवाल उठाया था?, हरियाणा से निर्दलीय सांसद कार्तिकेय शर्मा ने राज्यसभा में इस मुद्दे को उठाया था और उन्होंने सरकार से पूछा कि ‘‘मैं पूछना चाहता हूं कि क्या सरकार हमारे गौरवशाली इतिहास को लेकर कोई साइंटिफिक रिसर्च कर रही है, क्योंकि पिछली सरकारों ने लगातार इस मुद्दे को तवज्जो नहीं दी है’’…फिर कांग्रेस ने भाजपा पर कर दिया पलटवार, मंत्री जितेंद्र सिंह के बयान देने की देर थी कि कांग्रेस के द्वारा भी पलटवार कर दिया गया। छत्तीसगढ़ कांग्रेस में संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने अपने बयान में कांग्रेस की नरसिम्हा राव सरकार की बात याद दिला दी। उन्हांेने कहा कि कांग्रेस सरकार के समय 1993 में नासा के माध्यम से सेटेलाईट के कुछ तस्वीर लेकर उसका विश्लेषण किया था, जिसमें यह अनुमान लगा कि यह पुल मानव निर्मित है। यानि कांग्रेस की सरकार ने यह स्थापित करवाया कि सेतु बंधु रामेश्वरम में स्थिति श्रीराम सेतु का अस्तित्व हैं लेकिन दुर्भाग्यजनक है कि आज भाजपा उसको नकार रही है.,कांग्रेस नेता शुक्ला ने आगे ये भी कहा कि भारत के दक्षिण पूर्व में रामेश्वरम और श्रीलंका के पूर्वोत्तर में मन्नार द्वीप के बीच पौराणिक श्रीराम सेतु उपलब्ध है। लंका युद्ध के पूर्व भगवान श्रीराम ने अपनी वानर सेना और सेना के दो वीर नल- नील के सहयोग से सेतु बंधु रामेश्वरम पुल बनाया था, जिसके माध्यम से वानर सेना लंका पर चढ़ाई करने गयी थी।..कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा का मोदी सरकार पर निशाना, कांग्रेस के नेता पवन खेड़ा ने मोदी सरकार पर तंज कसा और कहा कि ‘‘सभी भक्त जन कान खोल कर सुन लें और आंखे खोल कर देख ले। मोदी सरकार संसद में कह रही है कि राम सेतू होने का प्रमाण नहीं है’’…भाजपा ने कांग्रेस पर कर दिया पलटवार, कांग्रेस ने जब भाजप के राम के प्रति आस्था पर सवाल उठाए, तो फिर भाजपा की ओर से भी पलटवार करते देर ना लगी। सवाल जब छतीसगढ़ से उठा था, तो फिर जवाब भी छत्तीसगढ़ से ही आया। प्रदेश भाजपा प्रवक्ता देवलाल ठाकुर ने तत्काल पलटवार करते हुए कहा कि ‘‘रामद्रोही कांग्रेस कालनेमि का रोल अदा कर रही है। कांग्रेस कपड़ों की तरह चरित्र बदलती रहती है। भ्रम हो जाता है कि इसका असल चरित्र क्या है। सम्पूर्ण विश्व जानता है कि कांग्रेस की केंद्र सरकार ने कोर्ट में दिए हलफनामे में रामसेतु का अस्तित्व नकार दिया था। भारत की सांस्कृतिक विरासत की पहचान भगवान राम को काल्पनिक बताने वाले कांग्रेसी अब राम राम जप रहे हैं। अयोध्या में राम जन्मभूमि पर रामलला का मंदिर बनने से रोकने का षड्यंत्र रचने वाले कांग्रेसी अब चोला बदल रहे है’’
राम सेतू आखिर है क्या? , राम सेतू के बारे में अगर रामायण की कहानी को एक ओर रख भी दें और आज की वर्तमान स्थित के बारे में देखेंगे तो आप पाएंगे कि राम सेतू भारत के दक्षिणपूर्व में रामेश्वरम और श्रीलंका के बीच का एक सेतू था। जो कि मन्नार द्वीप से जुड़ा था और चूने की उथली चट्टानों की शृंखलाबद्ध पुल था। इस पुल को भारत में तो रामसेतु कहा जाता है, जबकि बाकी दुनिया एडम्स ब्रिज के नाम से जानती है। राम सेतू के बारे में अगर रामायण की कहानी को एक ओर रख भी दें और आज की वर्तमान स्थित के बारे में देखेंगे तो आप पाएंगे कि राम सेतू भारत के दक्षिणपूर्व में रामेश्वरम और श्रीलंका के बीच का एक सेतू था। जो कि मन्नार द्वीप से जुड़ा था और चूने की उथली चट्टानों की शृंखलाबद्ध पुल था। इस पुल को भारत में तो रामसेतु कहा जाता है, जबकि बाकी दुनिया एडम्स ब्रिज के नाम से जानती है। इस पुल की लंबाई करीब 30 मील यानि के 48 किलोमीटर के करीब है। यह पुल मन्नार की खाड़ी और पाक जलडमरू बीच को एक दूसरे से अलग करता है। इस क्षेत्र में समुद्र बहुत उथला यानि के गहरा है। जिसके कारण यहां बड़ी नावें और जहाज चलाने में दिक्कतें आती हैं। ऐसा भी माना जाता है कि सेतू के इस ढांचे पर चलकर लोग 15 शताब्दी तक रामेश्वरम से मन्नार द्वीप तक जाया करते थे, किन्तु तूफानों ने यहां समुद्र को थोड़ा और गहरा बना दिया, जिसके पश्चात यह पुल समुद्र में डूब गया। नासा ने 1993 में इस रामसेतु की सैटेलाइट तस्वीरें जारी करके इसे मानव निर्मित पुल बताया था।