हरियाणा में 2024 के चुनाव की सुगबुगाहट शुरू हो चुकी है और चुनाव के इस मौसम में अब बड़े से बड़े नेता अपने हरियाणा की धरती पर दस्तक देंगे। लिहाजा आज के इस एसएनए में हरियाणा के नेता जो केंद्र में सक्रिय है उनके बारे में जानेंगे। बात करेंगे केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव की। भाजपा के केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव के जीवन के बारे में आज हम जानेंगे। अब आप कहेंगे कि भूपेंद्र यादव ही क्यों, तो जवाब ये है कि एसएनए में हमेशा से हरियाणा के नेताओ के बारे में जानते आए हैं, तो वहीं ऐसे में भूपेंद्र यादव के बिना ये सिलसिला अधूरा रहेगा। उनका हरियाणा से रिश्ता कैसा है, उनकी राजनीति कैसी है यह भी जानेंगे।

भूपेंद्र यादव का जन्म 30 जून 1969 को हुआ था, वे 53 वर्ष के हैं। भाजपा नेता व केंद्रीय श्रम एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव का नाता हरियाणा के गुरुग्राम से हैं। गांव जमालपुर के निवासी हैं। तो देखा आपने कि कैसे केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव का हरियाणा से नाता है। जैसा कि हमने आपको शुरूआत में बताया था कि उनका अपने हरियाणा से गहरा नाता है। इसलिए आज हमने भूपेंद्र यादव को चुना और अब आगे उनके जीवन के बारे मे जानते हैं। रेलवे में नौकरी करते थे भूपेंद्र यादव के पिताजी, केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव के पिताजी कदम सिंह यादव रेलवे में नौकरी किया करते थे। वे कई वर्षों तक अजमेर में तैनात रहे। लिहाजा इस वजह से पूरा परिवार राजस्थान के अजमेर ही कई वर्षों तक रहा। भूपेंद्र यादव ने स्कूल से लेकर कालेज तक की शिक्षा राजस्थान में ही ग्रहण की। लिहाजा उनके पालन पोषण के हिस्से राजस्थान का प्यार भी आया।

छात्र राजनीति से केंद्रीय मंत्री तक का सफर किया तय, भूपेंद्र यादव ने छात्र राजनीति से लेकर केंद्रीय मंत्री बनने तक का सफर तय किया है। भूपेंद्र यादव मात्र सात साल की उम्र में ही आरएसएस यानि के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए थे। बस फिर क्या था, यहीं से जो सिलसिला शुरू हुआ था, वो धीरे धीरे आगे बढ़ता गया। फिर भाजपा से जुड़े और फिर आज देखिए केंद्र में मंत्री तक बन चुके हैं। सरकारी नौकरी नहीं थी पसंद, ये अपने आप में रोचक बात है कि भूपेंद्र यादव बेशक आज खुद सरकार का हिस्सा हैं, लेकिन उन्हें खुद सरकारी नौकरी का शौक नहीं था। बचपन में उन्होंने ठान लिया था कि सरकारी नौकरी नहीं करनी है। उन्हें तो सामाजिक या राजनीतिक क्षेत्र में जा कर राष्ट्र के लिए काम करना था। इसी विचार के साथ वे बड़े हुए और धीरे- धीरे आगे बढ़ते रहे। उसी सोच के बलतुते आज वे राजनीति में मुकाम हासिल कर पाए हैं।

बेटे की उपलिब्ध पर पिता को था गर्व, बेटा जिंदगी में जो सोचे उसे पूरा कर दिखाए, तो भला किस बाप को गर्व नहीं होगा। मंत्री भूपेंद्र यादव के पिता ने भी अपने बेटे की उपलब्धि पर गर्व जताया था। उन्होंने कहा था कि एक पिता की जो जिम्मेदारी होती है, उन्होने केवल वही निभाई है। पिता की जिम्मेदारी होती है बच्चों को अच्छी शिक्षा प्रदान करना। यह जिम्मेदारी उन्होंने निभाई। आज भूपेंद्र जो भी हैं वह उनकी मेहनत है। इसमें उनका कोई योगदान नहीं है। पिता बेटे की उपलब्धि से बहुत खुश हैं। उनके बेटे ने यह दर्शा दिया है कि यदि आप पूरी ईमानदारी व निष्ठा के साथ काम करते हैं तो फल मिलना तय है। कानून की पढ़ाई के बाद राजनीति में रखे कदम, भूपेंद्र यादव ने कानून की पढ़ाई की है और उन्होंने पढ़ाई पूरी करने के बाद ही राजनीति में कदम रखे थे। पहले जहां वे आरएसएस से जुड़े हुए थे, तो वहीं वे भाजपा की राजनीति में भी सक्रिय होने लगे थे। भूपेंद्र यादव ने कई वर्षों तक अधिवक्ता परिषद में भी काम किया।

फिर वे भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी बने। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। कई बड़े मामले में काम आई उनकी वकालत, साल 2000 में उन्हें अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद का महासचिव नियुक्त किया गया और 2009 तक वे इस पद पर रहे। वह लिब्रहान आयोग के सरकारी वकील थे। जिसने 1992 में बाबरी मस्जिद के विध्वंस की जांच की। वह ऑस्ट्रेलियाई मिशनरी ग्राहम स्टेन्स की हत्या मामले में भी वकील थे, जिसकी जांच न्यायमूर्ति वाधवा आयोग ने की थी।
2010 में भाजपा में मिला बड़ा पद, भूपेंद्र यादव को साल 2010 में भारतीय जनता पार्टी में बड़ा पद मिला था। वे भाजपा के राष्ट्रीय सचिव नियुक्त हुए। फिर इसके बाद 4 अप्रैल साल 2012 में उन्हें राज्यसभा के सदस्य के रूप में चुना गया। फिर इसके बाद उन्हें कई राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों के लिए बड़ी कई बड़ी अहम जिम्मेदारियां दी गई। भाजपा के लिए बने थे युद्ध कक्ष रणनीतिकार, भूपेंद्र यादव के काम काज को देखते हुए भाजपा ने उन्हें और भी कई बड़ी जिम्मेदारियां दी।

जैसे कि विधानसभा चुनवों के लिए उन्हें युद्ध कक्ष रणनीतिकार बनाया गया था। साल 2013 में राजस्थान के लिउ, साल 2017 में गुजरात के लिए, झारखंड के लिए साल 2014 और फिर उत्तर प्रदेश के लिए साल 2017 के समय वे भाजपा के युद्ध कक्ष रणनीतिकार थे। विधानसभा चुनावों में अपनी पार्टी के लिए ठोस जीत हासिल करने के पीछे युद्ध कक्ष रणनीतिकार भूपेंद्र यादव ही थे। इसी के साथ यादव को 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा का प्रभारी बनाया गया था। साल 2021 में केंद्रीय कैबिनेट में शामिल हुए थे यादव, भूपेंद्र यादव कद राजनीति में लगातार बढ़ता रहा। छात्र राजनीति से जो उन्होंने चलना शुरू किया, तो फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। इसी मेहनत का नतीजा रहा कि भूपेंद्र यादव को केंद्रीय कैबिनेट में अहम जिम्मेदारी मिली। भूपेंद्र यादव पूर्व के गुड़गांव आज के गुरुग्राम में युवा मोर्चा के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। मोदी सरकार के दूसरे टर्म के समय साल 2021 में भूपेंद्र यादव केंद्रीय कैबिनेट मे शामिल हुए। तब भूपेंद्र यादव को श्रम मंत्रालय का कार्यभार सौंपा गया था। सिफ्र इतना ही नहीं, उनके पास पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन का विभाग भी है। मोदी सरकार के दूसरे टर्म के समय साल 2021 में भूपेंद्र यादव केंद्रीय कैबिनेट मे शामिल हुए। तब भूपेंद्र यादव को श्रम मंत्रालय का कार्यभार सौंपा गया था। सिफ्र इतना ही नहीं, उनके पास पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन का विभाग भी है।

गृह मंत्री अमित शाह के हैं विश्वासपात्र, भूपेंद्र यादव केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के सबसे विश्वासपात्र लोगों में से एक हैं। तभी तो जब मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के सयम फेरबदल हुआ था, तो फिर कैबिनेट मंत्री बनाए जाने के ठीक एक दिन बाद ही उन्होने पदभार ग्रहण किया था। कमिटी मैन की मिली थी उपाधि, संसदीय चयन समितियों के विशेषज्ञ के रूप में यादव की प्रतिष्ठा ने उन्हें ‘कमिटी मैन’ की उपाधि भी दिलाई है। वह दिवाला और दिवालियापन संहिता 2015 पर संयुक्त समिति के अध्यक्ष थे। इसके साथ ही वे सरोगेसी विनियमन विधेयक 2019 पर राज्यसभा की चयन समिति के अध्यक्ष भी रहे हैं। आज के दिन अगर बात की जाए तो और राजनीति में भूपेंद्र यादव एक बहुत बड़ा नाम है। यही कारण रहा कि भाजपा ने पिछले साल भूपेंद्र यादव को पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति में शामिल किया। जिससे उनका कद और बढ़ गया है। गाहे-बगाहे मुख्यमंत्री मनोहर लाल को बदले जाने पर अगले मुख्यमंत्री के तौर पर भूपेंद्र यादव का नाम गाहे बगाहे उछलता रहता है। अब देखना होगा तो जब 2024 के चुनावी बिसात बिछाई की तो तब भूपेंद्र यादव को कहां फिट किया जाता है। अब देखना होगा तो जब 2024 के चुनावी बिसात बिछाई की तो तब भूपेंद्र यादव को कहां फिट किया जाता है।