अपने देश में गांव की माटी से उठे कई नेता हैं, कई ऐसे नेता हैं जिन्होंने राजनीति की खातिर अपने गांव को नहीं छोड़ा और लोगों के बीच ही मौजूद रहे. उन्हीं में से एक हैं हरियाणा की राजनीति के कद्दावर नेता ओपी चौटाला। इनेलो अध्यक्ष ओपी चौटाला का एक समय में हरियाणा की राजनीति में सिक्का चलता था। खादर की जमीन पर ओपी चौटाला का ऐसा जमाव था कि केंद्र की बड़ी बड़ी पार्टियों ने भी उन्हें हाथों हाथ लिया। वो अलग बात है कि विवाद और जेल जाने के बाद चौटाला की पकड़ राजनीति पर पहले जैसी ना रही हो लेकिन एक समय पर ओपी चौटाला राजनीति की धुरी हुआ करते थे जिसके आस पास एक से एक धाकड़ नेताओं की भीड़ जमा रहती थी। आज के इस एसएनए में हम ओपी चौटाला के बारे में जानेंगे और ये भी जानेंगे कि आखिर कैसे जमी जमाई राजनीति ऐसे डंवाडोल है। ओपी चौटाला अपने ठेठ हरियाणवी अंदाज, सिर पर हरी पगड़ी और रोबीले अंदाज के लिए जाने जाते हैं। भारत के पूर्व उप प्रधानमंत्री देवीलाल के बेटे और हरियाणा के पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला अकसर सुर्खियों में रहते हैं। फिल्हाल वे आय से अधिक संपत्ति मामले में आरोपी हैं, तो वहीं उनके बेटे अभय चौटाला पार्टी की कमान संभाले हुए हैं और ठप्प पड़ी पार्टी के संगठन को दोबारा से खड़ा करने में जी जान से जुटे हुए हैं। तो आइए हम आपको ओपी चौटाला के जिंदगी के पहलुओं से रूबरू करवाते हैं। कौन है ओपी चौटाला? ओपी चौटाला का जन्म 1 जनवरी 1935 को सिरसा शहर के पास एक छोटे से गांव चौटाला में हुआ था, जो कि अब उत्तर- पश्चिमी हरियाणा में है। उनके पिता चौधरी देवी लाल ने 1966 में हरियाणा राज्य की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। बाद में उन्होंने हरियाणा के मुख्यमंत्री और भारत के उप प्रधान मंत्री के रूप में अपनी सेवाएं दी और साथ ही इनेलो की स्थापना में अहम लोगों में एक माने जाते हैं। ओम प्रकाश चौटाला जमीन से जुड़े भारतीय राजनेता हैं जो अपनी याददाश्त के लिए जाने जाते हैं। वे लंबे समय तक इंडियन नेशनल लोक दल के अध्यक्ष रहे। जो कि हरियाणा का एक क्षेत्रीय राजनीतिक दल था। ओपी चौटाला की राजनीति, ओपी चौटाला 1970 में जनता दल के सदस्य बने और पहली बार हरियाणा विधान सभा के लिए चुने गए। 1987 में वे राज्यसभा के लिए चुने गए और 1990 तक राज्यसभा के लिए सेवाएं दी।
उन्होंने राजनीति के साथ साथ पढ़ाई जारी रखी। साल 1989 में जब उनके पिता चौधरी देवी लाल भारत के उप प्रधान मंत्री बने, तो उन्होंने अपने बेटे ओम प्रकाश चौटाला को हरियाणा का मुख्यमंत्री बना दिया। दिसंबर 1989 में ओपी चौटाला पहली बार हरियाणा के मुख्यमंत्री के रूप में चुने गए। ओपी चौटाला ने 1990 से 1991 तक हरियाणा के मुख्यमंत्री के रूप में दो और छोटे कार्यकाल रहे हैं।
1996 के विधानसभा चुनावों में ओपी चौटाला ने 1 सीट जीती और हरियाणा विकास पार्टी की सरकार बनने के बाद सदन में विपक्ष के नेता बने। 1998 में पार्टी का नाम बदलकर इंडियन नेशनल लोक दल कर दिया गया। 1999 के विधानसभा चुनावों में ओपी चौटाला फिर से भाजपा के समर्थन से चौथी बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने। साल 2000 के विधानसभा चुनावों में इंडियन नेशनल लोक दल ने भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन किया। इनेलो ने भाजपा से छह सीटें लेकर सरकार बनाई और चौटाला पांचवीं बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने। 2005 और 2009 के चुनावों के दौरान इनेलो अपनी सरकार बनाने में नाकाम रही लेकिन बड़ी बात तो ये है कि दोनों ही चुनावों में चौटाला ने विधानसभा में अपनी सीट को बरकरार रखा। ओपी चौटाला का राजनीतिक करियर 2013 में समाप्त हुआ जब उन्हें जेबीटी भर्ती घोटाले के लिए 10 साल की कैद की सजा सुनाई गई। इनेलो के लिए क्यों जरूरी है ओपी चौटाला,ओम प्रकाश चौटाला भले ही राजनीति में खुद ठंडे पड़ गए हों लेकिन सच्चाई यही है कि उनके बिना इनेलो निराधार है। क्योंकि चौटाला को हरियाणा के ग्रामीण मतदाताओं का करीबी माना जाता है। सबसे बड़ी बात तो ये है कि ओपी चौटाला की याददाश्त तेज होने का दावा किया जाता हैै। दावा किया जाता है कि ओपी चौटाला एक बार जिससे मिल लें,वे उसे भूलते नहीं है। उनकी इसी खूबी से गांव के लोग उनसे काफी करीबी हैं। लिहाजा ग्रामीण लोगों पर कहीं ना कहीं चौटाला का दबदबा जरूर कायम हैं। तो वहीं दूसरा कारण ये है कि एक तो चौटाला की पार्टी इंडियन नेशनल लोकदल संकट में है। तो वहीं उनके बेटे अभय चौटाला इनेलो के इकलौते विधायक हैं। चौटाला के बड़े बेटे अजय चौटाला ने पार्टी को तोड़कर जेजेपी नाम से दूसरा दल बना लिया। हरियाणा में अगला विधानसभा चुनाव 2024 में होना है। पैरोल पर रहते हुए ओपी चौटाला जनसभाओं को संबोधित करते रहते हैं और यहां तक कि 2019 के विधानसभा चुनावों के लिए अपनी पार्टी के लिए प्रचार भी किया था। ऐसे में चौटाला का रहना उनके बेटे अभय चौटाला और इनेलो को गति देने का काम करता है। टीचर भर्ती घोटाले में काटी 10 साल की सजा,ओपी चौटाला हरियाणा में टीचर भर्ती घोटाले में भी फंसे थे। बता दें कि उक्त घोटाले में वे 10 साल तिहाड़ जेल की हवा खा चुके हैं। घोटाले का ये मामला 1999- 2000 के बीच 3206 टीचरों की अवैध भर्ती से जुड़ा था। हरियाणा के आईएएस अधिकारी संजीव कुमार ने घोटाले के इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था । आरोप लगाया था कि ओम प्रकाश चौटाला एवं उनके साथियों ने प्रत्येक शिक्षक से भर्ती के लिए तीन से चार लाख रूपये वसूले थे। दिल्ली की ही एक अदालत ने टीचर भर्ती घोटाले के सिलसिले में साल 2013 में ओम प्रकाश चौटाला और उनके बेटे अजय चौटाला को 10 10 साल कैद की सजा सुनाई थी। समय से पहले जेल से छूटे ओपी चौटाला,बता दें कि हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला ने 10 सालो में से 9 साल और 7 महीनो से ज्यादा की कैद सजा के तौर पर काटी है। बाकी उन्हें समय से पहले तिहाड़ जेल से रिहा कर दिया गया था। कारण था उनकी उम्र ज्यादा होना और कोरोना काल में उनकी सेहत देखते हुए जल्दी रिहा कर दिया गया था। बता दें कि सजा के 2 महीने पूरे होने से पहले ही ओपी चौटाला रिहा कर दिए गए थे। उनको 2 जुलाई 2021 को रिहा किया गया। आय से अधिक संपत्ति का भी विवाद, ओपी चौटाला के केस एक बार खुलने शुरू हुए तो मानों आरोपों की झड़ी ही लग गई हो। अभी वे टीचर भर्ती घोटाले में जेल की हवा खाकर तिहाड़ से बाहर निकले ही थे कि, उन पर आय से अधिक संपत्ति का मामला भी दर्ज हो गया। बता दें कि इस मामले में केस साल 2006 में दर्ज हुआ था। मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया था कि उन्होंने आय से 100 गुना से भी ज्यादा की संपत्ति अर्जित की थी, ये मामला कोर्ट में 16 साल तक लंबा खिंचा था। आरेाप लगे थे कि चौटाला ने हरियाणा का मुख्यमंत्री रहते हुए ये बेशुमार दौलत इकठ्ठा की थी। तो वहीं 16 साल के बाद ये मामला दुबारा शुरू हुआ और दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने 4 साल कैद की सजा सुनाई थी। बता दें कि अदालत ने चौटाला पर 50 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था। इस मामले में सजा सुनाते हुए कोर्ट ने कहा कि उनकी चार संपत्ति अटैच करने के आदेश भी जारी किए थे। सीबीआई ने की थी कड़ी सजा की मांग, सीबीआई ने ओपी चौटाला को कड़ी से कड़ी सजा देने की मांग की थी। तो वहीं चौटाला के वकील ने उनकी खराब सेहत का हवाला दिया था और अच्छे बर्ताव के लिए सजा में नरमी बरतने की अपील भी की थी। उनके वकील ने कहा था कि चौटाला को फेफड़े में इन्फेक्शन है और वो खुद से कपड़े तक नहीं बदल सकते। उन्हें कहीं आने जाने में भी किसी के सहारे की जरूरत पड़ती है। वकील ने दावा किया कि वो बीमार होने के साथ 90 फीसदी विकलांग हैं, इसलिए ओपी चौटाला की सजा में राहत दी जाए
बुढ़ापे मे पास की 10वीं और 12वीं की परीक्षा, आज के समय में बच्चे जहां पढ़ाई से कतराते हैं, तो वहीं ऐसे में ओपी चौटाला एक प्रेरणा भी हैं। जिन्होंने 87 साल की उम्र में 10वीं और 12वीं की परीक्षा पास की थी। ओम प्रकाश चौटाला ने हरियाणा बोर्ड से 10वीं और 12वीं की परीक्षा पास की थी। चौटाला ने 2021 में 12वीं की परीक्षा दी थी, हालांकि उनका रिजल्ट रोक दिया गया था, क्योंकि उन्होंने तब तक क्लास 10वीं की अंग्रेजी की परीक्षा पास नहीं की थी। मई के महीने में उन्होंने 10वीं और 12वीं बोर्ड की परीक्षा की मार्कशीट ली थी।जब पिता ने बेटा मानने से किया था इंकार, ओपी चौटाला अपने माता- पिता की सबसे बड़ी संतान थे। जब उनके पिता चौधरी देवीलाल किसानों के अधिकारों के लिए लड़ते हुए जेल में थे, तब परिवार में सबसे बड़ा होने के चलते ओपी चौटाला को अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ी। 1977 में चौटाला को कलाई घड़ी की तस्करी के एक मामले में दिल्ली एयरपोर्ट पर पकड़ा गया था। जब पिता देवी लाल को ये पता चला, तो उन्हांेने काफी लंबे समय तक ओपी चौटाला को अपना बेटा मानने से इंकार कर दिया था। ओपी चौटाला को पगड़ी से बेहद प्यार, ओपी चौटाला का पगड़ी से बेहद ही प्यार है। वे कहीं पर भी बिना पगड़ी के नजर नहीं आते हैं। आपको बता दें कि एक बार अदालत में सुनवाई के दौरान चौटाला की पग ठीक से बंधी हुई नहीं थी। जिसके बाद वे अदालत में कुछ परेशान से रहे। उन्होंने अदालत से इजाजत ली और बाहर आकर पहले पगड़ी ठीक की और फिर जज के सामने दोबारा पेश हुए। इसी से पता चलता है कि ओपी चौटाला को पगड़ी का कितना लगाव और प्यार है। उधर गोहाना की एक रैली में उन्होंने अपनी हरि पगड़ी को उतारकर बसपा की नीली पगड़ी डालने से इनकार कर दिया था। यह उनके इनेलो प्रेम को दर्शाता है। तो ये जाना आपने ओपी चौटाला की जिंदगी के कुछ किस्से। समय के साथ भले ही ओपी चौटाला की राजनीति को विराम लग गया हो लेकिन जब जब हरियाणा के कद्दावर नेताओं का नाम लिया जाएगा, तो फिर देवी लाल के इस लाल का नाम भी लिस्ट में जरूर शामिल होगा। दबंग अवतार और कार्यकर्ताओं से प्यार के लिए हमेशा जाना जाएगा ओम प्रकाश चौटाला को। उनके लिए एक बात बड़ी मशहूर है कि उनका कोई भी कार्यकर्ता उनके पास कोई काम लेकर पहुंचा तो उन्होंने कभी इंकार नहीं किया और लीक से हटकर भी उस की मदद की है। इसीलिए आज भी इनेलो खत्म होकर भी लोगों के दिलों में जिंदा है और एक बार फिर से हरियाणा में सरकार बनाने की फिराक में है।