हरियाणा में कई ऐसे नेता हैं, जो कि सरकार का हिस्सा होते हुए भी बेबाकी से अपनी बात को रखते हैं। लेकिन अगर कोई कैबिनेट मंत्री रहते हुए भी सरकार की आलोचना कर दे तो उसे आप क्या कहेंगे। उन्हीं में से एक नेता हैं देवेंद्र सिंह बबली। जो कि फतेहाबाद की टोहाना सीट से जेजेपी के विधायक हैं। और हरियाणा सरकार में पंचायत मंत्री हैं। वे अकसर मुददों को उठाते रहते हैं और निर्भय होकर बेबाकी से कोई भी बात कहने में हिचकते नहीं हैं। फिर चाहे वो बात सरकार के खिलाफ ही क्यों ना जाती हो। आज के इस एसएनए में हम देवेंद्र बबली के बारे में जानेंगे और ये भी जानेंगे कि कैसे उनका राजनीति में आना हुआ और उनकी राजनीति किस तरह की है और वे किस तरह से जनता के लिए काम करते आए हैं।

देवेंद्र बबली का जन्म 5 अगस्त सन 1970 में हुआ था। वे 52 वर्ष के हैं और फिल्हाल सरकार में पंचायत मंत्री हैं। पंचायत मंत्री बनने से पहले वे राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार थे ओर उनके पास आर्कियोलोजी व म्यूजिम का विभाग हुआ करता था। साल 2021 में दिसबंर के महीने में जब हरियाणा सरकार का विस्तार हुआ था, तब देवेंद्र बबली को कैबिनेट में चुना गया था ओर उन्हें पंचायत मंत्रालय दिया गया था। किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं बबली, देवेंद्र बबली टोहाना के गांव बिढाईखेड़ा के निवासी हैं और वे किसान परिवार से संबंध रखते है। खास बात तो ये हे कि देवेद्र बबली बिजनेसमैन भी हैं। इनके पिता का नाम दिलबाग सिंह है और माता का नाम शारदा देवी हैं।

आजाद हिंद फौज में कैप्टन थे दादा, देवेंद्र बबली स्वतंत्रता सेनानी परिवार से संबंध रखते हैं और वे अपने दादा को ही अपना प्रेरणा स्त्रोत मानते हैं। कयोकि इनके दादा कैप्टन उमराव सिंह नेताजी सुभाष चंद्र बोस के साथ आजाद हिंद फौज में कैप्टन जो हुआ करते थे। ट्रांसपोर्ट के बिजनेस ने दी शोहरत, टोहाना के गांव बिढाईखेड़ा के निवासी देवेंद्र सिंह बबली यूं तो किसान परिवार से संबंध रखते हैं और शुरुआती दौर से ही उनका संपन्न परिवार रहा है। देवेंद्र बबली तीन भाईयों में सबसे बड़े हैं। उनके दो भाई विनोद बबली व मनोज बबली हैं, जो उनके साथ ही रहते हैं। मगर ट्रांसपोर्ट के बिजनेस से देवेंद्र बबली को शोहरत मिली। धीरे-धीरे उनका नाम टोहाना ही नहीं बल्कि फतेहाबाद जिले के बड़े उद्योगपतियों में शुमार होता चला गया।

2019 में पहली बार बने थे विधायक, जेजेपी नेता देवेंद्र बबली पहली बार साल 2019 में विधायक बने थे। हालांकि इससे पहले भी उन्होंने चुनाव लड़ा था लेकिन विधायक बनने का सौभाग्य उन्हें साल 2019 में मिला। फतेहाबाद जिला के विधानसभा क्षेत्र टोहाना से जननायक जनता पार्टी के टिकट पर 2019 में चुनाव लड़ा ओर जीत कर दिखाया। आजाद उम्मीदवार से पार्टी उम्मीदवार तक का सफर, जी हां, देवेंद्र बबली ने 2019 के चुनाव से पहले साल 2014 का विधानसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं। लेकिन तब वे आजाद उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़े थे। बड़ी बात तो ये है कि आजाद उम्मीदवार होते हुए भी उन्होंने 39 हजार के करीब वोट हासिल किए थे। बेशक ही वे चुनाव ना जीत पाए हों लेकिन लोगों के बीच में अपनी पैठ जरूर बना ली थी। जिसके चलते उन्होंने टोहना विधानसभा सीट से 39 हजार के करीब वोट मिले थे। फिर उनकी प्रसिद्धि को देखते हुए ही जेजेपी ने टोहाना से टिकट दिया और बबली ने इस बार में जीत कर दिखा भी दिया।

देंवेंद्र बबली ने बढ़ाया वोटो का आंकड़ा, 2014 का चुनाव हारने के बाद देवेंद्र बबली आराम से नहीं बैठे। बल्कि वे लगातार मेहनत करते रहे और लोगों के बीच जाकर अपनी साख कायम करने की अथक कोशिश करने लगे। उनकी कोशिशो का ही नतीजा था कि देवेंद्र बबली ने जब 2019 का चुनाव लड़ा तो पहले से ज्यादा वोट प्राप्त हुए। साल 2014 में जहां बबली को 39 हजार वोट हासिल हुए थे, तो वहीं साल 2019 में कुल 1 लाख से भी ज्यादा वोट हासिल किए थे। अपने प्रतिद्वंदी को तकरीबन 52 हजार वोटों के बड़े अंतर से हरा दिया था।
सुभाष बराला जैसे बड़े नेता का दी पटखनी, जेजेपी के विधायक देवेंद्र बबली ने टोहाना से किसी और को नहीं बल्कि भाजपा के बड़े नेता सुभाष बराला को पटखनी दी थी। यह वही सुभाष बराला है जो भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं। वोटों का अंतर कोई छोटा मोटा नहीं था, बल्कि 52 हजार के बड़े अंतर से बराला को देवेंद्र बबली ने हरा दिया था। जबकि रोचक बात तो ये है कि इसी सीट पर वे साल 2104 मे सुभाष बराला से हारे थे और ठीक 5 साल के बाद विधानसभा चुनाव में सुभाष बराला को हरा बदला लिया और सरकार में मंत्री बनने का सौभाग्य मिला। 7 साल बाद फतेहाबाद से बना कोई मंत्री, देवेंद्र बबली की मेहनत का ही नतीजा रहा कि फतेहाबाद से 7 साल के बाद कोई मंत्री बना। इससे पहले साल 2014 तक भूपेंद्र हुड्डा की सरकार में परमवीर सिंह कृषि मंत्री बनाए गए थे, जो कि टोहाना सीट से विधायक बने थे।

जबकि साल 2014 के विधानसभा चुनाव में पहली बार पूर्ण बहुमत के साथ भाजपा की सरकार बनी थी और यहां से विधायक बने सुभाष बराला लेकिन उन्हें मंत्री नहीं बनाया गया था बल्कि भाजपा प्रदेशाध्यक्ष की जिम्मेदारी उन्हें दी गई थी। समाज सेवा में आगे हैं देवेंद्र बबली, देवेंद्र बबली समाज सेवा के कामों मे हमेशा आगे रहे हैं। वे लंबे समय से अपने क्षेत्र में सामाजिक संस्था के माध्यम से लोगों के लिए आंखों के चेकअप कैंप, गरीब कन्याओं के विवाह, युवाओं के लिए खेल आदि जैसे कई अन्य समाजिक एवं धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन करवाते आ रहे हैं।

सामाजिक संस्था के जरिये जनता में बनाई पैठ, देवेंद्र सिंह बबली ने अपना राजनीतिक करियर सामाजिक संस्था जागो दिशा सही-सोच नई के जरिये शुरू किया था। उन्होंने गांव-गांव में शिविर लगाकर बुजुर्गों की आंखों की जांच करवाई और जरूरतमंदों के ऑपरेशन भी करवाए। इसके अलावा सामाजिक कार्यक्रमों से लेकर युवाओं को प्रोत्साहित करने के कार्यक्रमों में शिरकत करते हुए देवेंद्र सिंह बबली ने जनता में अपनी पैठ बनाई। इसके बाद उन्होंने राजनीति की ओर रुख कर लिया। अशोक तंवर के करीबी थे देवेंद्र बबली, देवेंद्र बबली जेजेपी मे आने से पहले कांग्रेस के नेता हुआ करते थे और वे अशोक तंवर से करीबी थे। कांग्रेस में रहते हुए अशोक तंवर भी उनकी पैरवी करते रहते थे। साल 2019 के विधानसभा चुनाव में देवेंद्र सिंह बबली कांग्रेस से टिकट के प्रमुख दावेदार थे। मगर आखिरी वक्त में पूर्व मंत्री परमवीर सिंह को ही कांग्रेस की टिकट मिली। जिसके बाद नाराज देवेंद्र बबली ने कांग्रेस का साथ छोड़ दिया था।
जिसके बाद नाराज देवेंद्र बबली ने कांग्रेस का साथ छोड़ दिया था।

तब जेजेपी ने दिया चुनाव लड़ने का मौका, देवेंद्र बबली जैसे मजबूत नेता को कांग्रेस ने भले ही गंवा दिया हो लेकिन जेजेपी ने इस मौके को अपने हाथ से नहीं जाने दिया। पहले से ही मजबूत दावेदार तलाश रही जननायक जनता पार्टी ने तत्काल टिकट देवेंद्र सिंह बबली को थमा दी। जबरदस्त मुकाबले में देवेंद्र बबली ने तत्कालीन सत्ताधारी पार्टी भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष सुभाष बराला को 52302 वोटों से करारी शिकस्त दी थी। और अब वह मंत्री बनकर अपने अली के और पूरे प्रदेश की सेवा कर रहे हैं लगातार देवेंद्र बबली का कद बढ़ रहा है बे बाकी के लिए जाने जाते हैं उतना ही समाज सेवा में भी उनका वर्चस्व है। आप देवेंद्र बबली के बारे कितना जानते थे। क्या आज की जानकारी आपको रोचक लगी हमें जरूर बताएंगा बहुत-बहुत धन्यवाद।