भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ से जुड़े किस्सों की भरमार है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के साधारण कार्यकर्ता से लेकर सत्तारूढ़ दल के मुखिया बनने तक के सफर में ओपी धनखड़ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जैसे वरिष्ठ नेताओं की नजर में खुद को कई बार साबित किया है। भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी जब हरियाणा की कमान थामे हुए थे तब ओपी धनखड़ महामंत्री थे। नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री बने, तब हर चुनाव में ओपी धनखड़ का गुजरात जाना तय था। जानिए छह फीट लंबे ओपी धनखड़ के राजनीतिक जीवन से जुड़ी छह खास बातें।
जनरल वीके सिंह को मोदी से मिलवाया, गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए ही नरेंद्र मोदी ने चुनाव कैंपेन शुरू कर दिया था। इसी कड़ी में उन्होंने पूर्व सैनिकों की एक रैली की परिकल्पना की। नरेंद्र मोदी चाहते थे कि 15 सितंबर 2013 की पूर्व सैनिक रैली में जनरल वीके सिंह मंच पर हों, जबकि वीके सिंह चाहते थे कि मंच सांझा करने से पहले मोदी से मुलाकात हो जाए। तब रैली से पहले ओपी धनखड़ खुद वीके सिंह को लेकर नरेंद्र मोदी से मिलवाने गुजरात लेकर गए थे।
नरेंद्र मोदी की इच्छा पर ओपी धनखड़ ने पूर्व सैनिकों की एक रैली की भूमिका तैयार की। पहले दिल्ली के किसी स्टेडियम का विचार किया। फिर झज्जर के लिए प्रयास किए, मगर अंत में रेवाड़ी में रैली करने का निर्णय लिया। इसका आधार तैयार करने का श्रेय ओपी धनखड़ के ही नाम रहा। स्वामीनाथन आयोग और धनखड़, अगर स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करने के लिए सबसे सशक्त आंदोलन करने वाले चेहरों की तलाश की जाए तो धनखड़ का नाम बिना विवाद के उभरकर सामने आएगा। विपक्ष में रहते हुए कुर्ता उतारकर भी उन्होंने इसे लागू करने की मांग उठाई। जब भाजपा केंद्र व राज्य की सत्ता में आई तो स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करवाने के लिए विपक्ष के निशाने पर भी धनखड़ ही रहे। प्रयोगधर्मी है भाजपा के नए प्रधान, भाजपा के प्रधान ओम प्रकाश धनखड़ प्रयोगधर्मी है। ग्राम पंचायतों को स्टार ग्रेडिंग देने की सेवन स्टार योजना हो या पढ़ी-लिखी पंचायतों का कानून और मामले में ओपी धनखड़ ने नई पहल की। गाय के पेट से सिर्फ बछड़ी ही जन्म ले सके जैसी योजनाओं पर बतौर कृषि मंत्री पूरा ध्यान दिया।
अब आप यह भी जानना चाहते होंगे कि बादली को क्यों बनाया था कर्मस्थली, ओपी धनखड़ के दादरी से बादली आने की कहानी भरोसे से जुड़ी है। धनखड़ के दादा-पड़दादा झज्जर जिले की बादली विधानसभा सीट के बड़े गांव ढाकला के मूल निवासी थे तथा बाद में चरखी दादरी में बस गए थे। बिना लहर दादरी ने धनखड़ को स्वीकार नहीं किया था, इसलिए पहला चुनाव हार गए। बाद में वर्ष 2014 में मोदी के कारण भाजपा लहर बनी तो ओपी धनखड़ ने अपने पूर्वजों की माटी को कर्मस्थली बना लिया। रोहतक से दूसरी बार क्यों नहीं लड़ा चुनाव, ओपी धनखड़ 2014 के लोकसभा चुनाव में हार के बावजूद 2019 में भी दीपेंद्र सिंह हुड्डा के सामने दो-दो हाथ करने के लिए तैयार थे, मगर खुद टिकट के लिए लाइन में लगना नहीं चाहते थे। पार्टी ने गैर जाट का प्रयोग कर पहली बार रोहतक की जाट बहुल सीट से अरविंद शर्मा को मैदान में उतार दिया। पार्टी के फैसले के आगे धनखड़ से लेकर कैप्टन अभिमन्यु तक सबको झुकना पड़ा।
अब आप उनका पूरा परिचय जन्म परिवार भी जान लीजिए, ओपी धनखड़ का जन्म 1961 में झज्जर जिले के ढाकला गांव में वैद मोहब्बत सिंह और श्रीमती छोटू देवी के परिवार में हुआ था। उनके दादा श्री रघुवीर सिंह ने भारतीय रेलवे के लिए स्टेशन मास्टर के रूप में काम किया । उनके परिवार मैं समाज सेवा की भावना उनके परदादा से मिलती है, जिन्होंने अपने पैतृक गांव में पहला स्कूल बनाने के लिए प्रयास किए। धनखड़ ने परास्नातक और एम.एड महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी , रोहतक से करने से पहले अपनी प्रारंभिक शिक्षा गांव के स्कूल से प्राप्त की। अपनी शिक्षा के बाद, उन्होंने 11 वर्षों तक भिवानी में भूगोल शिक्षक के रूप में कार्य किया । एक अकादमिक के रूप में, उन्होंने शिक्षा सुधारों और छात्र जीवन से संबंधित मुद्दों पर विचारों के साथ शिक्षा क्षेत्र के विश्लेषण पर एक पुस्तक प्रकाशित भी की।
सामाजिक कार्य, ओमप्रकाश धनखड़ 1978 से एक स्वयंसेवक के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े हुए हैं । उनके शब्दों में, वह युवाओं को प्रभावित करने वाले सामाजिक कारणों और मुद्दों के लिए काम करने के लिए एक मिशन और उत्साह से प्रेरित थे और इस प्रकार उन्होंने 1980 से 1996 तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के लिए काम किया । वह विभिन्न सामाजिक राजनीतिक आंदोलनों का हिस्सा थे और युवाओं के लिए काम किया। बाद में, वह स्वदेशी जागरण मंच आंदोलन में शामिल हो गए…हरियाणा में विषम लिंगानुपात और हरियाणवी पुरुषों द्वारा बिहारी दुल्हनों की अवैध तस्करी की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए , ओपी धनखड़ ने सरकारी हस्तक्षेप के माध्यम से हरियाणवी और बिहारी परिवारों के बीच बंधन विकसित करके मुद्दों को हल करने के लिए एक सामाजिक समाधान और दृष्टिकोण की सलाह भी दी। इस समाधान पर भी विवाद हुआ और लालू यादव और शरद यादव जैसे बिहार के नेताओं के विरोध में आवाजें उठीं । हालांकि सुशील मोदी ने इस मुद्दे पर ओपी धनखड़ का समर्थन किया।
राजनीतिक कैरियर,उनका राजनीति से जुड़ाव 30 वर्षों से अधिक का है।
उन्होंने विभिन्न भाजपा और उसके संबद्ध संगठनों में राज्य महासचिव, राज्य अध्यक्ष, राष्ट्रीय सचिव और राष्ट्रीय अध्यक्ष जैसे प्रमुख पदों पर कार्य किया है। आरएसएस के साथ अठारह वर्षों के जुड़ाव के बाद, 1996 में वे भाजपा में शामिल हो गए और वाजपेयी काल में राष्ट्रीय सचिव के रूप में कर्तव्यों का पालन किया । वह हिमाचल प्रदेश के लिए प्रदेश प्रभारी थे और उन्होंने पहाड़ी राज्य में भाजपा सरकार के गठन में बहुत योगदान दिया। उन्होंने विशेष आर्थिक क्षेत्र के लिए अल्प मुआवजे और मनमाने ढंग से भूमि अधिग्रहण के खिलाफ आंदोलन और विरोध करने के लिए विभिन्न पदयात्राएं और साइकिल यात्राएं की हैं । भाजपा किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ओम प्रकाश धनखड़ लगातार दो बार भाजपा के किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गए। भाजपा के किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में, ओपी धनखड़ ने [ काम किया और भूमि अधिग्रहण, कीटनाशक प्रबंधन, किसान आत्महत्या, खेती सुधार जैसे कई मुद्दों को उठाया ।
स्वामीनाथन रिपोर्ट कार्यान्वयन आदि। ओपी धनखड़ ने भूमि अधिग्रहण पुस्तिका लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जो औद्योगिक विकास के लिए पर्याप्त अवसर देकर किसानों और उद्योग के मुद्दों को समान रूप से संबोधित करती है। सरदार पटेल स्टैच्यू ऑफ यूनिटी , लौह संग्रह निगम समिति के राष्ट्रीय समन्वयक, ओपी धनखड़ आयरन कलेक्शन कॉरपोरेशन कमेटी के स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के राष्ट्रीय समन्वयक रहे। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी श्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट को दुनिया की सबसे बड़ी मूर्ति और वास्तुकला का चमत्कार माना जाता है। नर्मदा नदी पर सरदार सरोवर बांध के पास बनने वाली सरदार पटेल की 182 मीटर ऊंची प्रतिमा के लिए लोहा और मिट्टी देश भर के किसानों से एकत्र की जा रही है, इस प्रकार स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के लिए लौह संग्रह अभियान चलाया जा रहा है के लिए लौह संग्रह अभियान को एक राष्ट्रव्यापी सामाजिक बना दिया गया है। जो मोदी ने की थी ओमप्रकाश धनखड़ की खुले मंच से तारीफ, झज्जर लोकसभा रैली के दौरान, श्री नरेंद्र मोदी ने कथित तौर पर ओपी धनखड़ को अपना करीबी विश्वासपात्र और समर्पित राजनीतिक नेता बताया, जिन्होंने पिछले 30 वर्षों से सहजता से काम किया है।
कैबिनेट मंत्री रहते हुए कितने पावरफुल थे ओमप्रकाश धनखड़, 2014: में हरियाणा के कैबिनेट मंत्री
रहते हुए ओम प्रकाश धनखड़ के पास 5 विभागों का स्वतंत्र प्रभार था,जो उन्हें हरियाणा सरकार में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के बाद चौथा सबसे प्रभावशाली बनाता है । सरल स्वभाव देसी बोली और कार्यकर्ताओं से सीधा जुड़ाव ओम प्रकाश धनकर को और नेताओं से अलग बनाता है वह जमीन से जुड़े हुए नेता है जो पार्टी को मजबूत करने में दिन रात लगे रहते हैं 2024 के लिए उन्होंने कमर कस ली है और लगातार वह अपनी पार्टी को बहुमत तक लेकर जाने की जुगत में लगे रहते हैं। अब देखना होगा कि 2024 का चुनाव जब उनकी सरपरस्ती में लड़ा जाएगा तो वह किस पायदान पर पार्टी को खड़ा रखते पाते हैं और फिर से सरकार बना पाएंगे और खुद किस भूमिका में वह सरकार में रहेंगे यह भी देखने वाली बात होगी.