रोहतक के सबसे लोकप्रिय सांसद और वर्तमान में राज्यसभा के सदस्य दीपेंद्र सिंह हुड्डा हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के इकलौते सुपुत्र है। राजनीति की बात करे तो दीपेंद्र सिंह हुड्डा सबसे पहले साल 2005 में लोकसभा चुनाव में रोहतक के सांसद के रूप में चुने गए थे। इसके बाद वो लगातार तीन बार रोहतक लोकसभा क्षेत्र से सांसद रहे। वर्तमान समय में राज्यसभा के मेंबर और कांग्रेस पार्टी की तरफ से राजनीति में पूर्ण रूप से सक्रिय भूमिका निभा रहे है। दीपेंद्र सिंह हुड्डा एक भारतीय राजनीतिज्ञ होने के कारण और इंडियन नेशनल कांग्रेस पार्टी से सांसद रहने और राज्य सभा मेम्बर होने के कारण कांग्रेस में काफी प्रभाव रखते है। लेकिन उनके विरोधी कहते हैं कि उनको राजनेतिक रुतबा उनके पिता भूपेंद्र सिंह हुड्डा और दादा रणबीर सिंह हुड्डा की वजह से मिला है लेकिन उन्होंने राजनीति में खुद को साबित किया है सरल स्वभाव शांत वक्ता मृदु भाषी व्यक्तित्व के धनी है दीपेंद्र हुड्डा । हुड्डा रोहतक की राजनीति में पुराना नाम है राजनीति की लंबी चौड़ी विरासत उन्हें मिली है।

दीपेन्दर हुड्डा ने अपने सांसद के 15 वर्षों के कार्यकाल में रोहतक में एक आईआईएम को स्थापित कराया। झज्जर में एक बड़ा कैंसर संस्थान बनवाया। इसके अलावा दीपेंद्र हुड्डा ने रोहतक में 5000 करोड़ रूपये के निवेश को लगाकर एफडीडीआई और आईएचएम को स्थापित किया। दीपेंद्र सिंह हुड्डा वर्ष 2005 में राजनीति में प्रवेश करने वाले सबसे कम उम्र के सासंद थे। युवाओं किं पहली पसंद दीपेंद्र हुड्डा, दीपेंद्र हुड्डा साफ़ छवि वाले नेत्ता, सादा जीवन और सरल स्वभाव वाले राजनेता के रूप में जाने जाते है। पूरे हरियाणा में युवाओं की पहली पसंद रहे है और लोग इनको बहुत प्यार करते है। खासकर युवाओं में उनका खासा क्रेज है पूरे हरियाणा में टीम दीपेंद्र सक्रिय है और लगातार उनके लिए काम कर रही है। स्वतंत्रता सेनानी परिवार में हुआ जन्म, दीपेंद्र हुड्डा का जन्म 4 जनवरी 1978 को रोहतक में हुआ। इनके पिता भूपेंद्र सिंह हुड्डा है जो हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके है और इनके दादा रणबीर सिंह हुड्डा एक स्वतंत्रता सेनानी थे जो संविधान सभा के सदस्य और संयुक्त पंजाब के मंत्री भी रहें। इनके परदादा चौधरी मट्टू राम भी एक स्वतंत्रता सेनानी और समाज सुधारक थे। जिन्होंने उस समय महात्मा गांधी के साथ मिलकर काम किया था। दीपेंद्र सिंह हुड्डा अपने परिवार के चौथी पीढ़ी के राजनेता है।

दीपेंद्र हुड्डा की पत्नी और बच्चे, दोस्तों दीपेंद्र हुड्डा की दो शादियां हुई है। पहली पत्नी गीता ग्रेवाल के साथ इनका विवाह 28 दिसंबर 2002 को हुआ था। लेकिन इन दोनों की शादी ज्यादा लम्बी नहीं चल पायी। दीपेंद्र हुड्डा अपनी मास्टर डिग्री करने के लिए USA चले गए थे और गीता भी अपनी आगे की पढ़ाई के लिए वहीं जाने वाली थे। लेकिन VISA formalities और अन्य कारणो से उनको कुछ दिनों के लिए दिल्ली की एक अकडेमी में हुड्डा परिवार के साथ रहना पड़ा। इसके बाद मई माह में वो पंचकूला चली गयी और फिर बाद में हुड्डा के घर आने से मना कर दिया। और बाद में बात इतनी आगे बढ़ गयी की इनको तलाक लेना पड़ा। इसके बाद दीपेंद्र सिंह हुड्डा का विवाह श्वेता मिर्धा के साथ हुआ जो अंतराष्ट्रीय घुड़सवारी में गोल्ड मेडलिस्ट है। इनका विवाह 20 फरवरी 2010 में हुआ था। श्वेता मिर्धा राजस्थान के दिग्गज जाट नेता और पांच बार सांसद रहे नाथूराम मिर्धा की पोती है। श्वेता मिर्धा हुड्डा ने अमेरिका से पढ़ाई की है और कई इंटरनेशनल कंपनियों के साथ काम किया है। श्वेता और दीपेन्द्र का एक बेटा भी है जिसका नाम केसरबीर (Kesarbir) है जो अभी अपनी स्कूलिंग कर रहा है। दीपेंद्र हुड्डा की शिक्षा दीक्षा, दीपेंद्र हुड्डा ने अपनी इंजीनियरिंग डिग्री भिवानी के इंजीनियरिंग कॉलेज टेक्नोलॉजिकल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्सटाइल एंड साइंसेज से की, फिर बिड़ला एजुकेशन ट्रस्ट से प्रबंधन किया। प्रशासन और कानून व्यवस्था में स्नातक की डिग्री प्राप्त की है। इसके अलावा दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने एमबीए की पढ़ाई केली स्कूल ऑफ बिजनेस इंडियाना यूनिवर्सिटी, ब्लूमिंगटन से कि। जिससे उन्होनें वित्त और रणनीति में महारत हासिल की। इंडियाना विश्वविद्यालय में, उन्हें मानद बीटा गामा सिग्मा से सम्मानित किया गया।

दीपेंद्र विश्वविद्यालय में एशियाई छात्र संघ के अध्यक्ष भी रहे। यानी के विदेश में जाकर भी उनके अंदर जो राजनैतिक खून था उबाले मारता रहा और वहा भी उन्होंने अपनी वही राह चुनी। दीपेंद्र हुड्डा का राजनैतिक करियर, दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने राजनैतिक क्षेत्र में अपना अहम रोल निभाया है। हाल के वर्ष 2020 में इनको राज्यसभा सदस्य के रूप में चुना गया है और इससे पहले रोहतक से तीन बार लोकसभा के लिए चुने गये थे। सबसे पहले वे 2005 में 14वीं लोकसभा के लिए रोहतक के सांसद बने। 2009 15वीं लोकसभा से फिर रोहतक के सांसद बने। 2014 में लगातार तीसरी बार 16वीं लोकसभा के लिए रोहतक प्रतिनिधित्व करने के लिए चुने गए। जो अपने आप में एक रिकॉर्ड रहा। इसके बाद वर्ष 2019, में 17वीं लोकसभा के चुनाव में भाजपा के अरविंद शर्मा से चुनाव हार गयें। उस वक्त कांग्रेस के लिए यह बड़ी हार साबित हुई थी क्योंकि उन्हें कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए अरविंद शर्मा ने 7503 वोटों से हराया था जबकि सभी को उम्मीद थी के दीपेंद्र हुड्डा आराम से जीत जाएंगे। दीपेंद्र हुड्डा के जीवन की यह पहली हार थी जिसका स्वाद उन्होंने चखा। इसके बाद वे अपने प्रभाव के बलबूते वे 2020 में हरियाणा कांग्रेस की ओर से राज्यसभा में पहुंच गए। इस दौरान अगर बात की जाए तो वे इसके अलावा वित्त, विदेश, कृषि, मानव संसाधन विकास संसदीय समितियों के स्थाई सदस्य रहें। अभी हाल ही में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के चुनाव में वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के सपोर्ट के लिए दीपेंद्र हुड्डा ने पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता पद से अपना इस्तीफा दे दिया और अपने नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के समर्थन में चुनाव प्रचार किया और उनको जिताया भी।

दीपेंद्र हुड्डा के कुछ अनछुए पहलू, वैसे तो दीपेंद्र सिंह हुड्डा का नाम आते ही सब उनको राजनीति से जोड़ने लगते है। लेकिन कुछ पहलू जिनको बहुत कम लोग ही जानते है। दीपेंद्र हुड्डा ने कॉर्पोरेट सेक्टर में भी अहम योगदान दिया। इन्होनें 2005 के लोकसभा के सदस्य चुने जाने से पहले भारत और सयुंक्त राज्य अमेरिका की विभिन्न कंपनियों में काम किया। जिस समय वह इस क्षेत्र में काम कर रहे थे उस समय इनकी उम्र मात्र 27 साल थी। इन्होनें अपने कैरियर की शुरूआत सबसे पहले रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड 1999-2000 में एक प्रबंधक के रूप में कार्य किया और इसके बाद इन्फोसिस टेक्नोलॉजिज लिमिटेड में एक सॉफटवेयर इंजीनियर के रूप में काम किया। इसके बाद एमबीए करने के बाद दीपेंद्र ने अमेरिकन एयरलांइस/कृपाण होल्डिंग्स, डलास आदि कई कंपनियों में प्रबंधक के रूप में कार्य किया। इन नौकरियों के दौरान एक छोटा सा ब्रेक लेने के लिए दीपेंद्र हुड्डा ने भारत का दौरा किया लेकिन फिर इन्होनें भारत में ही रहकर राजनीति में सेवा करने का फैसला किया। तब जाकर 2005 में रोहतक से लोकसभा उप-चुनाव को लड़ा और चुनाव जीता। समाजसेवक की भूमिका भी निभाते हैं दीपेंद्र, ऐसा नहीं है कि दीपेंद्र हुड्डा सिर्फ राजनीति में ही सक्रिय है वह समाज सेवा में भी उतनी ही भागेदारी रखते हैं। उन्होंने पूरे हरियाणा में टीम दीपेंद्र बनाई हुई है जिसके असंख्य वॉलिंटियर पूरे हरियाणा में एक्टिव है। कोरोना काल में सेवा दान से लेकर प्लाजमा डोनेशन कैंप तक सभी सामाजिक काम ये टीम करती हैं। और यह वह टीम है जो उनको प्रचारित करने में रात दिन लगी रहती हैं जो उनका एक मजबूत स्तंभ है। पुरस्कार: विश्व आर्थिक मंच ने सन् 2011 में दीपेन्दर सिंह हूड्डा को वैश्विक नेता के रूप में नामित किया। सन् 2010 में इनको भारत अस्मिता जनप्रतिनिधि पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 2019 में दीपेंद्र सिंह हुड्डा को ‘श्रेष्ठ सांसद अवार्ड’ से सम्मानित किया गया था। उन्हें यह सम्मान उनकी प्रगतिशील सोच और संसद में सक्रियता के लिए मिला है।

भले ही दीपेंद्र सिंह हुड्डा अपने पिता भूपेंद्र सिंह हुड्डा की तरह अखड और पैनेपन वाली राजनीति नहीं करते लेकिन उनके चाहने वाले और कांग्रेस के कुछ नेता चाहते हैं कि वे 2024 में हरियाणा के मुख्यमंत्री पद के दावेदार हो और इस बात में कोई अतिशयोक्ति नहीं कि 2024 में भूपेंद्र सिंह हुड्डा खुद उनको आगे कर दे। क्योंकि हरियाणा कांग्रेस और भूपेंद्र हुड्डा के मौके के हालात और समीकरण इसी ओर इशारा कर रहे हैं तो फिर कहा जा सकता है कि हरियाणा की राजनीति के आसमान का चमकने वाला सितारा दीपेंद्र हुड्डा ही होगा।