अजय सिंह चौटाला हरियाणा राजनीति में मजबूत पकड़ रखने वाले चौटाला परिवार से आते हैं। इनके पिता ओमप्रकाश चौटाला व दादा चौधरी देवी लाल हरियाणा के जाने माने नेता और मुख्यमंत्री रहे हैं। इनकी पत्नी नैना चोटाला भी हरियाणा राजनीति में सक्रिय हैं और मौके पर बड़ाधा से विधायक है। इनके दो बेटे दुष्यंत और दिग्विजय चौटाला हैं जिन्होंने पिता की अनुपस्थिति में परिवार से अलग पार्टी बनाकर अपनी राजनीतिक पहचान बनाई और अब दुष्यंत चौटाला अब प्रदेश के उपमुख्यमंत्री हैं। अजय चौटाला ने राजस्थान से अपनी राजनीति शुरू की फिर हरियाणा में भी विधायक रहे सांसद भी रहे और एक बहुत लंबा सफर राजनीति में तय किया है अभय चौटाला के मुकाबले अजय चौटाला पार्टी में बड़ा चेहरा बड़े कद के नेता थे लेकिन वक्त ने करवट ली और हालात बदले एक वक्त राजनीति में हाशिए पर चले गए थे लेकिन फिर से जेजेपी के दम पर वह सत्ता में है और आज उधर इनेलो अपने वजूद की जंग लड़ रही है।
अजय सिंह चौटाला का जन्म हरियाणा के सिरसा में 13 मार्च 1961 को चौटाला परिवार में हुआ था। इनके पिता ओमप्रकाश चौटाला इंडियन नेश्नल लोकदल के मुख्य नेता थे। इन्होंने हरियाणा के कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से स्नातक किया और राजस्थान विश्वविद्यालय से एम. ए. और कानून की डिग्री ली। 80 के दशक में राजनीति में हुए थे सक्रिय, डॉ. अजय सिंह चौटाला 80 के दशक में सक्रिय राजनीतिक में आए थे और उन्होंने 1989 में अपना पहला चुनाव राजस्थान की दाता रामगढ़ की विधानसभा सीट से जीता। उन्होंने दूसरा चुनाव राजस्थान की नोहर विधानसभा सीट से सन 1998 में लड़ा और वे जीतकर राजस्थान में दूसरी बार विधायक बने। 1999 में अजय सिंह भिवानी लोकसभा सीट से जीतकर सांसद बने और 2004 में वे राज्यसभा के सदस्य चुने गए। 2009 के विधानसभा चुनाव में अजय सिंह डबवाली सीट पर चुनाव जीतकर पहली बार हरियाणा विधानसभा के सदस्य बने। इस चुनाव में उन्हें डबवाली से 47.55 प्रतिशत वोट मिले थे।
इनेलो से निष्कासित होने के बाद बनाई थी पार्टी, इनेलो से निष्कासित करने के बाद डॉ. अजय सिंह चौटाला ने 9 दिसंबर 2018 को जींद में जननायक जनता पार्टी बनाई और उनकी अगुवाई में पार्टी ने 2019 के विधानसभा चुनाव में 10 सीटें लेकर सरकार में भागेदारी की। 5 अगस्त 2003 को भिवानी से लोकसभा सांसद रहकर अजय सिंह चौटाला ने युवाओं को राजनीति में सक्रिय करने के लिए इंडियन नेशनल स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइजेशन (इनसो) की स्थापना की थी। चौटाला ने राजस्थान यूनिवर्सिटी से वकालत और कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से पीएचडी की है। ओम प्रकाश चौटाला और अजय चौटाला के जेल में रहते चौटाला परिवार में परिवार में सत्ता की लड़ाई छिड़ गई थी। अभय चौटाला की राजनीतिक हैसियत लगातार पार्टी में बढ़ रही थी वह राज्य में बतौर प्रधान सचिव पार्टी का पूरा कार्यभार संभाले हुए हैं और खुद को मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर भी प्रोजेक्ट करने में लगे। जिसके बाद पार्टी में बर्चस्व की लड़ाई शुरू हो गई। परिवारिक खटपट के बीच इनेलो टूट गई और एक नई पार्टी का गठन हो गया। और प्रदेश में एक नई पार्टी जेजेपी का जन्म हुआ जिसने बाद में इतिहास रचा।
क्या था शिक्षक भर्ती घोटाला, जिसमे नपे अजय चौटाला, दिल्ली की एक अदालत ने तीन हजार से अधिक शिक्षकों की अवैध भर्ती के मामले में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला समेत 54 अन्य को दोषी ठहराया। इस मामले में अजय चौटाला भी दोषी करार दिए गए हैं। अदालत ने इस घोटाले में कुल 55 लोगों को दोषी करार दिया। ये घोटाला 1999 से 2000 के बीच का है जब 3 हज़ार से ज़्यादा शिक्षकों की भर्ती की गई थी। शिक्षा विभाग के ही एक आईएएस अफसर संजीव कुमार की शिकायत पर इस घोटाले का खुलासा हुआ। सुप्रीम कोर्ट ने जांच सीबीआई को सौंप दी थी। 2018 में चौटाला परिवार में चल रहे विवाद के बीच इंडियन नेशनल लोक दल (INLD) ने अजय सिंह चौटाला की प्राथमिक सदस्यता रद्द कर दी थी. अजय सिंह चौटाला के परिवार का कहना है कि एक बड़े षड़यंत्र के तहत ये फ़ैसला लिया गया था , इनेलो के हरियाणा प्रभारी अशोक अरोड़ा ने चंडीगढ़ में अजय सिंह चौटाला के छोटे भाई अभय सिंह चौटाला की मौजूदगी में इस फ़ैसले की घोषणा की थी।अजय सिंह चौटाला पर ‘पार्टी विरोधी गतिविधियां’ करने का आरोप लगा कर बाहर कर दिया गया था। अशोक अरोड़ा ने मीडिया के लोगों के सामने दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद ओम प्रकाश चौटाला की चिट्ठी पढ़कर सुनाई थी।
2020 में हरियाणा के दिग्गज नेता एवं पूर्व सांसद डॉ. अजय सिंह चौटाला जननायक जनता पार्टी के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए गए थे। पार्टी की नवगठित राष्ट्रीय कार्यकारिणी की पहली बैठक में पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष सरदार निशान सिंह ने राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए डॉ. अजय सिंह चौटाला के नाम की घोषणा की थी। उन्होंने कहा कि पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने यह फैसला सर्वसम्मति से लिया है। इस मौके पर चौटाला ने कहा था कि पार्टी ने उन्हें जो जिम्मेदारी दी है, उसे निभाकर एक-एक कार्यकर्ता को साथ लेकर पार्टी को मजबूत करने का काम करेंगे। डॉ अजय चौटाला ने किए बातें फौरी तौर पर नहीं कही उन्होंने इनेलो में रहते खुद को साबित करके दिखाया हुआ है। जजपा के संस्थापक डॉ. अजय सिंह चौटाला ने इनेलो में रहकर 2009 में प्रदेशभर में जन आक्रोश पदयात्रा के माध्यम से प्रदेश की राजनीति में नया मोड़ ला दिया था। नांगल चौधरी के रायमलिकपुर से लेकर चंडीगढ़ तक करीब 600 किलोमीटर की एक माह की पदयात्रा का सीधा असर प्रदेश के विधानसभा चुनाव-2009 पर पड़ा और पार्टी नौ सीट से 32 सीटों पर पहुंच गई थी।
फरवरी 2022 में आए थे तिहाड़ से बाहर, पूर्व सांसद अजय चौटाला को हरियाणा में शिक्षक भर्ती घोटाले के सिलसिले में 10 साल की कैद की सजा पूरी करने के बाद 2022 में तिहाड़ जेल से रिहा कर दिया गया था। जेल अधिकारियों ने बताया कि चौटाला की सजा पूरी हो गई थी और उन्हें बृहस्पतिवार को औपचारिक रूप से रिहा कर दिया गया। जेल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘‘चौटाला को सीबीआई के एक मामले में (अदालत द्वारा) दोषी करार दिये जाने के बाद 10 साल की कैद की सजा के लिए 16 जनवरी 2013 को जेल में डाला गया था। सजा की अवधि के दौरान उन्होंने कुल दो साल, सात महीने और 24 दिनों की छूट अर्जित की। बुरे सपने जैसे थे नौ साल, वेलकम होम पिताजी, अपने पिता की रिहाई पर उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने खुशी जाहिर की करते हुए कहा था कि डाक्टर अजय सिंह चौटाला उनके हीरो हैं। उन्होंने कहा कि अब डाक्टर चौटाला की नियमित उपस्थिति उनके लिए आशीर्वाद रूपी सहारा बनेगी। वे हम सबके नायक हैं। डिप्टी सीएम ने ट्वीट कर कहा था कि पिता को वापस घर में देखकर सभी बेहद खुश हैं। आज उनके परिवार और पार्टी के लिए 9 साल 25 दिनों का बुरा सपना भी खत्म हुआ। डिप्टी सीएम ने ट्वीट कर कहा था कि पिता को वापस घर में देखकर सभी बेहद खुश हैं। आज उनके परिवार और पार्टी के लिए 9 साल 25 दिनों का बुरा सपना भी खत्म हुआ।
अजय चौटाला की अगुवाई में जेजेपी पार्टी लगातार मजबूत होती जा रही है अब हरियाणा ही नहीं राजस्थान पर भी उसकी पकड़ बनाने की कवायद शुरू हो चुकी है दोनों बेटों के दम पर 2024 में सरकार बनाने की इच्छा रखते हैं और भाजपा के सहयोगी के रूप में जुड़े हुए है लेकिन अपनी अलग पहचान बनाने में जजपा कामयाब हो चुकी है। अब देखना होगा जब 2024 के विधानसभा चुनाव होंगे तो ऊंट किस करवट बैठेगा लेकिन एक बात तय है अजय चौटाला अपने बेटे दुष्यंत चौटाला और दिग्विजय चौटाला और पत्नी नैना चौटाला के साथ मिलकर दोबारा से इतिहास जरूर रचेंगे।