चौधरी भजनलाल ने लुधियाना में घी तो आदमपुर में कपड़े का व्यापार किया फिर पंच बनकर सीएम की कुर्सी तक पहुंचे, वो भी 3 बार ? हरियाणा की सियासत के पीएचडी भजनलाल तीन बार हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे। वे नौ बार आदमपुर से विधायक निर्वाचित हुए। हिसार, करनाल और फरीदाबाद 3 बार सांसद भी बने। राज्यसभा के सदस्य रहे और केंद्रीय मंत्री भी बने। देवीलाल और बंसीलाल की सरकारों में कैबीनेट मंत्री रहे। हरियाणा प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष । आज भजनलाल के जीवन से जुड़ी सारी कहानी ग्राम पंचायत सदस्य से अपना सियासी कॅरियर शुरू करने वाले भजनलाल को सियासत में कामयाबी मिलती चली गई। उनके कार्यकाल में शहरी विकास ने रफ्तार पकड़ी। हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण, हरियाणा औद्योगिक आधारभूत संरचना निगम उनके कार्यकाल में ही अस्तित्व में आए। उन्हें राजनीति में पीएचडी की उपाधि दी गई थी।

नेता ऐसे कि देवीलाल का सिहांसन तक गिरा दिया। एक पूरा सियासी दल ही कांग्रेस में बदल दिया। भजनलाल की कहानी बड़ी रोचक है। वे कभी लुधियाना में घी बेचते थे। आदमपुर में कपड़े का कारोबार भी किया। आढ़त में भी किस्मत आजमाई, फिर राजनीति में आ गए। पंच बने। सरपंच रहे और ब्लॉक समिति के सदस्य भी बने। 1968 में पहली बार एमएलए बन गए और उसके करीब 11 साल बाद ही प्रदेश के सीएम भी बन गए। भजनलाल के सफरनामे पर एक नजर, चौधरी भजनलाल का जन्म 6 अक्तूबर 1930 को पाकिस्तान के बहावलपुर के गांव कोतवाली में हुआ। वे 1979 से 1982, 1982 से 1986 और 1991 से 1996 तक तीन बार हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे। विभाजन के बाद भजनलाल का परिवार हिसार जिले के मोहम्मदपुर रोही में आकर बस गया। 1968 में पहली बार आदमपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए। उनके बारे में हरियाणा में अनेक किस्से प्रचलित हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार साल 1977 के आसपास भजनलाल ने तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई को घी के टीन उपहार में भिजवाए थे।
वरुण गांधी के पैदा होने पर संजय गांधी को दिया सोने का ऊंट, जब भजनलाल कांग्रेस में सक्रिय हुए थे तो उन्होंने वरुण गांधी के पैदा होने पर संजय गांधी को सोने का एक छोटा ऊंट भेंट के रूप में भेजा। देवीलाल की कुर्सी गिराने, दल-बदल की सियासत की पहल करने वाले भजनलाल को घोड़ों पर सटीक दांव लगाने वाले खिलाड़ी की भी संज्ञा दी गई थी। साल 1980 में इंदिरा कांग्रेस को 363 सीटों पर जीत मिली। इंदिरा गांधी की सता में वापसी हुई। जिस दिन नतीजे घोषित हुए भजनलाल उस दिन दिल्ली में ही थे। हरियाणा के मुख्य सचिव रह चुके राम सहाय वर्मा अपनी किताब में माई एनकाऊंटर्स विद थ्री लाल्स ऑफ हरियाणा में लिखते हैं कि भजनलाल को संजय गांधी ने बुलाया और उन्हें मेनका गाांधी की माता के घर एक गिफ्ट सुटकेस में डिलीवर करने को कहा। इसके बाद भजनलाल ने अपने किसी नजदीकी से कहा कि मुझे मालूम नहीं था नेहरु खानदान में भी पैसा चलता है, नहीं तो मैं कभी का राज कर लेता ? जब गिरा दी थी देवीलाल की सरकार, भजनलाल 1968, 1972, 1977, 1982, 1991, 1996, 2000, 2008 में आदमपुर विधानसभा से विधायक रहे। 1989 में हिसार से, 1998 में करनाल से जबकि 2009 में हिसार से सांसद बने। 1986 से लेकर 1991 तक राज्यसभा के सदस्य रहे और केंद्र में कृषि मंत्री रहे। वे बंसीलाल और देवीलाल की सरकारों में मंत्री भी रहे। अपने पहले करीब एक दशक के सियासी सफर में कांग्रेस की सियासत करने वाले भजनलाल एमरजैंसी के बाद साल 1977 में जगजीवन राम की ओर से नवगठित कांग्रेस फॉर डेमोक्रेसी को ज्वाइन किया। खास बात यह है कि 1977 के संसदीय चुनाव में जब चंद्रावती ने भिवानी सीट से चौधरी बंसीलाल के सामने चुनाव लड़ा तो भजनलाल ने उनकी आर्थिक मदद भी की। भजनलाल ने 1977 का चुनाव आदमपुर से जीता और वे देवीलाल की सरकार में मंत्री बने। बाद में भजनलाल ने देवीलाल की सरकार गिरा दी और खुद 28 जून 1979 को मुख्यमंत्री बन गए।
ऐसा रहा पहला कार्यकाल, अपने पहले कार्यकाल में भजनलाल ने हरियाणा की तरक्की के लिए अनेक कदम उठाए। 31 दिसम्बर 1981 को इंदिरा गांधी की पहल पर सतलुज यमुना लिंक नहर समझौते को लेकर महत्वपूर्ण प्रस्ताव पर मोहर लगी। अप्रैल 1982 में इंदिरा गांधी ने पंजाब के कपूरी गांव से नहर की खुदाई शुरू की। इस बड़ी परियोजना के पीछे एक वजह मई 1982 में होने वाले विधानसभा चुनाव भी थे। 1982 में भजनलाल के मुख्यमंत्री का शपथ ग्रहण समारोह रखा गया। खैर भजनलाल ने बहुमत साबित कर दिया और वे मुख्यमंत्री बन गए। इसके अगले दिन चौधरी देवीलाल राज्यपाल तपासे से मिलने पहुंचे। देवीलाल बहुत गुस्से में थे। देवीलाल ने तपासे के कॉलर को पकड़ा और उन्हें झकझोर दिया। सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें छुड़वाया। इसके कुछ दिनों बाद ही फरीदाबाद के रेस्ट हाऊस में ताप्से पर लोकदल के कार्यकत्र्ताओं ने स्याही भी फैंकी। खैर उसके बाद भजनलाल ने 24 जून 1982 को विधानसभा में 57 विधायकों के साथ बहुमत सिद्ध कर दिया।
भजनलाल ने अपने पाले में किए विधायक, बनाए 19 मंत्री, चुनावी नतीजों में 37 सीटों पर कांग्रेस को जीत मिली थी। ऐसे में चुनावी नतीजे के करीब 30 दिन बाद ही भजनलाल ने विरोधी धड़े के 20 विधायक अपने पाले में कर लिए। इनमें कुछ लोकदल के तो कुछ आजाद विधायक थे। नियम अनुसार नौ मंत्री बनाए जा सकते थे। भजनलाल ने पांच आजाद विधायकों सहित कुल 19 लोगों को मंत्री बनाया। भजनलाल तीसरी बार साल 1991 में मुख्यमंत्री बने। इस बार पूरे पांच साल तक मुख्यमंत्री रहे और इस दौरान वे कांग्रेस में एक बड़े नेता के रूप में उभरे। 1991-1996: मुख्यमंत्री के रूप में आखिरी पारी, 1991 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 90 में से 58 सीटों पर जीत मिली। बंसीलाल कांग्रेस से किनारा कर चुके थे और उन्होंने हरियाणा विकास पार्टी बना ली थी। हविपा को 12 सीटों पर जीत मिली। कांग्रेस को बहुमत मिला तो दीनबंधु सर छोटूराम के नाती बीरेंद्र सिंह ने भी दावेदारी ठोकी। हाईकमान ने भजनलाल पर ही भरोसा जताया। चूंकि चौटाला चुनाव नहीं लड़े ऐसे में समाजवादी जनता पार्टी की ओर से संपत्त सिंह को पार्टी के विधायक दल का नेता और नेता प्रतिपक्ष बनाया गया। भजनलाल के लिए कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष बीरेंद्र सिंह और कैबीनेट मेंत्री शमशेर सिंह सुर्जेवाला मुसीबत बन सकते थे। भजनलाल किसी तरह से बीरेंद्र सिंह को पद से हटवाने में कामयाब रहे और उनकी जगह अपने विश्वासपात्र धर्मपाल सिंह मलिक को कांग्रेस को प्रदेशाध्यक्ष बनावा दिया। जुलाई 1992 में वे शमशेर सुर्जेवाला को राज्यसभा सदस्य बनवा दिया।
भजनलाल की उपलब्धियां, भजनलाल ने अपने तीसरे कार्यकाल में ग्रामीण और शहरी विकास में अभूतपूर्व काम यिका। उन्होंने हरियाणा अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी का गठन किया तो साथ ही हरियाणा राज्य औद्योगिक विकास निगम भी बनाया। मानसेर में एक आदर्श औद्योगिक नगर बनाया। गुडग़ांव में खूब काम किए। उनके कार्यकाल में विदेशी निवेश भी खूब हुआ। फिरोज गांधी के नाम पर आदमपुर में कॉलेज बनवाया और हिसार में गुरु जंभेश्वर के नाम से वर्ल्ड क्लास यूनिवर्सिटी बनाई। 2005 के चुनाव के बाद आए हाशिए पर, 1996 भजनलाल के सियासी कॅरियर में उतार का दौर रहा। 1996 में हविपा की सरकार रही। 1999 में भजनलाल को करनाल से आइडी स्वामी के सामने हार का सामना करना पड़ा। भजनलाल के जीवन में यह पहली और अंतिम चुनावी हार थी। 1999 से 2005 तक चौटाला मुख्यमंत्री रहे। फरवरी 2005 में हुए विधानसभा भजनलाल की अगुवाई में कांग्रेस ने 42.46 प्रतिशत वोट प्राप्त करते हुए 67 सीटों पर जीत दर्ज की थी। तीन बार हरियाणा के मुख्यमंत्री रह चुके भजनलाल की अगुवाई में कांग्रेस ने इस चुनाव में अपना अब तक का श्रेष्ठ प्रदर्शन किया। सियासी गलियारों में भजनलाल के चौथी बार मुख्यमंत्री बनने की चर्चाएं थीं। इसी बीच कांग्रेस हाईकमान की ओर से भूपेंद्र सिंह हुड्डा को मुख्यमंत्री का चेहरा बना दिया। हुड्डा ने मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। खास बात यह है कि 27 फरवरी 2005 को विधानसभा चुनाव के परिणाम आए, उस समय हुड्डा विधायक भी नहीं थे। वे रोहतक से लोकसभा सदस्य थे। भजनलाल कांग्रेस में घुटन महसूस करने लगे। दिसम्बर 2007 में उन्होंने अपने बेटे कुलदीप बिश्रोई के साथ मिलकर हजकां का गठन किया। कांग्रेस से किनारा करने के बाद भजनलाल साल 2008 में आदमपुर से विधायक बने तो 2009 में हिसार से सांसद निर्वाचित हुए। जून 2011 में राजनीति के चाणक्य भजनलाल का निधन हो गया।