एक परिवार में 2 भाई, दोनो कद्दावर.. अपने हरियाणा की राजनीति में 2 भाईयों की एक जोड़ी ऐसी है, जो इन दिनों काफी चर्चाओ में है। एक भाई म्हारे हरियाणा का डिप्टी सीएम है और दूसरा भाई इनसो का राष्ट्रीय अध्यक्ष है। जी हां बिल्कुल सही पहचाना आपने। दुष्यंत चौटाला और दिग्विज चौटाला। लेकिन आज के इस एसएनए में हम दुष्यंत चौटाला के छोटे भाई दिग्विजय चौटाला के बारे जानेंगे। उनकी शिक्षा दिक्षा और राजनीति में उनके आगमन को लेकर बात करेंगे ।
ताउ देवी लाल की चौथी पीढ़ी के वंशज और अजय चौटाला के छोटे बेटे हैं दिग्विजय चौटाला। उम्र छोटी है पर अनुभव काफी है। स्कूली समय से ही मंच पर बोलने की कला और राष्ट्रीय स्तर पर खेल में प्रदर्शन से लेकर नेतृत्व क्षमता से भरपूर हैं। छोटी सी आयु में ही काफी कुछ उन्होंने सीख लिया। परिवार में एक से बढ़कर एक राजनीति के धुरंधर हैं लेकिन इन सबके बीच में दिग्विजय चौटाला ने अपनी एक अलग ही पहचान बनाई है। देवीलाल की वंश वृक्ष की छाया से अलग हटकर रानजीति में भी दिग्विजय चौटाला की अपनी ही पहचान है। ठेठ देसी हरियाणवी अंदाज, बोलने में अनख दिग्विजय की पहचान है। दिग्विजय चौटाला लंदन से लॉ कर रहे थे। लेकिन पार्टी और चुनाव की व्यस्तता के चलते अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी।
फिटनेस के मामले में आगे हैं दिग्विजय चौटाला, राजनीति में बाकी नेता जहां आपको डील डौल काया के नजर आएंगे तो वहीं दिग्विजय चौटाला सेहत को लेकर काफी अलर्ट रहते हैं। वे कहते हैं कि फिटनेस जरूरी है। नाश्ते में फ्रूट या जूस लेते हैं। शारीरिक व्यायाम करने में आलस नहीं करते। आधा से एक घंटा तक लोगों से मिलते हैं। लोगों से मिलते समय उनके चेहरे पर हमेशा मुस्कान रहती है। वह कहते हैं कि आराम करना तो हमारे पूर्वजों ने हमें सिखाया ही नहीं। चौधरी देवीलाल की नीतियों पर चल कर परिवार ने जो मेहनत की उसी के चलते परिवार राजनीति में मजबूत से डटा हुआ है। जन सेवा का पथ हमें विरासत में मिला है और अपनी विरासत को संभालना हमारा दायित्व है। जेजेपी महासचिव दिग्विजय चौटाला, साल 2018 में इनेलो से टूट के बाद जेजेपी बनी थी। तो वहीं इस जननायक जनता पार्टी के महासचिव है दिग्विजय चौटाला।
बड़े भाई दुष्यंत चौटाला और पिता अजय चौटाला के साथ मिलकर दिग्विजय चौटाला महासचिव की जिम्मेदारी को बाखूबी निभा रहे हैं ओर पार्टी को युवाओं के बीच में लगातार लेकर जा रहे हैं। उनके प्रयासों का ही नतीजा है कि आज के समय में जेजेपी का मजबूत जनाधार हरियाणा के बीच में मौजूद है। जबकि उनकी ही पार्टी के सामने इनेलो जैसी बरगद के पेड़ की तरह जड़े जमाएं पार्टी थी। लेकिन जेजेपी ने अपना अलग ही मुकाम बनाया है। इनसो के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं दिग्विजय चौटाला ,दिग्विजय चौटाला इनसो के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। इनसो यानि के इंडियन नेश्नल स्टूडेंट आर्गेनाइजेशन। जिसकी बीते साल अगस्त के महीने में 20वां स्थापना दिवस मनाया गया था। खास बात तो ये है कि आज के समय में इनसो के साढ़े 5 लाख एक्टिव मेंबर है। दिग्विजय चौटाला की पार्टी इनसो के द्वारा नेत्रदान कैंप लगाया गया था। जिसने कि रोहतक में गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्डस में नाम दर्ज करवाया था। बड़ी बात तो ये है इनसो से जुड़े 5200 के करीब युवाओं ने अंगदान करके भी इतिहास रचा है।
राज्य हैंडबाल एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं दिग्विजय चौटाला, इनसो के अलावा दिग्विजय सिंह चौटाला राज्य हैंडबाल एसोसिएशन के भी प्रधान हैं। बीते साल मार्च के महीने में भिवानी में पंचायत भवन में हैंडबाल फेडरेशन ऑफ इंडिया के ऑब्जर्वर डॉ गुरुशरण गिल, हरियाणा हैंडबाल प्रशासक डीआरओ राजकुमार एवं आरओ तहसीलदार रविंद्र मलिक की देखरेख में चुनाव करवाएं गए थे। जिसमें कि दिग्विजय सिंह चौटाला को निर्विरोध प्रधान चुना गया था। तेज तर्रार बयान देते हैं दिग्विजय चौटाला, दिग्विजय चौटाला अकसर अपने तेज तर्रार बयानबाजी को लेकर चर्चा में बने रहते हैं। कभी वे विरोधियो पर सवाल खड़े करते हैं तो कभी वे अपनी ही गठबंधन सरकार के किए कामों पर सवाल उठा कर गर्म मुददे को हवा दे देते हैं। अपने चाचा अभय चौटाला को लेकर बयान दिया था कि इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला को अपने बड़े भाई डा. अजय सिंह चौटाला से माफी मांगनी चाहिए क्योंकि जिस समय उन्हें इनेलो से निष्कासित किया गया वो तब जेल में थे और उनका कोई कुसूर नहीं था’।
इसके अलावा दिग्विजय चौटाला ने ऐलनाबाद में विकास को लेकर ऐसा बयान दिया था जिससे कि राजनीति में गर्मी बढ़ा दी थी। ऐलनाबाद में डेवलपमेंट को लेकर उन्होंने कहा था कि कुछ लोगों ने भ्रम फैलाने का प्रयास किया, परंतु असलियत यह है कि अजय चौटाला और डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला के आशीर्वाद से ही इस क्षेत्र में विकास हुआ है। सबसे ज्यादा पैसा ही ऐलनाबाद में आया है’। तो वहीं दिग्विजय चौटाला ने भाजपा जजपा गठबंधन पर भी बयान दिया था। जिससे कि गठबंधन पर सवाल उठने लगे थे। उन्होंने कहा था कि राजनीति के गर्भ में क्या छिपा है व क्रिकेट मैच में क्या हो जाए भविष्य में कुछ नहीं कहा जा सकता। हम जजपा को हरियाणा में 19 प्रतिशत से बढाकर 40 प्रतिशत वोट बैंक जुटाने के लिए मैदान में उतरे हैं। जजपा को अपने दम पर हरियाणा में खड़ा करेंगे और उसी दम पर दुष्यंत चौटाला को प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाने का लक्ष्य है।
हरियाणा के बाद निगाहें राजस्थान पर, दिग्विजय चौटाला अपनी पार्टी जेजेपी को केवल हरियाण तक ही सीमित नहीं रखना चाहते हैं बल्कि वे तो उसे राजस्थान भी लेकर चलने की तैयारी में है। बीते साल ही वे इसे लेकर सक्रिय नजर आने लगे थे। बता दें कि चौटाला परिवार की राजस्थान की राजनीती में जड़ें रही हैं। दिग्विजय के परदादा चौधरी देवीलाल राजस्थान से सांसद और पिता अजय सिंह चौटाला राजस्थान में विधायक रह चुके हैंं। दिग्विजय चौटाला राजस्थान में विधानसभा चुनाव लड़ने की नींव रखने में जुट हुए हैं। इसके लिए उन्होंने जजपा के छात्र संगठन इनसो को आधार बनाया है। जजपा को एक क्षेत्रीय दल के रूप में मान्यता है, लेकिन उनका सपना इस पार्टी को परवान चढ़ाते हुए राष्ट्रीय दल के रूप में मान्यता दिलाने का है। राष्ट्रीय दल के रूप में मान्यता के लिए एक शर्त यह है कि कोई राजनीतिक दल चार लोकसभा सीटों के अलावा लोकसभा में छह प्रतिशत वोट हासिल करे या फिर विधानसभा चुनावों में चार या इससे अधिक राज्यों में कुल छह प्रतिशत या इससे अधिक वोट जुटाए ।
दिल्ली विधानसभा चुनाव भी लड़ चुकी है जजपा, हरियाणा में भाजपा के साथ जजपा का राजनीतिक सफर बढ़िया ढंग से चल रहा है। सरकार के कामों का जिम्मा उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला पर है तो संगठन का काम इनसो अध्यक्ष एवं जजपा महासचिव के नाते दिग्विजय सिंह चौटाला देख रहे हैं। राजनीति में उतार- चढ़ाव झेलने में माहिर हो चुके दो भाई भाजपा के साथ मिलकर दिल्ली विधानसभा चुनाव व हरियाणा में ही दो उपचुनाव लड़ चुके हैं। आदमपुर उपचुनाव भी गठबंधन ने मिलकर लड़ा था। इससे अलग दोनों भाई चाहते हैं कि जजपा का विस्तार व्यापक स्तर पर हो। खासतौर से उस राजस्थान में, जहां उनके पड़दादा, दादा व पिता की राजनीतिक जड़े हैं।